क्या ऑपरेशन अमृतपाल और किसान आंदोलन 2.0 का कोई कनेक्शन
किसान एक बार फिर दिल्ली पहुंच गए हैं. रामलीला मैदान में उन्होंने डेरा डाला है. सालभर पहले जिस वजह से पीएम मोदी ने कृषि कानून वापस लिये थे वो सच साबित हुई. जिसका सबूत ऑपरेशन अमृतपाल है. जो दीप सिद्धू का चेला है, जिसने पहले किसान आंदोलन में बवाल मचाया था. अब जब पंजाब में ऑपरेशन अमृतपाल चल रहा है. तो किसान फिर से दिल्ली में आ गए हैं. 11 मांगे लेकर वो रामलीला मैदान में बैठ गए हैं, लेकिन पिछली बार की गलती पीएम मोदी इस बार नहीं दोहराना चाहते हैं तो पहले ही दिन किसानों को कृषि मंत्री ने बुला लिया. लेकिन क्या ऑपरेशन अमृतपाल और किसान आंदोलन 2.0 का कोई कनेक्शन है. ये बड़ा सवाल है. जिसका जवाब पूरी रिपोर्ट देखने के बाद आप समझ पाएंगे.

संयुक्त किसान मोर्चा एक बार फिर 11 मांगे लेकर दिल्ली के रामलीला मैदान पहुंचा है. और ये किसानों के लिए कोई फ्री टाइम नहीं है. क्योंकि गेहूं की फसल आने वाली है और किसानों के पास बहुत काम है लेकिन फिर भी किसान दिल्ली जा पहुंचे हैं. उधर पंजाब में ऑपरेशन अमृतपाल चल रहा है. संयुक्त किसान मोर्चा में ज्यादातर किसान संगठन पंजाब के हैं. इसी ने पिछला आंदोलन भी सबसे आगे रहकर चलाया था.
दिल्ली में किसान आंदोलन पार्ट-2 (Kisan Andolan Part 2) किसानों की सरकार से मांगें

- एमएसपी की गारंटी किसानों की सबसे बड़ी मांग है.
- स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट में सी2+50 फॉर्मूले की मांग
- किसानों की कर्जमाफी और खाद की कम कीमत
- बिजली संशोधन विधेयक 2022 को वापस लिया जाये
- किसानों को फ्री बिजली और गांव में परिवारों को 300 यूनिट फ्री बिजली
- अजय मिश्रा टेनी को कैबिनेट से बाहर किया जाये, और गिरफ्तारी हो
- लखीमपुर में मारे गए किसानों को मुआवजा दिया जाये
- फसल बीमा योजना को रद्द किया जाये
- किसान आंदोलन के दौरान दर्ज हुए मुकदमे वापस लिये जाये

पीएम मोदी ने कृषि कानून क्यों वापस लिये थे, ये थी बड़ी बजह
इसी तरह की 11 मांगे लेकर किसान फिर से दिल्ली पहुंचे हैं. अब आप जरा थोड़ा पीछे चलिये, जब सिंघू बॉर्डर पर किसानों का आंदोलन चल रहा था और पीएम मोदी ने कृषि कानून वापस लेने का ऐलान किया तो केजरीवाल जैसे नेताओं ने कहा कि देखिए हम पहले से ही कह रहे थे कि ये कानून गलत हैं और अब पीएम ने भी मान लिया. लेकिन उन्होंने पीएम की वो बात नहीं सुनी जब उन्होंने कहा कि शायद हम इन कानूनों का फायदा किसानों को समझा नहीं पाये.
केजरीवाल की समझ में शायद अब आया होगा कि पीएम मोदी ने उस वक्त ये कानून वापस क्यों लिये थे. हालांकि वो ये बात मानेंगे नहीं, लेकिन भगवंत मान और केजरीवाल दोनों जानते हैं कि पंजाब में जो हो रहा है, उसे बहुत पहले ही हवा मिल गई होती अगर पीएम मोदी ने वो कदम ना उठाये होते.
अब किसान एक बार फिर दिल्ली के रामलीला मैदान में बैठ गए हैं, लेकिन उनकी संख्या पहले जितनी नहीं है. किसानों का कहना है कि अगर सरकार ने उनकी मांगे नहीं मानी तो 20-21 दिन तक आंदोलन चलेगा. केंद्र सरकार ने किसानों को बातचीत के लिए बुलाया है और पीएम मोदी के साथ अमित शाह की भी इस पर नजर है. अजीत डोभाल भी इस ओर ध्यान लगाए हुए हैं. और इस सबके बीच कृषि मंत्री को मोर्चे पर लगाया गया है. राकेश टिकैत ने कहा है कि, हमने एमएसपी कमेटी की मांग नहीं की. हमने एमएसपी गारंटी कानून की मांग की है. उन्होंने कहा कि हमने मुजफ्फरनगर में बीजेपी को 8 सीटें से घटाकर 1 सीट पर ला दिया. 2024 में भी बीजेपी का ऐसा ही हश्र होगा.
ब्यूरो रिपोर्ट न्यूज फ्लैश