तारीख थी 29 सितंबर 2022, जगह- मोगा जिले का रोडे गांव, इस गांव का नाम इसलिए याद रखिए क्योंकि पंजाब में जो बवाल मचने वाला है, उसमें इस गांव का बड़ा रोल है, ये वही गांव है, जहां भिंडरावाले पैदा हुआ, इंदिरा गांधी को सीधा चुनौती दी, फिर ऑपरेशन ब्लू स्टार हुआ, इसीलिए जब अमृतपाल दुबई से बोरिया-बिस्तर बांधकर लौटा तो उसने इसी गांव में प्रोग्राम करवाया और वारिस पंजाब दे संगठन की गद्दी संभाली. अब उसे जरूरत थी युवाओं के समर्थन की, जिसके लिए उसने नशामुक्ति अभियान शुरू कर दिया, और इसकी प्लानिंग पहले से ही थी. अमृतसर के जल्लूखेड़ा गांव का गुरुद्वारा ही नशामुक्ति केन्द्र बन गया, लेकिन यहां ये समझना जरूरी है कि भोली-भाली जनता कैसे चंगूल में फंसती है. आप कैसे बिना जाने बूझे देश के खिलाफ चल रहे संगठन में शामिल हो जाते हैं.

हरियाणा में राम रहीम ने आस्था के नाम पर लोगों के साथ खिलवाड़ किया
आसाराम ने धर्म के नाम पऱ धोखा किया, भिंडरावाले ने बड़ी साजिश रची थी
अब अमृतपाल नशामुक्ति के नाम पर युवाओं को जोड़ रहा है, पर सच ये नहीं है
अजनाला में थाने पर जो हमला हुआ, उसमें इसी केन्द्र के कई युवा भी शामिल थे
जिसका मतलब ये है कि उसका टारगेट युवाओं का समर्थन हासिल करना हो, जो वो अच्छी तरह कर चुका है, फिर सवाल ये उठता है कि अजनाला थाने पर हमला करके आरोपी को छुड़ा ले जाने और देश के खिलाफ लगातार भड़काऊ बयान देने वाले अमृतपाल को कोई गिरफ्तार क्यों नहीं कर पा रहा, दिल्ली से अमित शाह ने 18 कंपनियां पंजाब भेजी, आईबी से लेकर रॉ तक उसकी कुंडली खंगालने में जुटी है, आतंकी गतिविधियां मिली तो एनआईए भी एक्शन लेने को तैयार है, तो अब तक गिरफ्तारी क्यों नहीं हो पा रही.

क्या भगवंत मान सरकार वोटबैंक की खातिर अमृतपाल को बचाने में जुटी है?
क्या दारोगा-एसपी से लेकर डीजीपी तक उसके खिलाफ सबूत नहीं जुटा पा रहे
क्या पंजाब पुलिस अमृतपाल के भिंडरावाले की तरह बनने का इंतजार कर रही है
क्या केन्द्र सरकार अभी निगरानी करना चाहती है, आखिर में कार्रवाई करेगी?

ये वो सवाल हैं जो हर किसी के मन में है, तो फिर इसका जवाब क्या हो सकता है, हमने जब पड़ताल करने की कोशिश की तो पता चला कि दिल्ली से सीधा आदेश है कि पंजाब में शांति आनी चाहिए क्योंकि अमृतपाल देश को खुला चैलेंज दे रहा है कि हम खालिस्तान बनाकर ही दम लेंगे, इसीलिए अभी प्लानिंग तैयार की जा रही है, शायद अजीत डोभाल खुद भी जाकर वहां के हालात का जायजा लें और फिर ये फैसला लें कि कौन सा ऑपरेशन लाॉन्च किया जाए या फिर कैसे इस नए बवाल को शांत किया जाए, क्योंकि अमृतपाल की पक़ड़ सिर्फ पंजाब में नहीं बल्कि हरियाणा और राजस्थान में है, जहां उसने सैकड़ों युवाओं को अमृत चखाया और निहंग सिख बनाया, अब चूंकि मामला धर्म का है इसलिए फूंक-फूंककर कर कदम रखना होगा, पर कहीं देर न हो जाए, इसका ख्याल भी रखना होगा.
ब्यूरो रिपोर्ट ग्लोबल भारत टीवी