उत्तराखंड की पहली महिला टैक्सी ड्राइवर रेखा लोहनी की कहानी
एक पढ़ी लिखी महिला आख़िर टैक्सी क्यों चला रही है? हाथ में वकालत और दो विषयों में MA की डिग्री है फिर भी टैक्सी क्यों चलानी पड़ी…रेखा की कहानी सुनकर न सिर्फ आपकी सोच बदलेगी बल्कि आपको भरोसा भी होगा कि अगर समाज में ज्योति मौर्या जैसी मतलबी लड़की है तो पति के लिए डिग्री को कुर्बान करने वाली महिला भी है…ज़िंदगी एक कहानी है और उसमें रेखा की कहानी SDM ज्योति मौर्या से लाखों गुना बेहतर है…रेखा एक सामान्य परिवार से आती हैं, पति की अचानक तबीयत ख़राब हो गई, ट्रैवल का काम करते थे, पर हालात ऐसे हुए कि पति का शरीर साथ नहीं दे रहा था…ऐसे वक्त में दो रास्ता था, पहला रेखा पाण्डे पति को छोड़कर किसी और के साथ चली जाती दूसरा हालात को मात देने के लिए पति को संभालने के लिए समाज से अलग कुछ कर गुज़रना…

देश में सीमा, रेखा, ज्योति की कहानी चर्चा में है, एक ने पति को छोड़ा, दूसरे ने देश को छोड़ा, तीसरे ने अपनी डिग्री को छोड़ा
PM मोदी के आत्मनिर्भर के संदेश से प्रभावित रेखा पांडे ने नौकरी छोड़ गाड़ी चलाना बेहतर समझा, समाज से लड़कर बाहर निकली

रिश्ता निभाना होता है तो इंसान अंजाम की परवाह नहीं करता है…रेखा के पति फौज से रिटायर होने के बाद जमा-पूंजी लगाकर कुछ गाड़ी लेते हैं, टूर एंड ट्रैवेल का काम करते हैं, पर तबीयत खराब हुई तो सबकुछ दांव पर लग गया…गाड़ी की किस्त, घर का खर्चा सबकुछ पेंशन से नहीं चल पा रहा था, रेखा ने ड्राइवर रखे पर काम नहीं चला, और तभी रेखा ने एक ऐसी रेखा खींची जिसे कोई छोटी नहीं कर पाएगा…नवरात्रि का वक्त था, वो टैक्सी चलाने का फैसला करती हैं और मारूती अर्टिगा के साथ ये वाली फोटो उनकी वायरल हो गई, वो जो कहती हैं वो सुनना चाहिए, फिर हम आपको दिखाते हैं SDM ज्योति मौर्य की वो सच्चाई जो आपके होश उड़ा देगी!
रेखा पांडे, उत्तराखण्ड की पहली टैक्सी ड्राइवर

उत्तराखण्ड के मंत्री और CM तक को ये कहानी पसंद आई थी, और मदद की पेशकश की थी…पर सीमा को अगर मदद लेना ही होता तो वकालत की डिग्री छोड़ पति का धंधा क्यों संभाल रही होती…घर में तीन बेटियां है, जिनको गर्व है कि मां टैक्सी चलाती है, पर अब ज्योति मौर्या की वो सच्चाई भी सुनिए जो कहता है शादी हो न हो पर ज्योति मौर्य जैसी पत्नी किसी को न मिले…
ज्योति मौर्या का इतिहास निकलकर सामने आ रहा है, मीडिया में ये भी चर्चा है कि मनीष दुबे से पहले भी कोई एक आशिक था
ज्योति मौर्या की लड़ाई उस दौरान ही होने लगी थी जिस दौरान उन्होंने PCS की परीक्षा पास की थी, आलोक ने जैसे-तैसे करके इतने दिन तक संभाला
जानकारी ये तक है कि जब ज्योति पढ़ाई कर रही थी तभी उन्होंने आलोक से अलग होने का इंतज़ाम सोच लिया था…
कहते हैं आलोक को सिर्फ दो बेटी है, वो एक बेटा भी चाहते थे, पर इस बात पर ज्योति मौर्या एग्री नहीं हुई, इसलिए भी कई सालों से कोई संतान नहीं हुई
अब आप ये तीन तस्वीर देखिए, सीमा, रेखा, ज्योति, कौन सी कहानी में गर्व है, कौन सी कहानी में सुकून है ये आपको तय करना है…कुछ पाने के बाद जिसको खोने से डर ना रहे वो कभी सच्चा नहीं हो सकता है, और जो टूटकर भी सबकुछ संभालना चाहे असल में आपका अपना वही होता है…रेखा पाण्डे की जिद ने न सिर्फ पति का बिज़नस को संभाला बल्कि पति की तबीयत भी ठीक कर दी है…पर पति के ठीक होने के बाद भी वो टैक्सी चला लेती हैं…