इज़रायल भारत से छोटा है, फिर भी भारत से ताकतवर है…इज़रायल की सेना, उसकी खुफिया एजेंसी मोसाद की तरफ कोई आंख उठाकर नहीं देख सकता है…ऐसा इसलिए होता है क्योंकि वहां पढ़ाई के दौरान ही राष्ट्रभक्ति सिखाई जाती है…हालांकि भारत में राष्ट्रभक्ति से ज्यादा राष्ट्र विरोधी शक्तियां काम करती है…पठान फिल्म की एक छोटी सी ग़लती से पाकिस्तान में भारत का कैसा मज़ाक बना है इसकी पूरी तस्वीर हम आपको दिखाते हैं…शाहरुख ख़ान को हीरो दिखाने के लिए क्या देश के असली हीरो को विलेन बनाया जा सकता है? ये पूरी रिपोर्ट सुनकर आप बताएं क्या हमारे रियल हीरो को पठान फिल्म में गद्दार दिखाया गया है? हमारे देश में सुपर स्टार की सिक्योरिटी होती है, उनको सुरक्षित रखने के लिए हर जांच एजेंसी दिन रात काम करती है…पर जब बात धंधे की आती है तो बॉलीवुड वाले भूलकर उनका अपमान कर देते हैं…अब सुनिए फिल्म की कहानी पर राजनाथ सिंह और अजीत डोभाल को क्यों गुस्सा होना चाहिए…पठान फिल्म की पूरी कहानी रॉ के दो एजेंट के इर्द-गिर्द घूमती है. जॉन अब्राहम को रॉ का पूर्व एजेंट दिखाया गया है. फिल्म की कहानी है कि जॉन अब्राहम जो फिल्म में एक रॉ एजेंट की भूमिका में हैं वो भारत की जनता और भारत सरकार की पॉलिसी से नाराज़ होते हैं, पैसे की लालच में पाकिस्तान के साथ मिल जाते हैं? यानि रॉ का एजेंट भारत पर पैसे के लिए वो पाकिस्तान के साथ मिलकर भारत में आतंकी हमले प्लान करवाता है. यानि मान लेते हैं अजीत डोभाल को मोदी सरकार की कोई नीति पसंद नहीं आई तो क्या वो पाकिस्तान का समर्थन करेंगे? हर भारतीय कहेगा वो कभी ऐसा नहीं करेंगे. पर पठान फिल्म में एक ईमानदार पूर्व रॉ एजेंट को पाकिस्तान का दलाल क्यों दिखाया गया है? रॉ एजेंट की नौकरी इतनी ख़तरनाक होती है कि वो अपने परिवार से सच नहीं बता सकते हैं पर फिल्म में उन्हें ही विलेन बताया जाता है?

भारत की फिल्मों में पुलिस वालों को जोकर दिखाया जाता है, मीडियावालों को पागल और रॉ के एजेंट को दलाल तक दिखा दिया जाता है? पठान फिल्म का विरोध भगवा रंग की वजह से हुआ, असल में रक्षा मंत्रालय को इस कहानी पर भी एक्शन लेना चाहिए? राजनाथ सिंह फिलहाल रक्षा मंत्री हैं, उनको तय करना चाहिए कि फिल्म के ज़रिए किसी भी एजेंसी का मजाक न बने…

शाहरूख खान की फिल्म बेशक कामयाब हो सकती है, पर अगर देश का सम्मान बिकता है तो फिर बॉलीवुड को सोचना चाहिए. ये कोई पहली बार नहीं है, YRF बैनर की वॉर फिल्म आपको याद होगी. उसमें भी भारतीय खुफिया एजेंसी का टॉप एजेंट अपने देश को धोखा देता है. YRF एक स्पाई यूनिवर्स के नाम से फिल्मों की पूरी सीरीज बना रहा है. जिसमें एक था टाइगर, टाइगर जिंदा, वॉर और अब पठान शामिल हुई है….
इस यूनिवर्स को वाईआरएफ जेम्स बॉन्ड की फिल्मों की तरह बनाना चाहता है. मतलब अभी और ऐसी फिल्मों पर काम चल रहा है. अभी एक फिल्म आई थी मिशन मजनू जिसमें एक जानकारी देने के लिए कई एजेंट्स शहीद हो जाते हैं. लेकिन उस जानकारी की वजह से देश को पाकिस्तान के परमाणु बनाने का पता चलता है. ये एक सच्ची घटना पर आधारित फिल्म है. एक एजेंट का जीवन और उसका बलिदान वैसे ही किसी के सामने नहीं आता. देश को पता ही नहीं चलता कि हमारा असली हीरो हमारे लिए क्या बलिदान देकर चला गया और उस पर अगर ऐसी फिल्में बन रही हैं. अमेरिका को देखिए उनका एजेंट हर जगह जाकर हर फिल्म में बस दुनिया को बचा ही रहे होते हैं. अंग्रेजों की फिल्में देखिए उसमें पूरी दुनिया का ठेका लेकर अंग्रेज चल रहे हैं. इजरायल की फिल्में ही देख लीजिए. लेकिन ये बस एक हमारा देश ही है जहां अभिव्यक्ति की आजादी के नाम पर सब हो रहा है.
आपसे कोई फेवर के लिए नहीं बोल रहा है लेकिन कम से कम सच तो दिखाइए. आपने आखिरी बार कब सुना था कि कोई रॉ एजेंट अपने देश को बेच रहा था. अगर नहीं तो इनके पास ये जानकारियां कहां से आ रही हैं और अगर ये पूरी तरह से फिक्शन है तो क्या रॉ जैसा दिखाकर उसे बदनाम नहीं किया जा रहा है. ये फैसला जनता को करना है.