ये वो दिन है, जब गलवान घाटी में भारतीय सेना के जवानों ने चीनी मंसूबों को नाकाम किया, चीनी सैनिकों से लड़ते-लड़ते कई जवान शहादत को प्राप्त हुए, पर नीतीश की पुलिस इस शहादत का मतलब लगता है नहीं समझती, ये हैं वैशाली के कजरी बुजुर्ग के नौजवान जय किशोर सिंह, जो मात्र 20 साल की उम्र में देश के लिए शहीद हो गए, इनके नाम पर एक स्मारक बनवाया गया, जिसमें जय किशोर सिंह की प्रतिमा लगी थी, लेकिन किसी ने पुलिस को ये शिकायत दे दी कि साहब जिस जगह शहीद की प्रतिमा लगी है, वो तो जमीन हमारी है, उसके बाद तो दारोगा जी दल बल के साथ पहुंचे और शहीद के पिता जय किशोर सिंह को बिना कुछ पूछे गिरफ्तार कर लिया, वहां के लोग कहते हैं कि इन्हें पीटा भी गया, जिसके बाद नीतीश कुमार से केन्द्रीय रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने फोन कर पूछा कि ये क्या बवाल है, क्या आपके प्रदेश की पुलिस शहीदों का सम्मान करना भी नहीं जानती. आप खुद सोचिए बिना जांच के ये रवैया कितना खराब है.

हमारे देश में केजरीवाल जैसे कुछ नेता बराबर सेना पर सवाल उठाते हैं, नीतीश भी उसी गुट के हैं
दुनिया के कई देशों में सेना पर सवाल उठाना क्राइम है, पर हमारे देश में कोई कुछ भी बोलता है
यहां तक कि सर्जिकल स्ट्राइक के सबूत मांगे गए, गलवान घटना के वक्त भी कइयों ने गलत बोला

ऐसे में जो लोग सेना पर सवाल उठाते हैं, उनसे आप क्या ही उम्मीद कर सकते हैं, इस मामले को दारोगा जी अपने स्तर पर दबा देते, एसडीएम भी जांच-पड़ताल कर फाइल बंद कर देते पर बुधवार को बजट सत्र के तीसरे दिन सदन में यह मुद्दा उठा तो पूरे देश की नजर में तब आया जब बीजेपी के नेता सदन से वॉकआउट कर गए. नेता प्रतिपक्ष विजय सिन्हा ने कहा कि सरकारी जमीन पर शहीद की याद में स्मारक बना तो इसमें पुलिस प्रशासन को क्या दिक्कत है? पुलिस ने शहीद के पिता को गिरफ्तार क्यों किया? क्यों पिटाई की गई? इसके बाद अब डीजीपी आरएस भट्ठी ने स्पेशल टीम बनाकर इस मामले की जांच के आदेश दिए हैं और कहा है कोई भी दोषी बचना नहीं चाहिए, पर इसकी जांच अलग बात है हम आपसे कुछ सवाल पूछना चाहते हैं, जिसका जवाब आपको देना चाहिए.

शहीद स्मारक किसी की जमीन पर कैसे बन गया, अगर बन ही गया था तो फिर पुलिस ने जांच से पहले कार्रवाई क्यों की
क्या हमारे देश में सैनिकों और शहीदों के सम्मान के लिए कोई अलग से नियम बनाना होगा ताकि उन पर सवाल उठाने से पहले कोई सोचे
हमारे देश की सुरक्षा सेना के जवानों के हाथ में है, वो जीते भी हमारे लिए हैं और जान भी देश के लिए देते हैं, तो उनके परिवार का ख्याल देश क्यों न रखे
शहीद के मां-बाप हो या पत्नी-बेटे सबको सरकार से पेंशन तो मिलता है लेकिन वो इज्जत नहीं मिलती जिसके वो असल हकदार होते हैं
इन सवालों का जवाब आपको जो भी अच्छा लगे कमेंट में बता सकते हैं, और इस रिपोर्ट को इतना शेयर कीजिए कि किसी भी राज्य में दोबारा ऐसा करने की हिम्मत कोई न कर सके.