सचिन के अनशन से कांग्रेस से ज्यादा बीजेपी परेशान
राजस्थान में सचिन पायलट अपनी ही सरकार के खिलाफ अनशन करने जा रहे हैं, लेकिन ये किसी को हैरान नहीं कर रहा है क्योंकि सीएम अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच जो गृहयुद्ध चल रहा है उसके किस्से जयपुर से दिल्ली तक मशहूर हैं. तो सवाल ये है कि राजस्थान में अब क्या होने वाला है. आने वाले दो महीने में दो बड़े फैसले हो सकते हैं जो दोनों पार्टियों के लिए दोधारी तलवार साबित होंगे. लेकिन सचिन पायलट के अनशन से जितनी खलबली कांग्रेस में है उतनी ही बीजेपी में भी है. इसके पीछे का कारण बड़ा दिलचस्प है. दरअसल राजस्थान की गलियों में मशहूर है कि जादूगर और रानी मैदान के बाहर रहकर भी फिक्स मैच खेल जाते हैं. पायलट बीजेप में नहीं जाएंगे इसके पीछे तीन कारण हैं. लेकिन पायलट के अनशन के दबाव में अगर गहलोत ने कोई कार्रवाई की तो रानी के नाराज होने का खतरा, और नहीं की तो प्लेन उड़ने को तैयार है ही. बस सवाल इतना है कि क्या पायलट के पास कोई पैराशूट है जो क्रैश की स्थिति में उन्हें बचा सकता है. सब कयास लगा रहे हैं कि पायलट बीजेपी में जाएंगे लेकिन ऐसा होना मुश्किल है जिसके पीछे तीन कारण हैं.

जादूगर के पास हैं तीन ब्रह्मास्त्र जो बिगाड़ेंगे सचिन का खेल
कारण नंबर एक- बीजेपी में वसुंधरा राजे, सतीश पूनिया और गजेंद्र शेखावत गुट पहले से सक्रिय हैं, राजे को किनारा करके किसी कांग्रेस से आये नेता को सीएम चेहरा बनाने का रिस्क बीजेपी नहीं लेगी.
कारण नंबर दो- सचिन पायल को मुख्यमंत्री का ही पद चाहिए. जो बीजेपी से पहले उन्हें कांग्रेस में मिल सकता है. बस लड़ाई तगड़ी करनी होगी. इसीलिए हो सकता है बहन-भाई ने ही पायलट को अनशन करने के लिए का हो.
कारण नंबर तीन- कुछ साल पहले जब अपने खेमे के विधायकों को लेकर सचिन मानेसर पहुंच गए थे. तब भी वो बीजेपी में शामिल नहीं हुए. मतलब दोनों के लिए ही जील फायदेमंद नहीं थी.

बीजेपी और कांग्रेस दोनों के लिए मुश्किल ये है कि अगर पुराने नेता पर भरोसा करें तो नए नाराज और नए पर भरोसा करें तो पुराने नाराज. और दोनों ही स्थिति में हार का खतरा.

कांग्रेस के सूत्र बताते हैं कि चुनाव के वक्त तय हुआ था कि ढाई साल अशोक गहलोत सीएम रहेंगे और ढाई साल सचिन पायलट लेकिन फिर जादूगर ने खेल कर दिया. ज्यादा विधायक भी उन्हीं के पाले में थे. क्योंकि गहलोत के खेमे के जिन नेताओं को टिकट नहीं मिला था उन्हें जादूगर ने निर्दलीय लड़वा दिया. तो अंत में सचिन पायलट के पास चंद विधायक ही बचे थे इसीलिए मजबूर हो गए. लेकिन अब चुनाव आने वाला है तो वो अपना दबाव दिल्ली तक पहुंचाना चाहते हैं. ये साफ है कि जनता के बीच सचिन पायलट की लोकप्रियता ज्यादा है लेकिन अशोक गहलोत अपने जुगाड़ के लिए जाने जाते हैं.
इसी जुगाड़ से उन्होंने राज्यसभा चुनाव में बीजेपी विधायक का वोट ले लिया था. तब भी ये बात चली थी कि वसुंधरा खेमे की उस विधायक ने अपनी नेता के कहने पर ही क्रोस वोटिंग की थी.
बीजेपी के सामने भी कांग्रेस जैसी ही मुश्किल राजस्थान में है लेकिन कांग्रेस आलाकमान के मुकाबले बीजेपी का आलाकमान कहीं ज्यादा पावरफुल है. उनकी बात टालकर कोई राजनीतिक की सड़क पर अपनी गाड़ी नहीं दौड़ा सकता है. लेकिन ये भी सच है कि वसुंधरा के कद का बीजेपी में कोई और नेता राजस्थान में तो फिलहाल नहीं है.
तो अगर येदुरप्पा की तरह वसुंधरा ने राजस्थान में कदम उठाया तो कर्नाटक जैसा ही हाल राजस्थान में भी हो सकता है. सचिन पायलट के बहाने कांग्रेस आलाकमान अशोक गहलोत को किनारे लगाना चाहता है. क्योंकि उन्होंने सोनिया गांधी के ऑर्डर को सरपास किया था. बाद में दिखावे की माफी जरूर मांगी लेकिन एक स्क्रिप्ट उसी दिन से दिल्ली में लिखी जा रही थी. जिसका ट्रेलर पायलट लॉन्च करने वाले हैं.