सियासत के सबसे बड़े सूरमा जब कोई चाल चलते हैं, तो शतरंज के बड़े-बड़े खिलाड़ी भी उसी नहीं पकड़ पाते, क्या मोदी और गहलोत ने भी कोई ऐसी ही चाल चल दी है. ये तस्वीर देखिए, पीएम मोदी ने क्रीम कलर की मोदी जैकेट, सफेद कुर्ता और सफेद पायजामा पहना है और उनके सामने खड़े राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत भी बिल्कुल उसी ड्रेस में हैं, यहां सवाल ये उठता है कि क्या ये किसी प्रोग्राम का ड्रेस कोड था, जिसमें पीएम मोदी के साथ राजस्थान के राज्यपाल कलराज मिश्र भी दिख रहे हैं, अगर ऐसा होता तो कलराज मिश्र इस ड्रेस में नहीं होते. फिर सवाल ये उठता है कि क्या मोदी ने दिल्ली से निकलने से पहले ही गहलोत को कह दिया था कि मैं ऐसे कपड़े पहनकर आऊंगा, आप भी वही पहनना, क्योंकि गहलोत और मोदी की दोस्ती पुरानी है. या गहलोत ने मोदी वाले गेटअप में दिखने के लिए खुद ही ये पता करवाया था. क्योंकि अब तक तो ऐसा नहीं हुआ कि किसी राज्य के मुख्यमंत्री ने पीएम मोदी को इस तरह से कॉपी किया हो, जिन राज्यों में बीजेपी की सरकार है, वहां की तस्वीरें भी आप देखिए लीजिए. गुजरात पीएम मोदी का गृहनगर है, लेकिन वहां के मुख्यमंत्री उनसे पैंट-शर्ट में मिलते हैं, मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान पायजामा-कुर्ता पहनते हैं, लेकिन हूबहू मोदीजी को कॉपी नहीं करते, ऐसे ही हर राज्य में होता है तो फिर गहलोत ने ऐसा क्यों किया. यहां चार तरह की संभावनाएं बनती हैं.

- पहला- हमारे सूत्र बताते हैं कि बीजेपी वसुंधरा राजे सिंधिया को साइडलाइन करना चाहती है, क्योंकि वसुंधरा के सीएम बनने के बाद प्रदेश में आफ्टर 8 PM, नो CM वाली कहावत शुरू हो जाती है, मतलब 8 बजे रात के बाद सीएम किसी ने नहीं मिलती. जबकि मोदी-शाह को 24 घंटे काम करने वाले नेता चाहिए, अभी गहलोत ने जब कहा कि वसुंधरा ने हमारी सरकार बचाई तो उससे वसुंधरा का पार्टी में ही विरोध शुरू हो गया, मोदी जिस कार्यक्रम में शामिल होने पहुंचे थे वो 12 तारीख को होना था, लेकिन उसे रिशेड्यूल किया गया.
- दूसरा- मोदी गहलोत से उम्र में 9 महीने बड़े हैं, मोदी गहलोत का सम्मान करते हैं और गहलोत प्रदेश के विकास को लेकर मोदी की हर बात मानते हैं, क्या मोदी और गहलोत के बीच ऐसी कोई बातचीत हुई है जो न पार्टी को पता है, न प्रदेश की जनता की और दोनों के रिश्ते मजबूत होते चले जा रहे हैं.
- तीसरा- पहले मोदी गहलोत की तारीफ करते थे, तो गहलोत करते थे ये तारीफ नहीं है, बस यूं ही हैं, लेकिन अब मोदी की तारीफ पर मुस्कुराते हैं, सियासत में एक बात कही जाती है कि सामने वाला जैसा व्यवहार करे, वैसा ही खुद बन जाओ क्योंकि वही आपकी छवि बना सकता है, मोदी खुले दिल से सबसे मिलते हैं, इसीलिए सब उन्हें पसंद करते हैं, तो क्या गहलोत मोदी से खुले दिल से मिलकर ये बताना चाहते हैं कि हमारी कोई दुश्मनी नहीं बस पार्टी अलग है.
- चौथा- गहलोत की उम्र अब पार्टी बदलने की नहीं रही, लेकिन सचिन पायलट बीते कुछ समय से उनकी सरकार पर आरोप लगा रहे हैं, और पायलट पर जिस तरह से राहुल-प्रियंका के हाथ रहने की बात आती रही है, मोदी के नजदीक जाकर क्या गहलोत बताना चाहते हैं कि हमारे लिए दरवाजे इधर भी खुले हैं.
- क्योंकि सियासत में कोई मुलाकात यूं ही नहीं होती, आपको ये तस्वीर देखकर क्या लगा आप कमेंट में बता सकते हैं, पर बड़े-बड़े राजनीतिक विश्लेषक इस तस्वीर को देखने के बाद इस बात को लेकर कंफ्यूज हैं कि रानी को मात देने के बाद जादूगर ने क्या कोई नई चाल चल दी है, या फिर मोदी जैसे सधे हुए नेता जो विरोधियों को परास्त करना अच्छी तरह जानते हैं उन्होंने विपक्ष को एक नया संदेश दे दिया है. बीते 8 महीने में मोदी 5 बार राजस्थान जा चुके हैं और हर बार आदिवासी इलाकों पर फोकस करते हैं, ये भी इत्तेफाक देखिए कि उधर कर्नाटक में वोटिंग चल रही है, इधर मोदी राजस्थान में प्रोग्राम कर रहे हैं, कई नेता इस पर सवाल उठाते हैं, लेकिन मोदी का काम करने का स्टाइल यही रहा है.
ब्यूरो रिपोर्ट न्यूज फ्लैश