Rice Export Ban: बारिश ने इस बार खेती पर ऐसा असर डाला कि किसान माथा पीट रहे हैं, ऊपर से सरकार ने एक फैसला लेकर सबको हैरत में डाल दिया है. लोगों को इस बात का डर सता रहा है कि क्या आटा-चावल पर जीएसटी(GST) के बाद अब चावल(Rice) महंगा होने वाला है, क्या पैदावार कम होने से 1966 की अकाल वाली स्थिति आने वाली है, क्योंकि धान की पैदावार कम हुई है तो जाहिर तौर पर इसका असर चावल की कीमतों पर भी पड़ेगा, शायद इसीलिए मोदी सरकार ने समय से पहले ही टूटे हुए चावल का निर्यात बंद(Rice Export Ban) कर दिया है.
अब भारत नहीं भेजेगा विदेशों में चावल
अब विदेशों में टूटे चावल नहीं भेजे जाएंगे, बासमती के अलावा अगर कोई दूसरा चावल विदेश भेजा गया तो सरकार 20 फीसदी टैक्स लेगी. कुछ दिनों पहले मोदी सरकार ने गेहूं का निर्यात बंद कर दिया था और यूपी के हमीरपुर में लोग राशन कार्ड वापस करने के लिए लाइन में खड़े दिखे थे. ऐसे में सरकार राशन कार्ड वालों को चावल भी देती है, तो क्या आपको राशन कार्ड वापस करना, इस सवाल का जवाब समझने के लिए आपको पहले ये जानना होगा मोदी सरकार ने ये फैसला क्यों लिया और भारत किन-किन देशों को अपना चावल भेजता है.
भारत इन देशों में भेजता है अपना चावल
मोदी सरकार के इस फैसले से चीन इतनी बुरी तरह पस्त हो गया है, वहां भारत के टूटे हुए चावल से मैगी नूडल्स, पशुओं का चारा और वाइन बनता है. अगर भारत ने टूटे चावल(Rice Export Ban) नहीं दिए तो उसे वियतनाम और थाईलैंड जैसे देशों से महंगा चावल खरीदना पड़ सकता है, जो अरब देश कुछ दिनों पहले भारत को आंख दिखा रहे थे वो भी भारत के चावल पर ही निर्भर रहते हैं, यहीं से चावल जाता है तो उनका पेट भरता है, इसलिए इस फैसले से ईरान, इराक, संयुक्त अरब अमीरात, कतर और कुवैत जैसे देशों की हालत भी खराब हो सकती है, हालांकि वहां ज्यादातर लोग बासमती चावल पसंद करते हैं, इसलिए इसका असर कम पड़ेगा. भारत अपना चावल अमेरिका, यूके, कनाडा और ऑस्ट्रेलिया में भी भेजता है लेकिन वहां लोग बासमती चावल खाते हैं, इसलिए उन पर कोई असर नहीं पड़ने वाला.
क्यों लगा चावल एक्सपोर्ट पर बैन
मोदी सरकार ये अच्छी तरह जानती है कि दुनिया का 40 फीसदी चावल हिंदुस्तान एक्सपोर्ट(Rice Export) करता है लेकिन बदले में उसे कुछ खास नहीं मिलता, मीडिया रिपोर्ट की मानें तो बाकी देशों की तुलना में भारत सस्ता चावल दूसरे देशों के बेचता है, यूक्रेन युद्ध के बाद वैसे ही य़ूरोपियन देशों से लेकर खाड़ी देशों तक में अनाज का संकट हो गया है, ऐसे में लोग भारत की तारीफ देख रहे हैं, लेकिन भारत तभी अनाज देगा जब उसे ज्यादा कीमत मिलेगी, दुनिया उसकी बात मानेगी, क्योंकि अमेरिका और रूस जैसे देश उसी देश को अपना पार्टनर बनाते हैं जिनसे उन्हें ज्यादा फायदा होता है, अब भारत भी शायद ऐसा ही फायदा तलाश रहा है, वो फायदा व्यापार बढ़ाने, खजाने का पैसा बढ़ाने या फिर भारत में निवेश बढ़ाने जैसा हो सकता है.
सरकारी गोदाम में कितना है स्टॉक
साल 2021 की तुलना में अभी चावल का स्टॉक(Rice Stock) करीब 4 मिलियन टन कम है, जिसका मतलब है कि अभी सरकारी गोदाम में 40 टन चावल कम पड़ा है, जबकि गेहूं का स्टॉक(Wheat Stock) सिर्फ 26.65 मिलियन टन है जो 14 सालों में सबसे कम है, साल 2021-22 में भारत ने कुल 21 मिलियन टन चावल का निर्यात किया था, लेकिन फिलहाल जिस हिसाब से पैदावार कम हुई है, उससे निपटने के लिए निर्यात रोकना जरूरी था, अभी ये संकट बड़ा नहीं है, इसका सही अंदाजा तब लगेगा जब किसान दिसंबर-जनवरी में फसल काटेंगे और सरकार उसे खरीदेगी, तब तक कीमतें नहीं बढ़े इसीलिए सरकार ने आपके लिए निर्यात बैन कर दिया है.