बाला साहेब ठाकरे हमेशा कहते थे कोई ऐसा पैदा नहीं हुआ जो भगवा को नीचे कर सके, पर आज बाला साहेब ठाकरे नहीं हैं, अगर होते तो शाहरूख खान की पठान फिल्म में भगवा का अपमान नहीं होता. इधर फिल्म पठान के भगवा रंग पर बवाल मचा तो उधर शाहरूख खान के साथ एक मोदी विरोधियों की पूरी टोली साथ आ गई? पर यहां समझना होगा BJP से भगवा नहीं है, बल्कि भगवा से बीजेपी है! कहते हैं जब एक बार ग़लती हो तो वो माफ की जाती है, दूसरी बार हो तो ध्यान दी जाती है, तीसरी बार हो तो जवाब देना चाहिए. पर बॉलीवुड हर बार एक ही गलती करता है, और हम भूलकर आगे बढ़ जाते हैं. शाहरूख खान की फिल्म पठान आने वाली है! फिल्म में शाहरूख के साथ दीपिका पादुकोण भी हैं, फिल्म में एक गाना है जिसपर आरोप है हि जानबूझ कर भगवा रंग को टार्गेट किया गया है! विवाद चल ही रहा था कि शाहरूख खान का बयान भी आ गया है

अब सुनिए फिल्म में ऐसा क्या है जिससे जनता भड़क गई है और फिल्म के बायकॉट की मांग कर रही है? गाने का नाम है बेशर्म रंग, उस गाने में दीपिका पादुकोण भगवा रंग की बिकिनी पहने दिख रही हैं, मध्य प्रदेश के गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा का कहना है अगर गाने का सीन नहीं बदला तो फिल्म को रिलीज नहीं होने देंगे, ट्विटर पर हजारों लोग लिख रहे हैं कि एक तरफ शाहरूख वैष्णो देवी जा रहे हैं तो दूसरी तरफ हिंदू धर्म को बदनाम कर रहे हैं, जबकि कई लोगों को ये गाना इतना पसंद आ रहा है कि वो ये लिख रहे हैं कि आर्ट को रंग से बदनाम मत कीजिए, गाने के लिरिक्स या कोरियोग्राफी नहीं पसंद आई हो तब बताइए, प्रकाश राज तो सीधा लिखते हैं कि ये विरोध ही बेकार है लेकिन अब समझिए विरोध की वजह क्या है…और क्या धर्म के पीछे सिर्फ बीजेपी है या पूरी दुनिया धर्म के खेल में उलझी है? फुटबॉल का फीफा वर्ल्ड कप चल रहा है, 38 टीमों ने हिस्सा लिया पर एक टीम मोरक्को भी थी, मोरक्को ने पुर्तगाल को हराकर सेमीफाइनल में जगह बनाई थी, ये पहली बार है जब किसी अफ्रीकी टीम ने सेमीफाइनल में जगह बनाई, मोरक्को की जीत से अरब, मुस्लिम देश इतने ख़ुश हुए कि इसे खेल की जीत नहीं बल्कि इस्लाम की जीत तक बता दिया, हालांकि जब सेमीफाइनल में फ्रांस ने मोरक्को को हरा दिया तब किसी ने नहीं कहा ये किसकी हार है? मोरक्को एक उत्तरी अफ्रीकी देश है जिसकी 97 फीसदी से अधिक आबादी मुस्लिम है…तो जब मुस्लिम देश खेल की जीत को इस्लाम की जीत बता सकते हैं तो भारत में भगवा को अपना गर्व कहने वाले गलत कैसे हो गए? बॉलीवुड में कुछ भी हो सब सही कहो नहीं तो एक गैंग पूरा मोदी के विरोध में उतर जाएगा…बंगाल में फिल्म फेस्टिवल का आयोजन हुआ…यहां सौरभ गांगुली और शत्रुघन सिन्हा भी थे, जो बीजेपी से नाराज़ है

एक तरफ भगवा रंग के अपमान पर आधा देश शाहरूख से नाराज है तो दूसरी तरफ शत्रुघन सिन्हा शाहरूख को नेशन का सुपर स्टार बता रहे ? उनके कहने का इशारा था…जैसे राष्ट्रीय पक्षी होती है, राष्ट्रीय ध्वज होता है वैसे ही शाहरूख को राष्ट्रीय सुपर स्टार घोषित करना चाहिए ? भगवा रंग की बिकनी पहनने से आपत्ति नहीं है, आपत्ति है ये रंग बेशर्म कहने से है!
जब कहीं धुआं नहीं है तो चिंगारी क्यों उठी है ? समझना ये होगा कि इस आग को हवा किसने दी? साल 2020 में JNU के छात्र मोदी सरकार का विरोध कर रहे थे, उस विरोध में दीपिका पादुकोण भी शामिल हुई थी? दीपिका का शामिल होना एंटी नेशनल एक्टिविटी कहा गया था! इसके पहले भी शाहरुख खान अपने फिल्म डॉन 2 में बतौर अपराधी कैद में भगवा रंग के कपड़ों में देखे गए थे…दुनिया भर में कैदियों के पहनने के लिए अलग-अलग रंग के कपड़े दिए जाते हैं लेकिन शाहरुख और उनकी टीम ने कैदियों को भगवा रंग के कपड़े में ही दिखाना ज्यादा उचित समझा था…इसे भूल कहा जाए या जानबूझकर की गई शरारत? ऑप इंडिया नाम की वेबसाइट साफ हेडलाइन लिखती है कि हरे कपड़ों में पठान, भगवा बिकनी में हिन्दू लड़की संग रोमांस’: लोगों ने पूछा – SRK ने अश्लीलता फैलाने के लिए जानबूझ कर चुना पवित्र रंग? सोशल मीडिया पर बवाल मचा है? एक वर्ग का कहना है भक्त अंधे होते हैं तो दूसरे वर्ग का कहना है भगवा का अपमान नहीं सहेंगे! सच क्या है आपने देखा…आपने क्या देखा आपको क्या लगता है कमेंट में बता चाहिए? ये स्टोरी उन सभी लोगों तक पहुंचाए जो इस मुद्दे को नहीं समझ पा रहे हैं? अरब से खजूर आता है तो कई लोग कहते हैं इसमें हमारा धर्म है, पर भारत में अगर भगवा को बदनाम करने पर बोला जाए तो वही लोग कहते हैं सब मूर्ख हैं!