क्या मोदी-शाह पीछले दरवाजे से कुछ ऐसा करने वाले है जिसके बाद हिन्दुस्तान की सियासत हिल जाएगी? कश्मीर फिलहार बीजेपी के हाथ में है, लेकिन वहां चुनाव जीतकर सत्ता में आना बीजेपी के लिए इतना आसान भी नहीं है, इसलिए ये कल्पना की जा रही है कि एक मुस्लिम नेता को बीजेपी अपना हथियार बनाएगी, और उसी के कंधे का सहारा लेकर बीजेपी मुस्लिम सीएम बनाकर सत्ता हासिल कर सकती है…सुनिए विश्लेष आख़िर पिछे क्या कहानी रची जा रही है…

फरवरी 2021 में गुलाम नवी आज़ाद की राज्यसभा सदस्यता ख़त्म हो रही थी, PM मोदी ने फेयरवेल स्पीच में गुलाम नवी की तारीफ की थी तब किसको पता था एक दिन ये दोस्ती यहां तक पहुंच जाएगी…गुलाम नवी आज़ाद सोनिया गांधी, राहुल गांधी, राजीव गांधी और इंदिरा गांधी के करीबियों में से एक हैं…सोनिया गांधी को जो सलाह दी जाती थी उसमें ज्यादा सलाह गुलाम नवी आजाद की भी होती थी, पर ऐसा क्या हुआ को सोनिया के दुलारे मोदी की चालिसा पढ़ रहे है, खेल क्या चल रहा है? पिछले कुछ दिनों से गुलाम नवी आज़ाद मोदी की तारीफ खुले मंचों से करने लगे है, जम्मू कश्मीर में आने वाले वक्त में चुनाव है…और उससे पहले ही आज़ाद ने अपनी डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव आज़ाद पार्टी ली है…

कश्मीर में गुलाम नवी आज़ाद की पार्टी सभी सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारने वाली है, अगर कुछ एक सीट भी निकल जाती है तो बीजेपी गठबंधन कर सरकार बनाएगी, और अगर गुलाम नवी की ज्यादा सीटें आती है तो फिर सीएम भी बन सकते हैं, जैसे बीजेपी ने महबूबा के साथ किया था, बीजेपी के इतिहास में वो पहली बार हुआ था जब किसी मुस्लिम को CM बनाने के लिए सदन में समर्थन किया हो…यहां बीजेपी CM बनाएं या गुलाम सीएम बने चांदी बीजेपी की होगी क्योंकि….
गुलाम नवी आज़ाद कश्मीर के पहले भी मुख्यमंत्री रह चुके हैं, उनकी राजनीतिक पड़ा वहां आज भी स्थिर है, बीजेपी कश्मीर में काफी कमज़ोर है जबकि जम्मू में ल़ड़ाई एक तऱफा हो सकती है, कश्मीर की कमज़ोरी को दूर करने के लिए आज़ाद का प्रयोग होगा.

चुनाव से पहले परिसीमन भी हुआ, अब जम्मू कश्मीर में 83 की जगह 90 विधानसभा सीटें होंगी, पहले जम्मू 37 सीटें थी जिसे बढ़ाकर 43 कर दिया गया है, यानि बीजेपी जम्मू की सभी सीट भी जीत सकती है, इसलिए वहां परिसीमन कर अपना फायदा देखा जा रहा है, जबकि कश्मीर में कुल 47 सीटें हैं, जहां बीजेपी को बेहद कम सीटें मिलती है…लेकिन पहली बार 9 अनसूचित जनजाति के लिए रिजर्ब कर दी गई है जहां बीजेपी को फायादा हो सकता है…
गुलाम नवी आज़ाद की पार्टी पहला चुनाव लड़ने वाली है, मान लेते है उनकी 8 से 10 सीटें आती है तो फिर बीजेपी को बंपर फायदा होगा, गुलाम नवी आज़ाद भी ये बात समझ चुके है, कश्मीर में वो किंगमेकर बनकर निकलने वाले है…बीजेपी के लिए वो बड़ी भूमिका निभाने वाले है, हालांकि इस बाद के दावे कम है कि वो बीजेपी शामिल होंगे, क्योंकि बीजेपी से दूर रहकर ज्यादा अच्छा चुनाव लड़ सकते है, चुनावी नतीजों के बाद वो बीजेपी के साथ मिलकर सरकार बना सकते है!
जम्मू-कश्मीर को छोड़कर 1982 के बाद किसी स्टेट में कोई मुस्लिम सीएम नहीं बना, 1982 में अंतिम सीएम महाराष्ट्र के बने थे

सीएच कोया को छोड़कर बाकी 5 मुस्लिम सीएम कांग्रेस पार्टी से थे, केरल के सीएम कोया इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग से थे
भारत के पहले मुस्लिम सीएम एम ओ हसन फारूख थे जो कश्मीर से नहीं थे, ये 1967 में पॉन्डिचेरी के सीएम बने थे…
पिछले दो दिन पहले ही गुलाम नवी आज़ाद ने मोदी की तारीफ की थी, कुछ समय पहले पहले बीजेपी पद्म भूषण अवार्ड भी दिया था, यानि दोनों तरफ से GIVE AND TAKE चल रहा है, तो क्या रिश्ता चुनाव तक जाने वाला है, और बीजेपी अपनी सरकार में पहली बार किसी मुस्लिम को डिप्टी सीएम बनाने जा रही है?