जो ख़बर हम आपको दिखाने जा रहे हैं वो ख़बर साल 2023 की सबसे बड़ी सनसनी है…ये पहली बार है जब बागेश्वर सरकार पंडित धीरेंद्र शास्त्री पर राम कथा छोड़कर भागने का गंभीर आरोप लगा है…(अख़बार की कटिंग लगाए यहां) दावा किया जा रहा है कि एक व्यक्ति ने बाबा से ऐसा सवाल पूछा कि बाबा ने बीच में ही राम कथा छोड़ दी…) वो सवाल क्या था और 30 लाख इनाम की बात कहां से आई? बाबा को चैलेंज करने वाला कौन है? हमें भी ये बात समझ में नहीं आई कि जो बाबा टीवी कैमरे के सामने बेबाकी से जावाब देते हैं उन्होंने रामकथा बीच में क्यों छोड़ दी होगी? सवाल उठता है कि क्या बाबा की लोकप्रियता से घबरा कर कोई उन्हें फंसाना चाहता है? या सच कुछ और है….हम इस मामले की एक-एक परत आपको समझाते हैं…5 जनवरी से 13 जनवरी तक नागपुर के रेशमबाग मैदान में बाबा की रामकथा थी…राम कथा में सबकुछ ठीक था, भक्त बाबा के पास आते और बाबा उनकी कुंडली खोलकर उनकी समस्या का हल भी करते हैं…यानि 5,6,7 तारीख तक राम कथा में बड़े-बड़े नेता आए, यहां तक कि महाराष्ट्र के डिप्टी CM देवेंद्र फड़नवीस तक आए, लाखों की भीड़ जमा थी….तभी 8 तारीख को एक बवाल होने वाला था…एक तरफ बागेश्वर सरकार किसी की पोल खोलते हैं, दूसरी उनकी पोल खोलने का दावा करने वाला आ जाता है…8 तारीख को नागपुर के रामकथा पण्डाल में एक व्यक्ति बाबा से अपनी समस्या पूछता है…बाबा जो बोलते हैं उसी पर बवाल हो जाता है, और वही वीडियो थाने तक पहुंचता है

भूत-बाधा की सवारी आती है, उपद्रव किया गया है, गंदा तांत्रिक किया गया है, तबीयत ठीक नहीं रहती है, अकाल मृत्यु, अभी तक घर में पांच मृत्यु हुई है, ये मृत्यु पृतिदोष के कारण होती है. आपके पिता का नाम शंकर लाल है. आगे बाबा भक्त को डांटते हुए कहते हैं तुम माइक पर सबको सच बताओ नहीं हम तुम्हारा कांड सबके सामने खोल देंगे.

धीरेंद्र शास्त्री का ये वीडियो नागपुर में वायरल हुआ, और अंध श्रद्धा समिति के सदस्यों ने वीडियो को देख आपत्ति जताते हुए बाबा को पहले चैंलेंज कर डाला, और पंडाल तक संदेश पहुंचवाया कि अगर बाबा हमारी बातों का उत्तर देंगे और शक्ति की परीक्षा पास करेंगे तो हम 30 लाख देंगे, नहीं तो कोर्ट में जाकर बाबा को भंडाफोड़ कर देंगे…9 तारीख को समिति के सदस्यों ने वीडियो को आधार बनाकर थाने में शिकायत की…हालांकि FIR नहीं हुई, तो समिति ने बागेश्वर सरकार को चैलेंज कर एक सवाल पूछा…

अंध श्रद्धा समिति के सदस्य मानव ने सवाल पूछा कि बाबा बताएं मेरा मोबाइल नंबर क्या है? दूसरे वाले कमरे में 10 कौन-कौन सी वस्तुएं रखी गई है? मेरी आयु क्या है? अगर बता देंगे तो हम शक्ति का प्रमाण मानकर बाबा की भक्ति में लीन होकर 30 लाख का इनाम देंगे, और अगर बाबा फेल हो गए तो तो कोर्ट-कचहरी तक बुलाएंगे. ये सवाल बाबा के सामने नहीं बल्कि मीडिया के ज़रिए पूछा गया, दावा किया जा रहा था कि बाबा की शक्ति की परीक्षा 12 या 13 को होनी थी. समिति के लोग पहुंचते उसके पहले बाबा 2 दिन पहले ही राम कथा ख़त्म कर चले गए.

अब समझ में ये नहीं आता है कि बाबा तो कुछ भी बता देते हैं फिर वो मैदान छोड़कर क्यो चले गए? या फिर सिर्फ बाबा को बदनाम करने की साज़िश है, क्योंकि जब बाबा से मीडिया ने पूछा आपको पाखण्डी और झूठा कहा जा रहा है तो बाबा ने जो कहा वो और हैरान करता है…
हमें नहीं पता, हमें तो कल ही पता चला था, ये सब होता रहता है. ये कोई नई बात नहीं है. भारत के इतिहास में जिसने भी सनातन की बात मजबूती से उठाई है, उसके पीछे आदिकाल से धर्म विरोधी लोग लगे रहे, आगे भी लगते रहेंगे. सनातन विरोधियों की ठठरी. हमें कोई दिक्कत नहीं है. बागेश्वरधाम ने चैलेंज पर कहा-हाथी चले बाजार, कुत्ते भौंके हजार…
किसी भी व्यक्ति पर जिसकी महानता और जिसकी शक्ति पर लाखों, करोड़ों को भरोसा है, नितिन गडकरी से लेकर बड़े बड़े नेताओं को विश्वास हो क्या उसपर एक छोटी सी बात को लेकर आरोप लगाना ठीक है? बिना प्रमाण के एक सम्मानित व्यक्ति को बदनाम करने वालों की भी जांच होनी चाहिए? क्योंकि अगर बाबा नागपुर की कथा छोड़कर भाग गए तो सवाल पूछने वाले को बागेश्वर धाम जाकर पूछना चाहिए, सवाल में दम होगा तो वो कहीं से भी पूछा जा सकता है. और सिर्फ बदनामी की साज़िश है तो फिर जनता समझदार है वो तय करेगी सच क्या है…