अखिलेश यादव के मंच से स्वामी प्रसाद मौर्य ने हवा में उड़ गए श्रीराम बयान
राजनीति एकदम IPL की तरह है, एक खिलाड़ी मैच को बदल सकता है…तो क्या PM मोदी वो करने वाले हैं जिसकी कल्पना किसी को नहीं है? हो सकता है समाज की राय बंट जाए, कुछ ब्राह्मण समाज के लोग नाराज़ हो जाए, पर विपक्ष की खटिया खड़ी करने वाला प्लान बस ज़मीन पर उतरने वाला है…अखिलेश यादव के मंच से स्वामी प्रसाद मौर्य ने हवा में उड़ गए श्रीराम वाला बयान दिया था, यानि सपा दलित वोटरों की तैयारी में है, इसलिए मायावती से दूरी होने के बाद भी मंच से मिले मुलायम कांशीराम का नारा दिया जा रहा है…पर बीजेपी की तैयारी मौर्य या अखिलेश यादव से काफी दूर है.. बीजेपी का इक्का जब सामने आएगा तो सभी पार्टियां पक्का माथा पीटने वाली है..

बिहार में नीतीश कुमार से लेकर तेजस्वी यादव तक के पास सिर्फ जाति का कार्ड है
UP में मायावती और अखिलेश के पास भी आख़िरी हथियार सिर्फ जाति ही बचा है !
इसी दोनों राज्य से कोई PM चुना जाना है, तो दोनों राज्यों की भूमिका बड़ी होगी!

राहुल गांधी के नाम पर जाति नहीं जुड़ती है, इसलिए नीतीश कुमार राहुल गांधी से मिलकर आए, उन्हें समझाया कि इस बार PM चेहरा मुझे बनने दीजिए, भारत का इतिहास कहता है कि जाति के नाम पर हुए चुनाव में तंबू उखड़ जाते हैं..और इसी इतिहास को पढ़कर विपक्ष मोदी को हटाने के लिए जाति का प्रयोग करेगा, जिसको बारीकी से समझते हैं…

राम मंदिर का उद्घाटन होगा तो उस वक्त तीन चेहरे टीवी पर होंगे, पहला होगा PM का, दूसरा होगा योगी का और तीसरा होगा, किसी दलित का, जो राम मंदिर का रसोइया हो सकता है…BJP के मास्टर प्लान के मुताबिक
1 जनवरी 2024 को जब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी अयोध्या जाएंगे

1 जनवरी 2024 को जब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी अयोध्या जाएंगे, राम मंदिर का उद्घाटन करेंगे…तो उस दिन दलित रसोइया के हाथ का बना प्रसाद भगवान राम को चढ़ाया जाएगा…पूजा करने के लिए किसी पंडित जाति के पुजारी की नियुक्ति नहीं होगी बल्कि पिछड़ी जाति के पुजारी होंगे. इसके पीछे की वजह ये बताई जा रही है कि भगवान श्रीराम ने मां सबरी के हाथ का जूठा बेर खाया था और जाति-पाति भगवान ने नहीं बनाई, इसलिए समाज को ये संदेश देने की कोशिश है…
प्रधानमंत्री मोदी इस बात को जानते हैं कि विकास के साथ इस देश की मज़बूरी है जाति व्यवस्था को ढोना, हमें देश की तरक्की के साथ अपनी जाति का नेता भी तो चाहिए, इसलिए जाति व्यवस्था से लड़कर सत्ता में पहुंचने का प्लान सिर्फ इतना नहीं है, पूरा विपक्ष OBC वोटरों पर फोकस है, जबकि बीजेपी दलित वोटरों पर फोकस है, ऐसा इसलिए क्योंकि दलित वोटर OBC वोटर की उपेक्षा में कम भटकता है, और दलितों के पास कोई नेता भी नहीं है, जो उनकी सियासत को हवा दे, ऐसे में बीजेपी को खाली मैदान मिला है तो पूरा फायदा उठाएगी, नीतीश कुमार, तेजस्वी यादव, अखिलेश यादव, खुद मोदी-शाह OBC से ही आते हैं, मायावती दलितों की बड़ी नेता हैं, पर बीजेपी के ईशारे पर चुप हैं, 2022 के चुनाव में योगी को जिताया अब मोदी को जिताने का पूरा प्लान तैयार हो चुका है, क्योंकि देश में 17% दलित वोट, 150 से अधिक लोकसभा सीटों पर प्रभाव रखते हैं, इसीलिए अंबेडकर जयंती से लेकर 5 मई तक BJP घर-घर जोड़ो अभियान चलाने वाली है,ये विपक्ष को काफी परेशान करेगा
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14 अप्रैल को आंबेडकर जयंती है और 5 मई को बुद्ध जयंती है. BJP घर-घर जोड़ों अभियान चलाने वाली है, 5 मई को दिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम में कार्यक्रम होगा, जहां वो दलितों के लिए कुछ बड़ा ऐलान कर सकते है. देश में लोकसभा की 131 सीटें रिजर्व हैं.यानि जहां कोई पिछड़ा या दलित ही चुनाव लड़ सकता है, 2019 में नरेंद्र मोदी के नाम की ऐसी आंधी चली कि 2014 के रिकॉर्ड को तोड़ते हुए बीजेपी ने 77 रिजर्व सीटों पर कब्जा कर लिया.
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वो भी तब जब विपक्षियों ने बीजेपी को दलित विरोधी पार्टी का आरोप लगाया…बड़ी बात ये हैं कि मायावती और अखिलेश यादव साथ थे, फिर भी 131 में 77 बीजेपी को मिली, यही कारण है कि बीजेपी को हराने के लिए सभी विरोधी सिर्फ जाति की बात कर रहे हैंपर जनता समझ चुकी है जाति नहीं विकास चाहिए..अब हमारा सीधा सवाल आपसे है ?
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क्या मोदी जैसी आंधी को कोई जातिकार्ड जैसा प्रयोग रोक सकता है या आंधी 2024 चुनाव में सुनामी बन जाएगी!
ब्यूरो रिपोर्ट, GLOBAL BHARAT TV