राहुल गांधी के घर दिल्ली पुलिस का पहुंचना, और मीडिया में इस बात की चर्चा छिड़ना कि उनकी सांसद पद से छुट्टी होने वाली है, बड़े सवाल खड़े कर रहा है, हर कोई ये जानना चाहता है कि अमेठी में हार के बाद केरल में अपनी सियासी जमीन तलाशने वाले राहुल का राजनीतिक भविष्य क्या पूरी तरह खत्म होने वाला है, जब हमने इसे समझने की कोशिश की तो कुछ चौंकाने वाली बातें पता चली, जिसके बारे में बताने से पहले हम आपको वो तस्वीर दिखाना चाहते हैं, जिसके जरिए ये दावा किया जा रहा है कि राहुल गांधी टूटा हुआ फोन रखते हैं.
टूटा हुआ फोन क्यों रखते हैं राहुल गांधी?
ये तस्वीर 19 मार्च की दोपहर की है, दिल्ली पुलिस की एक टीम अचानक से राहुल गांधी के घर पहुंची, और उनसे बातचीत कर ये पूछा कि श्रीनगर में भारत जोड़ो यात्रा के दौरान आपने कहा कि कुछ महिलाओं ने आपसे शिकायत की कि उनका उत्पीड़न हो रहा है, तो क्या उनकी डिटेल्स हमें आप दे सकते हैं, हम उनकी शिकायतों का समाधान करना चाहते हैं, जिस पर राहुल ने 4 पन्नों का जवाब दिया और कहा विस्तृत जवाब के लिए थोड़ा वक्त चाहिए. उसके बाद राहुल गांधी कार ड्राइव करते हुए अपने आवास से निकल गए, लेकिन कार वाली ये तस्वीर जब वायरल हुई तो कई लोगों का ध्यान टूटे हुए फोन पर गया और लोग पूछने लगे कि क्या कुर्ते की फटी जेब में हाथ डालकर दिखाने वाले राहुल टूटा हुआ फोन रख रहे हैं, वैसे तो राहुल के पास किसी चीज की कमी नहीं है, उनके नाम 16 करोड़ की संपत्ति है, वो खुद लैंड क्रूजर और सफारी से चलते हैं. लेकिन कहते हैं मेरे नाम न तो खुद का घर है और न गाड़ी. और अब लगता है सांसद पद से भी छुट्टी हो जाएगी, क्योंकि उनकी संसद सदस्यता छीनने की तैयारी होने लगी है.
विशेष समिति कर सकती है राहुल के बयान की जांच
बीजेपी नेताओं ने लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला से मुलाकात कर एक समिति बनाने की मांग की है, जो इस बात की जांच करेगी कि क्या राहुल गांधी ने लंदन की धरती पर जाकर सच में भारत का अपमान किया है, ये समिति इतनी पावरफुल होगी कि इसकी सिफारिशें राहुल की सांसद पद से छुट्टी करवा सकती है, केन्द्रीय कानून मंत्री किरेण रिजिजू पहले ही कह चुके हैं कि राहुल माफी मांगें, वरना देश का अपमान करने वालों पर हम चुप नहीं बैठेंगे. हालांकि इस तरह की समिति बनाने की मांग कोई पहली बार नहीं हो रही है, कैश फॉर क्वेरी घोटाले के वक्त भी ऐसी ही समिति बनाने की मांग उठी थी और उसमें 11 सांसदों के खिलाफ कमेटी ने जांच की थी. और ये कहा था कि 10 सांसदों पर आरोप सिद्ध हो चुके हैं. कुछ महीने पहले ही संसद में पीएम मोदी ने इस घोटाले का जिक्र किया तो कांग्रेस तमतमा उठी थी और अब फिर से इसका मुद्दा गरमा सकता है, ऐसे में ये जानना भी जरूरी है कि आखिर ये घोटाला क्या था.
क्या है कैश फॉर क्वेरी घोटाला?
‘कैश-फॉर-क्वेरी’ घोटाले का पर्दाफाश एक वेबसाइट कोबरापोस्ट ने स्टिंग ऑपरेशन में किया था, जिसमें 11 पूर्व सांसदों को संसद में सवाल उठाने के बदले पैसा लेने की बात स्वीकार करते हुए दिखाया गया था. मामले में आरोपी 11 पूर्व सांसदों में से छह बीजेपी के, तीन बीएसपी के और एक-एक आरजेडी और कांग्रेस के थे. 12 दिसंबर 2005 को ये स्टिंग ऑपरेशन हुआ, उसके बाद बीजेपी के वाई जी महाजन, छत्रपाल सिंह लोढ़ा, अन्ना साहेब एमके पाटिल, चंद्र प्रताप सिंह, प्रदीप गांधी, सुरेश चंदेल और बीएसपी के लाल चंद्र कोल, राजा रामपाल और आरजेडी के मनोज कुमार और कांग्रेस के राम सेवक सिंह की खूब किरकिरी हुई थी.