अफ्रीकी देश सूडान में ऐसा क्या हुआ है कि मोदी सरकार को रातों-रात जहाज भेजना पड़ा, वहां की पैरामिलिट्री और आर्मी आपस में क्यों भिड़ गई, ये बताएं उससे पहले ये सुनिए मोदी सरकार ने वहां से एक-एक नागरिकों को वापस लाने के लिए ऑपरेशन कावेरी का प्लान सिर्फ 24 घंटे में तैयार कर लिया. जब दुनिया युद्ध खत्म होने का इंतजार कर रही थी तो मोदी ने अपने विदेश मंत्री को सीधा अमेरिका रवाना कर दिया, वहां जयशंकर ने जाकर यूएन के महासचिव एंटोनियो गुटेरेस से मुलाकात की, और कहा हमें अपने 4 हजार नागरिकों को निकालना है, युद्ध रुकवाना होगा, सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात के विदेश मंत्रियों से बातचीत की, उसी दौरान पता चला कि फ्रांस का जहाज वहां पहुंचा चुका है तो सीधा फ्रांस से बात की और कहा भारत संकट के दौर में हर किसी की मदद करता है, आप हमारे लोगों को निकालिए. जिसके बाद फ्रांस ने अपने 23 नागरिकों के अलावा 5 भारतीयों को भी बाहर निकाला, उधर 20 अप्रैल को जयशंकर की मुलाकात हुई और उसके अगले ही दिन यानि 21 अप्रैल को 72 घंटे के लिए युद्ध विराम का ऐलान हो गया. इधर मोदी ने जैसे ही ये ख़बर सुनी उसी रात इमरजेंसी मीटिंग बुलाई, हर अधिकारी को कहा रातों-रात जहाज रवाना करो और अपने लोगों को वापस बुलाओ. कोई भी व्यक्ति वहां फंसा हुआ नहीं होना चाहिए. जिसके बाद

जब सूडान में फंसी पब्लिक लगा रही थी गुहार,अमेरिका में बैठे जयशंकर बना रहे थे प्लान
इंडियन एयरफोर्स के C-130 दो विमान और नौसेना का आईएनएस सुमेधा सऊदी अरब और सूडान पहुंच चुके हैं, खुद जयशंकर ने ट्वीट कर जानकारी दी कि 500 भारतीय सूडान पोर्ट पर पहुंच चुके हैं, नेवी के जहाज और एयरक्राफ्ट भारतीयों को वापस लाने के लिए वहां पहुंच चुके हैं.

करीब 4 हजार भारतीय वहां पर फंसे हैं, जिन्हें सुरक्षित हिंदुस्तान लाया जाना है. कोई भी ऐसा ऑपरेशन चलता है तो हर हिंदुस्तानी को सुषमा स्वराज की याद आ जाती है, आज जैसे ही हालात सूडान में हैं, वैसे ही बुरे हालात यमन में थे, तब कई देशों से बातकर सुषमा स्वराज ने अपने लोगों को बाहर निकलवाया था. हालांकि सूडान में गृहयुद्ध के हालात खुद सेना ने पैदा किए हैं, जबकि यमन की कहानी कुछ और थी, ऑपरेशन कावेरी का किस्सा सुनने के बाद यहां ये समझना भी जरूरी है कि सूडान में ऐसे हालत पैदा क्यों हुए.
सूडान की पैरामिलिट्री फोर्स जिसे रैपिड सपोर्ट फोर्स कहा जाता है, वो सूडान की आर्मी से लड़ रही है
सूडान की राजधानी खार्तूम, कसाला, गेडारेफ और अल कादरीफ में सबसे ज्यादा हालात खराब हैं
वहां एयरलिफ्ट इसिलिए मुश्किल है क्योंकि यहां दो ही इंटरनेशनल एयरपोर्ट है, समुद्र का रास्ता है
साल 2019 में सूडान की जनता ने तब के राष्ट्रपति उमर अल बशीर के खिलाफ विद्रोह कर दिया था
सेना ने तख्तापलट किया, कमांडर जनरल अब्देल फतह बुरहान ने सूडान पर शासन शुरू कर दिया
कहते हैं उस वक्त रैपिड सपोर्ट फोर्स के प्रमुख जनरल मोहम्मद हमदान डगालो ने आर्मी की काफी मदद की थी, इसीलिए इन्हें प्रधानमंत्री बनाया गया, लेकिन तभी सरकार एक प्रस्ताव लेकर आई जिसके मुताबिक पैरामिलिट्री फोर्स को आर्मी में मिलाने की बात हुई और इसी बात को लेकर विरोध शुरू हो गया कि अगर ऐसा हुआ तो फिर उसका चीफ कौन बनेगा. मतलब ये पूरी लड़ाई सेना और पैरामिलिट्री फोर्स के बीच की है, जिसके बीच जनता पीस रही है, हिंदुस्तान से भारी संख्या में लोग वहां कमाने जाते हैं, कई लोग वहां बस भी चुके हैं, ऐसे में इस मुश्किल वक्त में भारत सरकार उन्हें वहां से निकालने के लिए ऑपरेशन कावेरी चला रही है, जब अमेरिका और ब्रिटेन जैसे देश सूडान से युद्ध रोकने की अपील कर रहे हैं, कह रहे हैं हमारे लोगों को निकलने दो, उस दौर में जयशंकर की एक अपील पर युद्धविराम की घोषणा हो जाना और फिर मोदी का आधी रात को जहाज रवाना करवा देना ये बताता है कि भारत कैसे दिनोंदिन दुनिया के सामने मजबूत होता जा रहा है, आप इस पर क्या कहेंगे कमेंट में बता सकते हैं.
ब्यूरो रिपोर्ट