तारीख थी 1 मार्च, साल था 2003 और जगह थी दक्षिण अफ्रीका की सेंचुरियन, भारत और पाकिस्तान की टीम आमने-सामने भिड़ने को तैयार थी, उस वक्त टीम इंडिया में वीरेन्द्र सहवाग, सचिन तेंदुलकर, राहुल द्रविड़ और सौरव गांगुली जैसे महान खिलाड़ी थे, पाकिस्तान की टीम उस वक्त फॉर्म में नहीं थी लेकिन पाकिस्तानी गेंदबाज शोएब अख्तर, वसीम अकरम, और वकार युनूस की गेंदबाजी घातक थी. पाकिस्तान ने तब 50 ओवर में 273 रन बनाए जिसका पीछा करना उस दौर में आसान नहीं था, लेकिन सहवाग, सचिन, द्रविड़ और युवराज ने मिलकर न सिर्फ पाकिस्तान को हराया बल्कि सचिन की पारी के तो विरोधी भी मुरीद हो गए थे. मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर ने 75 गेंदों में 12 चौके और 1 छक्के की मदद से 98 रन बनाए थे, वो उनकी महान पारियों में से एक थी, उसके बारे में सचिन कहते हैं.

सचिन मैच से पहले रात में सोए नहीं थे
मैं भारत-पाकिस्तान मैच से एक रात पहले ढंग से सो नहीं पाया था, जब करवट बदलता तो वकार यूनिस, शोएब अख्तर और शाहिद अफरीदी का चेहरा दिखता, मैं सोचता वकार ने अगर ऐसा बॉल डाला तो मैं छोड़ूंगा नहीं, मैं सोच रहा था मुझे कैसी बैटिंग करनी है, किस बॉल को मारना है, किसे छोड़ना है और कैसे टीम इंडिया को जीताना है, मैं उस रात कमर दर्द से भी परेशान था, मैं दवा खाकर खेलने उतरा था.

शायद ही आज कोई खिलाड़ी ऐसा सोचता हो, सूर्य कुमार यादव जब बुखार के बावजूद दवा खाकर फील्ड में उतरे तो लोगों को सचिन के इस पारी की याद आ गई थी. लेकिन सचिन सभी भारतीय क्रिकेटर्स में महान हैं क्योंकि विरोधी भी उनकी तारीफ करते हैं, आपको धोनी, युवराज, विराट और सूर्या का छक्का याद होगा लेकिन साल 2003 के उस मैच में तेंदुलकर ने ऐसा छक्का जड़ा था कि उन्हें बॉल फेंकने वाले शोएब अख्तर भी देखते रह गए थे, थर्ड मैन के ऊपर से सीधा गेंद को स्टेडियम से बाहर पहुंचा दिया था, तब के पाकिस्तानी कप्तान इंजमामुल हक ने कहा था कि मैंने सचिन को ऐसा खेलते पहली बार देखा, 10 ओवर में 72 रन देकर एक विकेट लेने वाले शोएब अख्तर ने कहा था

मेरी 25 गेंद पर सचिन तेंदुलकर ने 49 रन बनाए, मैं बॉलिंग उन्हें आउट करने के लिए कर रहा था, 28वें ओवर की मेरी गेंद पर सचिन आउट हो गए लेकिन मेरी इच्छा थी कि वो शतक पूरा कर लेते, अगर मेरी उस गेंद पर सचिन छक्का या चौका लगाकर शतक पूरा करते तो मुझे ज्यादा खुशी होती, क्योंकि ये सचिन की स्पेशल इनिंग थी.
वर्ल्ड कप जीतने के लिए अपनाना होगा सचिन का फॉर्मूला, ऐसे बनाते थे रणनीति
सचिन तेंदुलकर ने अपने करियर में 100 शतक लगाए हैं और 28 बार ऐसा मौका आया कि वो नर्वस 90 के शिकार हो गए, मतलब 90 रन से ज्यादा रनों की पारी खेली लेकिन शतक बनाने से चूक गए. इंग्लैंड और पाकिस्तान के खिलाफ 7-7 मौके ऐसे आए जब सचिन शतक से दो-चार रन पहले आउट हो गए, जबकि श्रीलंका के खिलाफ 5 बार, अफ्रीका के खिलाफ 3 बार, ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 4 बार और वेस्टइंडीज के खिलाफ दो बार सचिन नर्वस 90 के शिकार हुए हैं. अगऱ ऐसा नहीं होता तो आज सचिन के नाम 128 शतक होते, आज भी सचिन जैसा कोई नहीं है, 71वां शतक जड़ने के बाद कोहली के बारे में कहा जा रहा है कि वो सचिन का रिकॉर्ड तोड़ सकते हैं, हालांकि ये इतना आसान नहीं होगा, इस पर आपकी क्या राय हमें कमेंट कर बता सकते हैं. साल 2012 में जब सचिन ने 100वां शतक जड़ा था तो विराट उनके साथ टीम में ही थे, बांग्लादेश के खिलाफ भारत वो मुकाबला हार गया था लेकिन सचिन के करियर में 100वें शतक की उपलब्धि जुड़ चुकी थी. अगर वर्ल्ड कप में टीम इंडिया के बल्लेबाज सचिन की तरह पूरी रात रणनीति बनाकर उतरें कि किस गेंदबाज को कैसे खेलना है, तो नतीजे बदल सकते हैं, क्योंकि क्रिकेट अनिश्चितिताओं का खेल जरूर है, लेकिन बल्लेबाज और गेंदबाज उसे अपने परफॉर्मेंस से उसके नतीजे बदल देते हैं.