पिता चाहते थे बेटा बन जाए सैनिक, ध्रुव जुरैल छुपकर खेलने जाता था क्रिकेट
22 साल के एक लड़के ने राजस्थान के लिए 34 रनों की पारी खेली, लेकिन उसने अपनी ऐसी छाप छोड़ दी कि सुरेश रैना और रॉबिन उथप्पा तारीफ करते नहीं थक रहे थे. उत्तर प्रदेश के आगरा का रहने वाला ये प्लेर भारत की अंडर-19 टीम की कप्तानी कर चुकी है और अब राजस्थान रॉयल्स के लिए खेल रहा है. कमाल की बात ये है कि इस खिलाड़ी को 2022 में राजस्थान रॉयल्स ने मात्र 20 लाख रुपये में खरीदा था. लेकिन प्रतिभा ऐसी थी कि टीम ने 2023 में भी उन्हें रिटेन किया. फिर भी उसे मौका नहीं मिल रहा था क्योंकि मिडिल ऑर्डर में रियान पराग को खिलाया जा रहा था और टॉप ऑर्डर में जगह नहीं थी.

फिर एक दिन संजू सैमसन ने उसे इंपैक्ट प्लेयर के तौर पर मैदान पर उतार दिया. ध्रुव जुरैल नाम के इस खिलाड़ी को उस वक्त तक शायद ही कोई जानता था. जब वो क्रीज पर आये तो पंजाब के लिए मैच इकतरफा हो चुका था. लेकिन फिर उन्होंने हेटमायर के साथ मिलकर 4 ओवर में 58 रनों की साझेदारी कर दी.

फिर भी आखिरी ओवर में 16 रन चाहिए थे लेकिन पूरे ओवर में ध्रुव जुरैल को स्ट्राइक ही नहीं मिली. और पंजाब वो मैच पांच रन से जीत गई. लेकिन राजस्थान के ध्रुव का सितारा चमक गया. उस दिन पूरा भारत इस लड़के को पहचान गया. इस मैच में ध्रुव जुरैल ने 15 गेंदों में 32 रनों की नाबाद पारी खेली थी. जिसमें दो छक्के और तीन चौके शामिल थे.
ध्रुव ने 27 अप्रैल को एक बार फिर चेन्नई सुपरकिंग्स के सामने दमदार पारी खेली. और अपनी टीम को जिताने में अहम भूमिका निभाई. ध्रुव जुरेल ने 15 गेंदों में एक बार फिर 34 रनों की शानदार पारी खेली. इस बार भी उन्होंने तीन चौके और दो छक्के जड़े.
ध्रुर जुरैल और धोनी

लेकिन वो एक गलती कर बैठे. आखिरी ओवर में एमएस धोनी के हाथ में सीधे गेंद पहुंची थी. जुरेल रन लेने के लिए दौड़ पड़े. लेकिन वो शायद ये भूल गए थे कि विकेट के पीछे महेंद्र सिंह धोनी हैं. और बाज की नजर और धोनी की थ्रो पर कभी शक नहीं करते. धोनी ने इतनी तेजी से थ्रो विकेट पर मारी की, जुरेल कॉई फीट दूर रह गए.
फिर भी तब तक ध्रुव जुरेल अपना काम कर चुके थे और राजस्थान को 200 के आंकड़े के पास पहुंचा दिया था. इसी पारी की बदौलत राजस्थान रॉयल्स ने चेन्नई सुपरकिंग्स को हरा दिया.
फौजी पिता ने अखबार में देखा ध्रुव जुरेल का नाम फिर दिया क्रिकेट में साथ

ध्रुव जुरेल की कहानी कई लोगों को प्रेरित कर सकती है. वो उत्तर प्रदेश के आगरा से आते हैं. पिता फौज में थे. जब कारगिल की लड़ाई में वो जौहर दिखा रहे थे तब ध्रुव का जन्म भी नहीं हुआ था. वो चाहते थे कि बेटा फौजी बने, देश की सेवा करे. लेकिन जुरेल को क्रिकेट बहुत पसंद था. लिहाजा वो पिता से छुपकर मैच खेलने जाते थे. एक दिन उनके पिता नेम सिंह जुरेल ने ध्रुव जुरेल का नाम अखबार में पढ़ा. पिता को लगा कोई और होगा. फिर पता चला कि ये तो अपना ही बेटा है. जिसका नाम पूरे शहर में मशहूर हो गया है. फिर क्या था पिता ने बेटे का साथ देना शुरू किया और कामयाबी में उसके हमसफर बने. ध्रुव जुरैल भारत की अंडर-19 टीम की कप्तानी कर चुके हैं. उनकी कप्तानी में टीम इंडिया ने एशिया कप जीता था. अब पिता की चाहत है कि बेटा इंडिया के लिए खेले.
ब्यूरो रिपोर्ट न्यूज फ्लैश