साल 1983 के वर्ल्ड कप में कपिल देव ने जिम्बॉब्वे के ख़िलाफ़ 175 रन की पारी खेली थी क्या उस पारी के बाद उनको कोई बाहर बैठा सकता था? अगर नहीं तो फिर ईशान किशन के दोहरा शतक, और सूर्या के शतक के बाद भी टीम में मौका क्यों नहीं मिला? कौन है जो योग्य खिलाड़ियों की प्रतिभा से खेल रहा है? आज जब टीम इंडिया की बैटिंग चल रही थी तब दुर्भाग्य से ही सही सूर्या और ईशान किशन बाहर बेंच पर बैठकर ताली बजा रहे थे…ये सवाल सिर्फ आपके मन में नहीं है, सबके मन में है आख़िर ये प्रयोग कौन कर रहा है? क्योंकि तीन तर्क दावा करते हैं योग्यता का कोई सम्मान नहीं है

लास्ट टेस्ट के मैन ऑफ द मैच कुलदीप यादव आज नहीं खेल रहे हैं, लास्ट वनडे के मैन ऑफ द मैच ईशान किशन को बाहर कर दिया…लास्ट T-20 के मैन ऑफ द मैच सूर्यकुमार यादव को बेंच पर बिठाया, यानि चल क्या रहा है? मैन ऑफ द मैच मिला तो समझो टीम से बाहर गए? बीसीसीआई ने संकेत दे दिया है खेलना है तो राहुल और रोहित की तरह खेलो वरना बाहर होना पड़ेगा…तो सवाल उठता है कि राहुल की BCCI में ऐसी क्या पकड़ है जिनके आगे शतकवीरों को भी बाहर कर दिया जाता है?
सोशल मीडिया पर क्षेत्रवाद और जातिवाद का मुद्दा उठाया जा रहा है…ईशान किशन बिहारी हैं इसलिए उनके साथ ऐसा किया जा रहा है, जबकि KL राहुल कर्नाटक के हैं और कर्नाटक से ही आते हैं टीम इंडिया के कोच राहुल द्रविड़ तो वो अंदर हैं…दूसरी तरफ सूर्या यादव हैं तो उनके साथ ऐसा किया जा रहा है…ये सवाल बेशक जायज़ नहीं है पर जब जानबूझ कर योग्यता को पकौड़ा तलने बाहर बैठाया जाएगा तो फिर ऐसे सवाल मन में आएंगे…दो दिन पहले ही चेतन शर्मा को BCCI ने चयन समिती का अध्यक्ष बनाया तो ये सवाल और तेज़ी से ज़ोर पकड़ने लगा…कुछ घण्टे पहले तक सूर्य कुमार यादव की तारीफ पूरी दुनिया कर रही थी, और अचानक उनको बाहर बैठाना किसकी रणनीति है? वर्ल्ड कप से पहले अब सिर्फ 14 मैच बचे हैं, लेकिन ईशान और सूर्या को बाहर रखकर कौन सी टीम बनाई जा रही है?

सूर्या का मुद्दा PM मोदी तक पहुंचाया जा रहा है…ट्विटर पर दर्शक PM मोदी और अमित शाह को टैग कर पूछा जा रहा है कि ऐसा कैसे हो गया…राष्ट्रीय यादव सेना ट्रस्ट नाम की ID से एक ट्विट किया गया जिसमें लिखा है

प्रधानमंत्री मोदी जी, सदी के महान क्रिकेटर के पास तारीफ के शब्द नहीं हैं, लेकिन जातिवादी चयनकर्ता सूर्य कुमार यादव, ईशान किशन और कुलदीप यादव जैसे खिलाड़ियों को ड्रॉप कर रहे हैं…कृपया ध्यान दें…तस्वीर में अख़बार की कटिंग लगाई है जिसमें कपिल देव कहते हैं सूर्या जैसे खिलाड़ी सदी में एक बार पैदा होते हैं!

गौतम गंभीर कमेंट्री के दौरान ही सूर्या-ईशान के न खिलाने पर भड़क गए..कई दिग्गज खिलाड़ी नाराज़ हो गए, मोहम्मद कैफ ने भी साफ कर दिया ये ठीक नहीं है
गौतम गंभीर का बयान (ये कैसा सेलेक्शन है. दोहरा शतक लगाने वाले ईशान किशन को बाहर बिठा दिया समझ से परे है. सूर्या को भी आपने बाहर बिठाया है. ये कैसे हो सकता है, सूर्या हर टीम में हर हाल में खेलते हैं)
मोहम्मद कैफ का बयान (आज भारतीय टीम को देखकर सहज नहीं हूं. पिछली वनडे पारी में दोहरा शतक लगाने वाला ईशान किशन और पिछली टी20 पारी में शतक जड़ने वाला सूर्यकुमार यादव बाहर हैं. उम्मीद है कि उनका मनोबल बना रहेगा.)
वेंकेटेश प्रसाद का बयान (दोहरा शतक जमाने वाले को आप बाहर कैसे कर सकते हैं. यही कारण है कि सीमित ओवरों के क्रिकेट में हम अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पा रहे. बार बार बदलाव और शानदार प्रदर्शन करने वाला खिलाड़ी बाहर. एक्स फैक्टर पर औसत प्रदर्शन को तरजीह
हम कहते हैं कि ऐसा मत करो कि कोई योग्य इंसान हताश हो जाए, अगर आप सूर्या या ईशान किशन की जगह होते तो क्या सोचते? क्या करते? मज़बूरी में कैमरे के सामने बैठकर ईशान और सूर्या हंस रहे हों पर असल में उनका दिल रो रहा होगा..KL राहुल को हटाकर ईशान को 100 प्रतिशत मौका देना था…आपको याद होगा करूण नायर नाम के एक खिलाड़ी का किस्सा…वो अपने पहले ही टेस्ट मैच में तिहरा शतक मारता है, और फिर उसके साथ ठीक ईशान किशन वाला व्यवहार किया जाता है…एक दिन ऐसा आता है जब वो टीम से हमेशा के लिए बाहर हो जाता है और फॉर्म तक भूल जाता है…इसलिए कहते हैं, जलते हुए दीपक में पानी डालकर बुझाने वालों की कमी नहीं है…आज तो आपको कुछ न कुछ लिखना चाहिए, ताकि जब ये रिपोर्ट सूर्या और ईशान के पास पहुंचे तो वो आपका कमेंट पढ़ पाए…