अगर आपको भी लगता है कि 888 सीटों वाली नई संसद इसलिए बनाई गई है क्योंकि आने वाले दिनों में सांसदों की संख्या बढ़ जाएगी तो आप भी गलत हैं! ये एक ऐसा मास्टर प्लान है जिससे भारत की सियासत हमेशा हमेशा के लिए बदल जाएगी…इस 888 के योग में योगी का एक बड़ा फायदा होने जा रहा है! बात थोड़ी मुश्किल है इसलिए आप मुझे दो मिनट दीजिए…और पूरी कहानी समझिए…BJP कर्नाटक हार गई, अब बीजेपी के पास कोई भी दक्षिण राज्य नहीं है, यानि अगर दक्षिण राज्यों की संख्या लोकसभा में ज्यादा हो जाए तो मोदी भी आसानी से चुनाव हार जाएंगे? अब यहां से शुरू होता है बीजेपी के भविष्य का प्लान…

1976 में इंदिरा गांधी ने एक बड़ा कदम उठाया था, लोकसभा सीटों का परिसीमन हुआ था. उस वक्त 1971 की जनगणना को आधार मानकर भारत में लोकसभा की सीटें बढ़ाई गई थी. उस वक्त देश की आबादी 54 करोड़ थी, 10 लाख जनसंख्या के आधार पर लोकसभा सीट का फॉर्मूला अपनाया गया था? और 543 सीटें तय की गई थी.
2021 जनगणना के अनुसार भारत की आबादी है 121 करोड़ तो अगला परिसीमन जब होगा तब लोकसभा सांसदों की संख्या 1210 होनी चाहिए, लेकिन 888 सांसदों की संख्या पक्की मानी जा रही है….

जैसे UP में 80 लोकसभा सीटें हैं पर 2026 के बाद 147 सीटें हो सकती हैं, UP से योगी को हराना मुश्किल ही नहीं नामुकिन जैसा होगा!
महाराष्ट्र में 48 की जगह 82 सीटें हो जाएंगी! बिहार में 40 की जगह 76 सीटें हो जाएंगी! पश्चिम बंगाल में 42 की जगह 67 सीटें हो जाएंगी!
आंध प्रदेश दक्षिण भारत का एक प्रमुख राज्य है, जहां अभी 25 लोकसभा सीटें हैं पर परिसीमिन के बाद वहां सिर्फ 37 ही सीटें होंगी!
तेलंगाना में भी 17 सीटें है जो परिसीमिन के बाद 25 हो जाएंगी.यानि दक्षिण भारत में जो सीटें बढ़ेंगी उनकी संख्या बहुत कम होने वाली है!
यानि दक्षिणी राज्यों की सीटें परिसीमन के बाद ज्यादा नहीं बढ़ेंगी जबकि यूपी, बिहार, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र जैसे राज्यों में सीटें लगभग दो गुनी हो जाएंगी…और ये वही राज्य है जहां से योगी को लगभग हर सीट मिल सकती है…
2011 की जनगणना के मुताबिक दक्षिण भारत के राज्यों की औसत जनसंख्या वृद्धि दर 12.1% है, जबकि हिंदीभाषी राज्यों की औसत जनसंख्या वृद्धि दर 21.6%, यानी हिंदीभाषी राज्यों के मुकाबले करीब 9.5% कम. इसलिए दक्षिण के राज्यों को लगता है कि प्रति 10 लाख आबादी वाला फॉर्मूला अपनाया गया, तो लोकसभा में उनकी मौजूदगी उत्तर भारत के राज्यों के मुकाबले घट जाएगी. यही दिमाग नरेंद्र मोदी ने लगाया है जो संयोग से योगी के काम आ जाएगा.

2019 में भारत के पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने लोकसभा में 1000 सीटें करने की मांग की थी, रविवार को नई संसद के उद्घाटन के बाद पीएम मोदी ने भी कहा कि आने वाले समय में लोकसभा की सीटें बढ़ेंगीं, राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश सिंह और BJP राज्यसभा सांसद सुशील मोदी ने भी परिसीमन का जिक्र किया. ऐसे में संभावना जताई जा रही है कि 2026 में परिसीमन किया जा सकता है…अगर ऐसा होता है तो फिर योगी आदित्यनाथ को कोई भी PM बनने से रोक नहीं पाएगा…आप बताइए अगर PM बनाने का कंट्रोल यूपी, बिहार, महाराष्ट्र और मध्यप्रदेश की जनता को मिल जाएगा तो मोदी के बाद पीएम कौन बनेगा?