जयशंकर और मोदी की जोड़ी ने जो पहला टास्क तैयार किया है वो 370 से भी बड़ा है.
क्या PM मोदी के दिमाग में कुछ ऐसा चल रहा है जिसका आभास देश के विपक्ष को नहीं है? तो क्या देश में 370 से भी बड़ा धमाका होने वाला है? ऐसा जिसकी कल्पना कम से कम कुछ साल पहले तक किसी ने नहीं की थी…तो क्या विपक्ष जहां मोदी से चुनाव लड़ना चाहता है, वो चुनावी लड़ाई नहीं है, बल्कि मंच कहीं और तैयार हो रहा है…PM ने कोरोना के वक्त कहा था, आपदा को अवसर में बदलना होगा! तो क्या वो वक्त आ गया है जब आपदा को अवसर में बदलकर भारत सबको सबसे बड़ा जवाब देने वाला है!

चीन और भारत के बीच हालात ठीक नहीं
दुनिया इस वक्त अलग-अलग कई भागों में बंट गई है, जैसे रूस के पीछे अमेरिका पड़ा है, चीन अमेरिका के पीछे पड़ा है, जबकि रूस और चीन एक साथ है, और चीन और भारत के बीच हालात ठीक नहीं है…तो यहां भारत सरकार ने अपनी भूमिका तलाश ली है.

चीन और ताइवान के बीच हालात शांति के लिए क्या मोदी आएगें साथ?
दुनिया चाहती है कि मोदी यूक्रेन और रूस के बीच के युद्ध को मोदी रूकवाए, उन्हें शांति के लिए आगे किया जाए…आने वाले वक्त में चीन और ताइवान के बीच यही हालात पैदा हो सकते है उस वक्त की स्थिति को रोकने के लिए अमेरिका को भारत का साथ चाहिए..

भारत की कुछ शर्तें है अमेरिका, चीन और रूस को मिलकर मानना ही पड़ेगा, जिसमें सबसे पहले है UNSC यानि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद भारत की स्थाई सदस्य बनाया जाए…कर्नाटक में जो विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा वो सुनिए.
UNSC का कब तक दरवाजा बंद रखा जाएगा..? हम सबसे बड़े लोकतंत्र’

यानि भारत अब हर कोशिश कर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्थाई जगह हासिल करना चाहता है…अगर भारत को स्थाई सदस्यता मिल गई तो ये जीत 370 से भी बड़ी होगी, और पूरा चुनाव यहां घूम जाएगा, जिसमें विपक्ष कुछ नहीं कर पाएगा…यहां सिर्फ स्थाई सदस्यता का मुद्दा नहीं है, क्योंकि भारत इससे भी बड़ा काम करने जा रहा है, मोदी सरकार की कोशिश है कि जैसे

US डॉलर, यूरो जैसी कई देशों की करेंसी से अब तक व्यापार होता था वो अब नहीं होगा, अब भारत अपने रूपए में सामान खरीदेगा, बेचना है तो बोलो नहीं तो आगे बढ़ो, जैसे रूस से तेल खरीद कर भारत रूपए में भुगतान कर रहा है, अब तक दुनिया के 64 देशों ने भारत के साथ रूपए में डील करने की दिलचस्पी दिखाई है…जिसमें रूस, जर्मनी, इज़राइल, इटली, ब्रिटेन सहित ब्राजिल और अफ्रीका के कई देश भी शामिल है…
फिलहाल भारत अभी 30 देशों के साथ रूपए में कारोबार शुरू भी कर चुका है..इस बात की तकलीफ़ अमेरिका को सबसे ज्यादा है, क्योंकि ऐसा करने से भारत सुपर पावर की तरफ बढ़ जाएगा
POK की विधानसभा में आए एक प्रस्तारव से पाकिस्तान में खलबली मच गई है…29 मार्च को वहां भारत से जुड़ी एक बड़ी घटना घटी, POK में तहरीक-एक-अंसाफ के राजनेता जावेद बट ने एक प्रस्ताव रखा, ये प्रस्ताव कुछ ऐसा ही था जैसा कुछ महीने महीने पहले अमित शाह ने संसद में रखा था!
कुछ महीने पहले शाह ने कहा था, POK से कश्मीर को जोड़ने के लिए एक कॉरिडोर बनाएंगे, जिससे धर्म के जुड़े लोग मां शारदा पीठ के दर्शन कर पाते…अब POK की विधानसभा में जो प्रस्ताव रखा गया उसके मुताबिक एक कॉरिडोर भारत की तरह हमें भी बनाना चाहिए, ताकि कश्मीर घाटी और POK के लोग एक दूसरे से मिल सकें और व्यापार शुरू हो जो सकें, जो साल 2019 के बाद से ही बंद पड़ा है!
साफ है कि POK के सीने में भी हिन्दुस्तान का दिल धड़क रहा है, और यहां भी POK से भारतीय को ख़ास लगाव है…यानि ये तीन हथियार अगर चुनाव से पहले मोदी ने चल दिए तो फिर दुनिया देखी कैसे भारत में एक तरफा चुनाव हुआ, जिसमें एक पार्टी की भयंकर जीत हो गई…क्योंकि इस बार चुनाव मोदी VS विपक्ष नहीं होगा, बल्कि विदेश नीति VS विपक्ष होने वाला है, यहां भारत के पास पाने के लिए सबकुछ है, दुनिया के ताकतवर देश अपना कद खोने से डर रहे है…
सूचना: अगर आपने ये रिपोर्टी पूरी सुन ली है तो आप कमेंट में हमारे सवाल का जवाब दीजिए…
सवाल: क्या मोदी के सत्ता में आने के बाद विदेशों में भारत की छवि बदली है या फिर ये सिर्फ मीडिया की ग़लत रिपोर्टिंग है?