राहुल गांधी को कल तक कहते थे बुरा भला सांसदी जाते ही,अब राहुल के लिए लिया मोदी से विरोध
राहुल के OUT होने के बाद अब कौन आएगा? मोदी का सबसे बड़ा विरोधी कौन होगा? किसको जनता मोदी का विकल्प मानेगी? UP में मायावती भतीजे की शादी में व्यस्त हैं, बंगाल में ममता में कितना दम है, इधर से कुछ नेता बिना सांसद के ही खुद को मोदी को विरोधी मान बैठे हैं. जरा सोचिए जिस पार्टी का एक भी सांसद लोकसभा में नहीं है, वो लोकसभा चुनाव 2024 में मोदी को चैलेंज करने की तैयारी कर रहा है. कुर्सी की लीला देखिए, वो जिस राहुल को गाली देकर सत्ता के गलियारों तक पहुंचा अब उसी राहुल की सांसदी जाने पर रो रहा है. खुद को मोदी का सबसे बड़ा विरोधी बताने पर तुला है. जिस कांग्रेस को वो पहले भ्रष्टाचारी कहता था अब उसी के पाले में आकर खड़ा हो गया है. जिस गांधी परिवार को वो रोज गाली देता था, अब उसी कांग्रेस से उसे प्यार हो गया है. भगवान रे सत्ता की गजब लीला है. बिना सांसद वाला नेता भी प्रधानमंत्री बनने का सपना देख रहा है, यही तो लोकतंत्र है, लेकिन वो ये भूल रहा है कि जब देवगौड़ा पीएम बने थे तब उनकी पार्टी के पास भी 46 सांसद तो थे. फिर भी उन्हें इतिहास का सबसे कमजोर प्रधानमंत्री कहा गया.

पीएम मोदी के लिए विपक्ष का सब से बड़ा चेहरा अब अरविंद केजरीवाल हो सकते हैं
लेकिन अरविंद केजरीवाल ने इसकी नींव राहुल की सांसदी जाने से पहले ही रख दी थी, राहुल पर कार्रवाई से पहले ही केजरीवाल ने 14 पार्टियों को एकजुट करने का प्लान बना लिया. मध्य प्रदेश में 14 मार्च को ये भी ऐलान कर दिया कि आम आदमी पार्टी 230 सीटों पर चुनाव लड़ेगी. हालांकि 2014 के चुनाव में भी आम आदमी पार्टी ने सभी सीटों पर चुनाव लड़ा था और 400 से ज्यादा उम्मीदवारों की जमानत जब्त हुई थी.

आम आदमी पार्टी अगर लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ती है तो भी कांग्रेसका सबसे ज्यादा नुकसान होगा समझिये कैसे
तो सवाल ये है कि क्या केजरीवाल विपक्ष का चेहरा बनने की तैयारी में हैं, अगर बन गए तो दिल्ली कौन चलाएगा, ये तो आपने भी गौर किया होगा कि राहुल गांधी की सदस्यता जाने से जितने कांग्रेसी दुखी नहीं हुए, जितना विरोध उन लोगों ने नहीं किया, उससे ज्यादा आम आदमी पार्टी के मुखिया केजरीवाल ने किया. विधानसभा तक में कहा कि मोदी अनपढ़ प्रधानमंत्री हैं, सड़क से लेकर सोशल मीडिया तक ये कहा कि राहुल के साथ गलत हुआ, पर इसकी आड़ में वो अपनी सियासी रोटी सेंकने का जो प्लान बना रहे थे, वो शायद आपकी पकड़ में नहीं आ पाया.
- अब राहुल गांधी 8 साल चुनाव नहीं लड़ पाएंगे,ममता बनर्जी मोदी के विरोध में विपक्ष का चेहरा नहीं बनने वाली हैं
- मायावती और अखिलेश का हाल सबको पता है, केसीआर प्लान में थे लेकिन बेटी पर कार्रवाई के बाद शांत बैठे हैं
- विपक्ष का चेहरा वही बनेगा जो मोदी को जितना ज्यादा कोसेगा, आक्रमक रहेगा और हराने का दम भरता रहेगा
- केजरीवाल ये तीनों काम बखूबी कर रहे हैं, मतलब कांग्रेस पर आई आपदा में वो अवसर तलाशने की जुगत में हैं
केजरीवाल यही चाहेंगे कि उनकी पार्टी राष्ट्रीय पार्टी बन चुकी है और विपक्षी नेताओं का बड़ा कांटा निकल चुका है, लेकिन अगर आम आदमी पार्टी ने बीजेपी को चैलेंज देने के लिए 543 लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ने का प्लान बनाया तो इससे बीजेपी से ज्यादा कांग्रेस को नुकसान होगा, वो क्यों हम आपको समझाते हैं.
आम आदमी पार्टी 8 सालों में सिर्फ एक सांसद बना पाई और वो थे भगवंत मान, जिन्हें केजरीवाल ने पंजाब का मुख्यमंत्री बनाकर लोकसभा में अपनी उपस्थिति जीरो कर ली, वो देश की जनता को फ्री-फ्री के मुद्दे पर लुभाना चाहते हैं, लेकिन गुजरात में जो हुआ वो इस बात का सबूत था कि केजरीवाल की चाल भी अब देश समझ चुका है.

आपको ये जानकर हैरानी होगी कि गुजरात विधानसभा चुनाव में जैसे ही आम आदमी पार्टी की एंट्री हुई, कांग्रेस की सीटें सिमट गईं, बीजेपी फिर से सत्ता में आ गई और यही हाल पूरे देश में हो सकता है. इसलिए अगर आप ये सोच रहे हैं कि केजरीवाल सच में राहुल की सांसदी जाने से दुखी हैं तो सियासत को समझना आपके लिए बेहद जरूरी है. ये वही केजरीवाल हैं जिन्होंने साल 2013 में मनमोहन सरकार की ओर से लाए गए विधेयक का विरोध किया था, कहा था 5 साल की सजा के बाद संसद सदस्यता छीनने का बिल लाकर सरकार संसद में अपराधियों को जाने का रास्ता देना चाहती है, ये बिल राहुल गांधी ने ही फाड़ा था, अगर वो गलती राहुल ने नहीं की होती तो आज सांसदी न जाती. आपको क्या लगता है केजरीवाल का प्लान 2014 की तरह ही फेल हो जाएगा या फिर कुछ नया करेंगे, क्योंकि केजरीवाल ने तो 2014 में भी मोदी को चुनौती थी, पर मोदी के सामने ही हार गए थे.