सीएम मनोहर लाल ने जैसे ही योगी वाला रूप धारण किया, मेवात मामले की कहानी खुलने लगी. शुक्रवार सुबह मेवात के गांवों में जब एक साथ दर्जनों बुलडोजर पहुंचे तो कोई सामान लेकर भाग रहा था, कोई अपना पहचान पत्र ढूंढ रहा था, सैकड़ों की झुंड में महिलाएं बुलडोजर रोकने की कोशिश में थी, लेकिन योगी की सलाह पर मनोहर लाल ने साफ कहा था बुलडोजर तभी वापस लाना जब झुग्गियां जमींदोज हो जाएं. ये झुग्गियां रोहिंग्याओं और बांग्लादेशियों की थी, तो सवाल है इन्हें बसाया किसने. सोशल मीडिया पर तरह-तरह के दावे वायरल होते हैं, उन्हीं में एक दावा ये भी है. जिसे करीब तीन साल पहले कांग्रेस नेता अलका लांबा को एक बीजेपी नेता ने भेजी थी, जिसमें नासिर हुसैन, रोहिंग्या रिफ्यूजी के हवाले से लिखा है.

कांग्रेस ने हम लोगों को भारत में घुसवाया, तब हम हजारों थे, आज लाखों में हैं और ज्यादा बच्चे पैदा कर रहे हैं. कर्नाटक, केरल, बंगाल और पंजाब में हमारा दबदबा है. बस जिस दिन बाकी के राज्यों में कांग्रेस और उसके समर्थन की सरकार बनेगी उस दिन से हम अपना रूप दिखाएंगे. फिर हम बिल्कुल नहीं रुकेंगे. आरएसएस, बीजेपी कुछ नहीं कर पाएगी क्योंकि तब कानून और कोर्ट कांग्रेस के हाथ में होगा.
हालांकि ये दावा झूठ निकला. लेकिन दिल्ली से लेकर यूपी तक और हरियाणा के नूंह में अब जो हुआ, उन सबसे में रोहिंग्याओं का बड़ा हाथ सामने आया है. तो सवाल है कि इन्हें इस्तेमाल कौन कर रहा है. बांग्लादेशी हों या रोहिंग्या वो पश्चिम बंगाल के रास्ते हिंदुस्तान में एंट्री लेते हैं, वहां ममता बनर्जी की सरकार उन्हें रोकती नहीं बल्कि उनकी मदद करती है. इसीलिए आपने देखा होगा जब मेवात मामले पर सीएम मनोहर लाल ने ये कहा कि सबको सुरक्षा नहीं दी जा सकती तो ममता बनर्जी तुरंत मीडिया के सामने आई और कहा

सीएम मनोहर लाल बिल्कुल सही बात कह रहे हैं, लेकिन अगर यही हालत बंगाल में होती तो केन्द्र तुरंत अपनी टीमें यहां भेज देती, लेकिन वहां चूंकि बीजेपी की सरकार है इसलिए कुछ नहीं बोल रही.
ममता का ये पूरा बयान राजनीतिक था, लेकिन इस बयान में रोहिंग्याओं के लिए हमदर्दी छिपा था ये शायद आप नहीं समझ पाए होंगे. ममता दीदी को लगा कि सीएम मनोहर लाल ने मान लिया कि सुरक्षा में चूक हुई और अब जांच होगी और अवैध घुसपैठियों की तरफ सरकार का ध्यान नहीं जाएगा. पर ममता दीदी ये भूल गईं कि सीएम मनोहर लाल लगातार योगी आदित्यनाथ से सलाह ले रहे हैं और रोहिंग्याओं के प्रति बीजेपी का क्या रूख है ये सब जानते हैं.
खास बात ये है कि सिर्फ ममता बनर्जी ही नहीं बल्कि कांग्रेस भी कभी रोहिंग्याओं के खिलाफ नहीं रही, इसीलिए मोदी सरकार जब भी सीएए-एनआरसी की बात करती है तो कांग्रेस खिलाफ खड़ी दिखती है, नूंह से कांग्रेस विधायक मामन खान का इनसे कोई नाता है, क्योंकि पार्टी का रवैया तो रोहिंग्याओं के साथ हमदर्दी वाला रहा है. पर सवाल है कि क्या सियासत देश से ऊपर है. जो लोग अवैध रूप से आपके देश में रह रहे हैं, वो आपको कितना बड़ा नुकसान पहुंचा सकते है, क्या इसकी कोई कल्पना की जा सकती है.
नूंह में जिस साइबर थाना को इन्होंने निशाना बनाया, उसमें 100 करोड़ के साइबर फ्रॉड वाली फाइल रखी थी
इस केस में कई लोगों को पुलिस ने गिरफ्तार किया था. अब कोर्ट में वो सबूत कैसे पेश होंगे, उन्हें सजा कैसे होगी
मेवात में टोपी वालों की संख्या 80 प्रतिशत है, तो क्या उनकी आड़ में रोहिंग्याओं का इस तरह से इस्तेमाल हो रहा है
इसका फायदा किसे मिलेगा या किसे नहीं ये सवाल नहीं है. बल्कि सवाल ये है कि जिन राज्यों में रोहिंग्याओं की संख्या ज्यादा है, क्या वहां से भी उन्हें अब बोरिया-बिस्तर पैक करवाकर भगा देना चाहिए. जम्मू-कश्मीर, आंध्र प्रदेश, हरियाणा, राजस्थान और दिल्ली में सबसे ज्यादा रोहिंग्या हैं. और इन्हीं राज्यों में बीते कुछ समय में सबसे ज्यादा बवाल खड़े हुए हैं, अब जो लोग शरणार्थी बनकर आए हैं वो देश की शांति भंग करेंगे तो फिर बुलडोजर नहीं चलेगा तो क्या होगा. क्या रोहिंग्याओं के हितैषी इसका कोई जवाब देंगे.
ब्यूरो रिपोर्ट