उत्तर प्रदेश में निकाय चुनाव से पहले योगी के मंत्री ने ऐसी हिमाकत कर दी है कि बाबा गुस्से से लाल हो गए. कैबिनेट मंत्री की पत्नी मेयर थी लेकिन टिकट कट गया तो मंत्री परेशान हो गए. अभी सोच ही रहे थे कि झंडा कैसे बुलंद किया जाये कि डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने एक सपा नेता को पार्टी में शामिल करके मौका दे दिया. इसे भुनाने के लिए मंत्री ने सीधे दिल्ली की दौड़ लगा दी. क्योंकि जिस सपा नेता को डिप्टी सीएम ने पार्टी का पटका पहनाया था उसे ही मंत्री ने 2022 के चुनाव में हराया था. इसी को मुद्दा बनाकर मंत्री दिल्ली पहुंचे लेकिन जिस योगी का समर्थन पूरा हिंदुस्तान कर रहा है, उनके फैसले पर एक मंत्री को ऐतराज क्यों है. दरअसल ये कहानी बहुत पुरानी है. कुछ दिन पहले अतीक ने आरोप लगाया था कि नंद गोपाल नंदी ने उससे करोड़ों रुपये लिये हैं. तो क्या एसआईटी के हाथ ऐसा कुछ लगा है, जिसका कनेक्शन अतीक और नंदी से है और वो खबर योगी तक पहुंच गई है.

नंद गोपाल नंदी की पत्नी अभिलाषा प्रयागराज की मेयर हैं. पति विधायक और मंत्री थे तो दोबारा टिकट की उम्मीद थी लेकिन पीएम मोदी की पॉलिसी बीच में आ गई. एक परिवार एक टिकट को आगे बढ़ाते हुए योगी ने टिकट काट दिया. तो नंदी कुछ कह नहीं पाये, लेकिन मौका ढूंढते रहे. जब डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने सपा नेता रईस चंद्र शुक्ल को बीजेपी ज्वाइन कराई तो नंदी को मौका मिल गया. क्योंकि रईस नंदी के चिर प्रतिद्वंदी हैं. 2022 के चुनाव में नंदी ने उन्हें ही हराया था.

नंदी के विधानसभा क्षेत्र इलाहाबाद दक्षिण में जब रईस को बीजेपी में शामिल कराया गया तो विधायक नहीं बुलाया गया. सूत्र बताते हैं कि इसकी शिकायत करने वो दिल्ली पहुंच गए लेकिन सीएम योगी से बात नहीं की.
नंदी ने इस फैसले पर नाराजगी जताते हुए मीडिया में खुलकर बयान दिया और कहा कि,
नंदी ने मीडिया के सामने खुलकर दिया बयान
यह बेहद गंभीर प्रकरण और गहरी साजिश है. यह पूरी तरह अवैध है. भारतीय जनता पार्टी की रीत नीति और पार्टी के लोकतांत्रिक मूल्यों में गहरी आस्था के सिद्धांत से सर्वथा प्रतिकूल है जो लोग पार्टी को प्राइवेट लिमिटेड कंपनी की तरह चलाना चाहते हैं, वह पार्टी को हानि पहुंचा रहे हैं.
बाबा अतीक वाले मेटर को लेकर पहले से ही नंदी से नाराज थे. कांग्रेस से बसपा और फिर बीजेपी में आने वाले नंदी के इस कांड के बाद दो फैसले सीएम योगी ले सकते हैं.
पहला- नंदी से मंत्री पद वापस ले लिया जाये.
दूसरा- अगले चुनाव में नंदी को विधायकी का टिकट ना मिले.
क्योंकि बीजेपी में पार्टी के खिलाफ काम बर्दाश्त नहीं होता. दूसरी पार्टियों से आये नेताओं को कई बार ये बात समझने में वक्त लगता है. वैसे भी नंदी काफी पहले से पार्टी को परेशान कर रहे थे क्योंकि प्रयागराज के लोग कहते हैं कि उन्होंने कुछ काम नहीं किया. इसकी शिकायत डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य को ही जाती थी क्योंकि उनकी पकड़ इस इलाके में काफी है. बीजेपी लंबे समय से नंद गोपाल नंदी का विकल्प इस सीट पर तलाश रही है.
नंदी कभी अतीक के गुर्गे को पीटकर नेता बने थे. आज वही अतीक उनके राजनीतिक पतन का कारण बन सकता है. क्योंकि एसआईटी जो जांच कर रही है. उसमें अगर ये साबित हुआ कि अतीक से पैसे का कोई लेनदेन हुआ है तो योगी छोड़ने वाले नहीं हैं.
ब्यूरो रिपोर्ट