जिस दिन विराट कोहली सचिन का रिकॉर्ड की बराबरी कर दुनिया में नाम कमा रहे थे उसी दिन एक खिलाड़ी ठीक वीरेंद्र सहवाग स्टाइल में विस्फोटक बल्लेबाज़ी कर अपनी प्रतिभा का प्रमाण दे रहा था…क्रिकेट में ऐसे कम उदाहरण हैं कि कोई खिलाड़ी 100 की स्ट्राइक रेट से तिहरा शतक लगाए…टेस्ट क्रिकेट में वीरेंद्र सहवाग, ब्रॉयन लारा और मैथ्यू हेडेन जैसे बल्लेबाज़ ही ये कर सकते थे…पर एक सितारा लाख कोशिश करके भी टीम में जगह नहीं बना पाता है…पृथ्वी शॉ ने एक बार फिर तूफानी पारी खाली, प्लेसमेंट का मास्टर, सधे स्ट्रोक खेलकर रनों का पहाड़ बना देता है पर भाग्य साथ नहीं देता है…महाराष्ट्र की रणजी टीम से एक से बढ़कर एक स्टार निकले लेकिन पहली बार किसी बल्लेबाज़ ने सबसे ज्यादा रन बनाएं

भारत को कई सालों से एक टिकाऊ और तूफानी ओपनर की तलाश है, पृथ्वी शॉ कई साल से साबित कर रहे हैं दूसरी तरफ इधर BCCI सबको मौका दे रहा है पर पृथ्वी शॉ को नहीं…असम और महाराष्ट्र के बीच रणजी मैच में पृथ्वी शॉ ने सिर्फ 383 गेंदों पर 379 रन की पारी खेली, इंटरनेशनल टेस्ट क्रिकेट में 400 रन एक बार ही बना है…ब्रायन लारा ने 400 रन बनाकर वो रिकॉर्ड अपने नाम किया था…पृथ्वी शॉ 21 रन और बनाते तो रणजी में ही सही पर वो रिकॉर्ड भी तोड़ देते…379 रनों की पारी में 49 चौका है, यानि 196 रन सिर्फ चौके से आए…जबकि चार छक्का है…

अब आपको समझना होगा कि आख़िर जिस पृथ्वी शॉ की तारीफ खुद सहवाग करते हों, सचिन करते हैं उनको अब तक मौका क्यों नहीं मिला है? एक बार मौका मिला तो खुद को साबित किया फिर भी BCCI में कौन हैं जो करियर को बर्बाद करना चाहता है…पृथ्वी शॉ ने असम के गेंदबाजों की ऐसी धुलाई की कि, वो अपनी लाइन लेंथ तक भूल गए. ये रन उन्होंने दूसरे ही दिन पूरे कर दिये. कभी सचिन तेंदुलकर से पृथ्वी की तुलना होती थी क्योंकि स्कूल क्रिकेट में भाईसाहब ने 500 रन ठोक दिये थे. फिर वीरेंद्र सहवाग से पृथ्वी की तुलना होने लगी क्योंकि बंदा पहली गेंद से ही बाउंड्री लगाना शुरू कर देता है. मतलब परफेक्ट टी20 प्लेयर लेकिन 2021 के बाद से उन्हें टी20 क्रिकेट नहीं खिलाया गया है.

पिछले साल जब पृथ्वी ने आईपीएल के एक ओवर में 6 चौके जड़े तो सहवाग ने उनकी तारीफों के पुल बांध दिये थे. सहवाग ने कहा था कि जो मैं कभी नहीं कर पाया वो आपने कर दिखाया, पृथ्वी आपको सलाम. ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेटर शेन वॉट्सन ने भी कहा था कि पृथ्वी में गजब का टैलेंट है.
पृथ्वी शॉ वो खिलाड़ी हैं जो बचपन से ही चर्चाओं में रहे हैं. 3 साल की उम्र में क्रिकेट खेलना शुरू करने वाले पृथ्वी शॉ ने 14 साल की उम्र तक आते-आते कई रिकॉर्ड बना दिये थे और क्रिकेट जगत में चर्चा थी कि कोई लड़का आ रहा है. लेकिन उसके लिए पृथ्वी के पिता ने अपना सबकुछ दे दिया. व्यापार छोड़कर बेटे की परवरिश में लग गए क्योंकि चार साल की उम्र में पृथ्वी शॉ की मां का निधन हो गया था.
इसके बाद पृथ्वी ने बल्ले से दोस्ती कर ली. उन्होंने दिलीप ट्रॉफी में सबसे कम उम्र में शतक लगाया और सचिन का रिकॉर्ड तोड़ा. एक वक्त था जब पृथ्वी बच्चे हुआ करते थे और कई बार पिता काम से बाहर जाते थे तो वो अकेले क्रिकेट खेलने निकल जाते थे. खुद उठना, खुद नाश्ते का जुगाड़ करना और किट बैग पैक करके खुद खेलने जाना किसी 7-8 साल के बच्चे के लिए आसान नहीं होता. लेकिन आज लोग कहते हैं कि वो अपने क्रिकेट को लेकर सीरियस नहीं हैं, उन्हें जानना चाहिए कि जिसने 3 साल की उम्र में बल्ला थाम लिया हो. अपनी मां के बिना पिता के साथ अकेले सब किया हो वो सीरियस नहीं होगा.
2013 में अपने स्कूल रिजवी स्प्रिंगफील्ड की तरफ से खेलते हुए शॉ ने 330 गेंदों में 556 रनों की पारी खेल डाली थी, हैरिस शील्ड मैच में बनाया गया ये रिकॉर्ड उनके करियर में मील का पत्थर साबित हुआ. अब पृथ्वी शॉ का ये रिकॉर्ड प्रवीण धनावड़े तोड़ चुके हैं जिन्हें जल्द ही हम बड़े क्रिकेट में देखेंगे.
पृथ्वी अपनी प्रैक्टिस के लिए डेढ़ घंटे तक ट्रेन में सफर करके जाते थे. वो रोजाना विरार से बांद्रा तक लोकल ट्रेन में सफर करते थे. जिस क्लब में सचिन के बेटे अर्जुन खेलते थे उसी में पृथ्वी भी थे लेकिन देखिए टैलेंट गरीब का भी हो तो दिखता जरूर है. लेकिन उसे रोकने की कोशिशें कभी रुकती नहीं हैं….