जंग का मैदान हो या सियासत का अखाड़ा दोनों जगह कोई अपनी कमजोरी नहीं बताता, ना ही सामने वाले को ये बताता है कि मेरी जीत का फॉर्मूला क्या है, क्योंकि कहते हैं महाभारत में भीष्म पितामह ने अगर खुद को रास्ते से हटाने का प्लान युधिष्ठिर को नहीं बताया होता तो शायद मामला कुछ और होता, पर वो धर्म की लड़ाई थी, यहां बात हम सियासत की कर रहे हैं, ये उदाहरण हमने सिर्फ आपको समझाने के लिए लिया है, क्योंकि पीएम मोदी ने नागालैंड,और त्रिपुरा में जीत के बाद बीजेपी मुख्यालय में जो भाषण दिया, उसमें कुछ ऐसी बातें कह दीं जिसे पूरा विपक्ष आजमा ले तो शायद कुछ हद तक सफलता मिल सकती है, पहले उनका बयान सुनिए, फिर बताते हैं इसके मायने क्या हैं.

भाजपा के विजय अभियान का रहस्य छिपा है ‘त्रिवेणी’ में…त्रिवेणी यानि तीन धाराओं का संगम, इसकी पहली शक्ति है, भाजपा सरकारों के कार्य, इस त्रिवेणी की दूसरी शक्ति है- भाजपा सरकारों की कार्य संस्कृति, और इस त्रिवेणी की तीसरी शक्ति है- भाजपा कार्यकर्ताओं का सेवा-भाव.
नरेन्द्र मोदी, प्रधानमंत्री

ये वही तीन बातें हैं, जिसे कोई भी विपक्षी पार्टी ढंग से नहीं अपना रही है, मोदी सरकार को केन्द्र की सत्ता संभाले 9 साल हो गए, लेकिन भ्रष्टाचार के कोई केस नहीं आए, योगी जैसे मुख्यमंत्रियों के मॉडल की तारीफ हुई, और बीजेपी कार्यकर्ता एक चुनाव खत्म होते ही दूसरे की तैयारी में जुट जाते हैं, पर कांग्रेस से लेकर टीएमसी तक और बड़ी-बड़ी पार्टियों के नेता सालों भर मेहनत की बजाय चुनावी मौसम में बाहर निकलते हैं, और यही अगर वो छोड़ दें तो फिर उनकी जीत पक्की होगी, पर कांग्रेस तो अपनी आदत से लगता है बाहर ही नहीं निकलना चाहती, कसबा सीट से कांग्रेस प्रत्याशी रवीन्द्र धंगेकर ने बीजेपी प्रत्याशी को पटखनी देकर उपचुनाव में जीत हासिल की तो शिंदे की टेंशन बढ़ गई, लेकिन कांग्रेस के अंदर कोई हलचल नहीं दिखता, तभी तो सागरदिघी उपचुनाव में बीजेपी के हाथों अपनी पार्टी को करारी हार मिलने के बाद ममता बनर्जी ने ये तक कह दिया कि कांग्रेस का बीजेपी के साथ अनैतिक गठबंधन है. पर ये सिर्फ चुनावी बयान है, असल में हर पार्टी का नेता अपनी पार्टी को जीताने के लिए लड़ रहा है, पर जनता को जो पसंद आ रहा है वो जीत रहा है, और उसका एक बड़ा कारण सम्मान भी है, वो कैसे हम आपको इस तस्वीर से समझाते हैं, पीएम मोदी जब पूर्वोत्तर में बीजेपी की बंपर जीत के बाद बीजेपी मुख्यालय पहुंचे तो उनके स्वागत में गुलाब के फूल बरस रहे थे, उसके बाद जैसे ही उन्होंने भाषण देना शुरू किया वहां मौजूद सभी कार्यकर्ताओं से पूछा कि टीवी पर ईवीएम की चर्चा हो रही है कि नहीं, देखो जरा, पर अगले ही पल उनका ये मजाकिया अंदाज बदल गया और उन्होंने कहा.

मैं यहां मौजूद सभी लोगों से कहना चाहता हूं कि पूर्वोत्तर के नागरिकों के सम्मान में अपने मोबाइल की फ्लैशलाइट जलाएं, पहले त्रिपुरा में एक ही पार्टी का झंडा हुआ करता था, लेकिन अब दौर बदल चुका है, अब पूर्वोत्तर प्रगति के रास्ते पर बढ़ रहा है,
ये जो फ्लैशलाइट जलाने का काम था न, वो भले ही 10 सेकेंड का रहा हो, लेकिन ये जो तरीका है, वो पूर्वोत्तर के लोग हमेशा-हमेशा के लिए याद रखेंगे और पीएम मोदी का यही अंदाज उन्हें लोगों के करीब ले जाता है, इसिलिए तो मोदी कहते हैं.
कुछ कट्टर कहते हैं, मर जा मोदी, पर जनता कह रही मत जा मोदी,