दिवंगत सीडीएस जनरल बिपिन रावत का एक और सपना मोदी सरकार ने साकार कर दिया है, जिस थिएटर कमांड का ड्रीम प्रोजेक्ट बिपिन रावत बराबर पीएम मोदी से डिस्कस करते थे, उससे जुड़ा बिल राजनाथ सिंह ने मंगलवार को सदन में पेश किया, दोनों सदनों से पास होने के बाद ये राष्ट्रपति के पास पहुंचा और इसी के साथ ये साफ हो गया कि भारतीय सेना में अमेरिका, चीन और रूस वाली व्यवस्था आने वाली है, लेकिन ये समझाएं कि ये बिल क्या है, उससे पहले सुनिए रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने सदन में खड़े होकर भारतीय सेना के लिए कितना बड़ा ऐलान किया है, जिससे पाकिस्तानी सेना की हवा खराब हो जाएगी.
रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने भारतीय सेना के लिए किया बड़ा ऐलान

मतलब साफ है कि मोदी सरकार सेना को हरसंभव मजबूती देगी. और थिएटर कमांड उसी से जुड़ा एक बड़ा कदम है. थिएटर कमांड का मतलब ये है कि तीनों सेनाओं में तालमेल के लिए एक संस्था बनाई जाएगी, जिसे कहा जाएगा थिएटर कमांड. अब सवाल है कि इसकी जरूरत क्यों पड़ी, इतने सालों से बिना इसके काम तो चल ही रहा था, तो इसका जवाब समझने के लिए आपको दो उदाहरण देता हूं.
सेना अधिनियम 1950, वायु सेना अधिनियम 1950 और नौसेना अधिनियम 1957

अभी सेना अधिनियम 1950, वायु सेना अधिनियम 1950 और नौसेना अधिनियम 1957 तीन अलग-अलग कानून तीनों सेनाओं के जवानों पर लागू होते हैं, लेकिन नए नियम से एक ही कानून लागू होगा. कार्रवाई की प्रक्रिया में वक्त बचेगा और खर्चा भी बचेगा.
अगर कहीं तीनों सेना के जवान एक साथ काम कर रहे हैं, कोई ऑपरेशन चला रहे हैं, तो उन्हें बेहतर तालमेल मिल पाएगा, ये कमांड चीन-पाकिस्तान और हर बड़ी चुनौती से निपटने में सक्षम होगा.
आप ये जानकर हैरान हो जाएंगे कि अमेरिका के पास 11 थिएटर कमांड हैं और चीन के पास 5 थिएटर कमांड्स हैं, जिनमें से एक थिएटर कमांड के जरिए वो भारत पर नजर रखता है. अब आप समझ गए होंगे कि भारत को थिएटर कमांड की क्या जरूरत पड़ी. अब सवाल है कि ये काम कैसे करेगा. हिमालय का क्षेत्र, गुजरात का कच्छ और राजस्थान के रेगिस्तान जैसे इलाकों को देखते हुए अलग-अलग थिएटर कमांड बनाए जा सकते है. क्योंकि रेगिस्तान के इलाके से जो जवान परिचित होंगे, जो कमांड वहां का काम बखूबी देखेगा, वो युद्ध या आपदा के दौर में कई नए आइइडियाज भी दे सकता है, जैसे आपने देखा होगा पाकिस्तान से युद्ध के वक्त भारतीय सेना ने लंच बॉक्स बिछाकर पाकिस्तानियों को डरा दिया था और फिर सुबह एय़रफोर्स ने मोर्चा संभाला था. मतलब इसके कई फायदे हो सकते हैं, जिनमें से तीन बड़े फायदे हम आपको गिनवाते हैं.
पहला फायदा- फिलहाल देश में करीब 15 लाख सैन्य बल है, इन्हें संगठित करके थिएटर कमांड बनेगा तो इनके आधुनिकीकरण पर होने वाला अलग-अलग खर्च बचेगा, मतलब लाखों-करोड़ों की बचत होगी.
दूसरा फायदा- एक ही तकनीक का इस्तेमाल तीनों सेनाओं के जवान जरूरत पड़ने पर कर सकते हैं, मतलब कभी आर्मी को ऑपरेशन में एयरफोर्स की जरूरत पड़ी तो तुरंत मदद मिलेगी, ज्यादा जगह से आदेश नहीं लेना होगा.
तीसरा फायदा- जनरल बिपिन रावत ने खुद कहा था कि थिएटर कमांड में बनी रणनीति दुश्मनों और युद्ध की चुनौतियों से निपटने में मदद करेगी, खासकर चीन भारत के खिलाफ थिएटर कमांड में ही रणनीति बनाता है.
मतलब आप समझ गए होंगे कि ये वाली रणनीति जो है वो पाकिस्तान से ज्यादा चीन से निपटने के लिए जरूरी है, क्योंकि कहते हैं दुश्मन के हथियार से ही उसे मात देने का मजा अलग होता है. पाकिस्तान तो पहले से ही कंगाली के दौर से गुजर रहा है, 10 अगस्त की रात वहां अचानक से राष्ट्रपति ने संसद भंग का ऐलान कर सबको चौंका दिया, बाद में पता चला इमरान को जेल भेजने के बाद शहबाज शरीफ अब जल्दी चुनाव करवाना चाहते हैं, पर पाकिस्तान के जो हालात हैं, आर्थिक तंगी, राजनीतिक अस्थिरता और दुनियाभर में खराब छवि से वहां की जनता परेशान हो चुकी है, भारत तो अपनी पीओके लेगा ही लेकिन ऐसा भी अंदेशा दुनिया के कई एक्सपर्ट जता रहे हैं कि कहीं एक और बांग्लादेश ने पाकिस्तान से निकल जाए. खैर पाकिस्तान का क्या होगा ये सवाल नहीं है, सवाल ये है कि इस शानदार बिल पर क्या कहेंगे.
ब्यूरो रिपोर्ट ग्लोबल भारत टीवी