योगी आदित्यनाथ ने जिस बात को लेकर कृषि आंदोलन पर सवाल उठाए, पीएम मोदी ने जिस वजह से कृषि कानूनों से कदम पीछे खींचे. वो क्या आज सच साबित नहीं हो रहा है. अरविंद केजरीवाल जो चिल्ला-चिल्लाकर कह रहे थे कि कोई खालिस्तानी नहीं है. कोई देशविरोधी नहीं है. वो अब क्या कहेंगे. उन्हीं की सरकार में, पुलिस के सामने, वो थाने में घुस आये कब्जा कर लिया और मफलरमैन की सरकार ने क्या किया. उन्हें गाजे-बाजे के साथ आजाद कर दिया. लेकिन क्या आप जानते हैं कि जिस लवप्रीत तूफान की रिहाई के लिए ये पूरा बवाल हुआ उसका आका अमृतपाल कौन है और किससे प्रभावित है. वो भिंडरावाले की तरह नीली पगड़ी पहनता है. उसी की तरह विचार रखता है. पंजाब के युवाओं में खालिस्तान का जहर घोलता है. उसने कहा था कि,

दिवंगत पीएम इंदिरा गांधी को खालिस्तान का विरोध करने की कीमत चुकानी पड़ी थी. हमें कोई नहीं रोक सकता, चाहे वह पीएम मोदी हों, अमित शाह हों या भगवंत मान.

तीन कृषि कानूनों के खिलाफ जब किसान दिल्ली में आंदोलन कर रहे थे तब पीएम मोदी जानते थे कि ये कानून गलत नहीं हैं. लेकिन इस आंदोलन में ज्यादातर किसान हरियाणा और पंजाब के थे. जब पीएम मोदी के पास इंटेलिजेंस रिपोर्ट आई तो पता चला कि इसमें बहुत सारे खालिस्तानी घूम रहे हैं, जिसका एक सबूत लाल किले पर हमें दिखा था. पीएम मोदी ने उस बंद कमरे में फैसला कर लिया कि वो कानून वापस ले लेंगे.

पीएम ने उस वक्त ये नहीं सोचा कि विपक्ष इसे उनके खिलाफ हथियार बनाएगा. यही विपक्ष ने किया भी अरविंद केजरीवाल जैसे नेता अब भी कहते हैं कि अगर वो कानून अच्छे थे तो वापस क्यों लिये तो उनके लिए पंजाब में जवाब है. अगर न्यूज रिपोर्ट्स पर भरोसा नहीं है तो भगवंत मान को फोन कर लें और पता कर लें कि वहां क्या चल रहा है. जब समझ आ जाये तो जनता को भी बता दें कि पीएम मोदी ने क्यों वो तीन कृषि कानून वापस लिये थे.

खालिस्तान समर्थक अमृतपाल सिंह और उसके समर्थकों पर चमकौर साहिब के रहने वाले वरिंदर सिंह को अगवा करने और मारपीट करने का आरोप लगा था. बरिंदर सिंह ने अपनी शिकायत में पुलिस को बताया था कि अमृतपाल सिंह के साथियों ने उसे अजनाला से अगवा कर लिया था और एक अज्ञात स्थान पर ले गए जहां उसकी बेरहमी से पिटाई की गई. शिकायत पर पुलिस ने अमृतपाल सिंह और समर्थकों पर केस दर्ज किया था. इस मामले में पुलिस ने अमृतपाल के करीबी लवप्रीत तूफान को हिरासत में लेकर पूछताछ की थी.

इसी पर लवप्रीत के समर्थक भड़क गए, उन्होंने थाने का घेराव कर दिया. हालात ऐसे बने कि पुलिस फोर्स कम पड़ गई. जमकर बवाल हुआ और अब पुलिस ने कहा है कि लवप्रीत के खिलाफ सबूत नहीं मिले इसलिए छोड़ दिया गया.
जेल से रिहा होने के बाद लवप्रीत ने कहा कि मैं सिख समाज का दिल से शुक्रिया अदा करना चाहता हूं. उन ऑफिसर्स का भी शुक्रिया जिन्होंने में अच्छी तरह रखा. वैसे इस दौरान ‘वारिस पंजाब दे’ के प्रमुख अमृतपाल सिंह ने बोला था कि हम खालिस्तान के मामले को बहुत ही शांतिपूर्ण तरीके से आगे बढ़ा रहे हैं. जब लोग हिंदू राष्ट्र की मांग कर सकते हैं तो हम खालिस्तान की मांग क्यों नहीं कर सकते.
अब अरविंद केजरीवाल ही जवाब दें वो खालिस्तान मांगने वालों के साथ हैं या फिर हिंदू राषट्र मांगने वालों के.