टीम इंडिया को साउथ अफ्रीका से मैच जीतना है, 3 टी-20 और 3 वनडे मैचों की सीरीज जीतनी है, उसे तीन बड़े काम करने होंगे, अगर रोहित शर्मा और राहुल द्रविड़ ने इन बातों पर ध्यान नहीं दिया तो फिर टीम इंडिया की हार तय है, हम वो आपको तीन बड़ी बातें बताएं उससे पहले सुनिए साउथ अफ्रीका को हराना क्यों मुश्किल है. जैसे रोहित की टीम ऑस्ट्रेलिया को हराकर जोश में है, वैसे ही बावुमा की साउथ अफ्रीकन टीम इंग्लैंड को हराकर दोगुने जोश के साथ इंडिया पहुंची है.
जून के महीने में जब साउथ अफ्रीका की टीम इंडिया आई थी तो दो-दो से सीरीज ड्रॉ हो गई थी, आखिरी मैच बारिश की वजह से नहीं हो पाया था. उससे पहले टीम इंडिया ने साउथ अफ्रीका में तीन मैचों की वनडे सीरीज खेली और तीनों मैच में हार मिली, उस वक्त भी साउथ अफ्रीका के कप्तान बावुमा ही थे, टीम इंडिया के खिलाड़ियों को केशव महाराज, कैगिडो रबाडा और तबरेज शम्सी के खतरनाक बॉल से बचना होगा, क्योंकि कगीसो रबाड़ा की नजर केएल राहुल पर होगी, आईपीएल 2022 में भी राहुल रबाड़ा को नहीं खेल पाए थे और अभी तो राहुल फॉर्म में भी नहीं हैं, इसलिए ओपनिंग चिंता की बात है, लेकिन भारत के लिए खुशी की बात ये है कि उसके पास चार खिलाड़ी ऐसे हैं, जिनसे विरोधी भी डरते हैं, कप्तान बावुमा ने कहा कि

हमें इंडिया में मैच जीतने के लिए शुरुआती ओवर में विकेट गंवाने से बचना होगा, भारतीय गेंदबाज गेंद को ज्यादा बेहतर स्विंग करवाते हैं, भुवनेश्वर और बुमराह जैसे गेंदबाज नयी गेंद से हमेशा मुश्किल चुनौती देंगे. रोहित और विराट बड़े नाम हैं, उनके साथ कई और अच्छे खिलाड़ी हैं, उन्होंने अपने प्रदर्शन से टीम का आत्मविश्वास बढ़ाया है, इसलिए ये मुकाबला आसान नहीं होने वाला.
जबकि सच ये है कि टीम इंडिया के लिए भुवनेश्वर और बुमराह दोनों ही कुछ खास नहीं चले हैं, ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ खेले गए तीसरे टी-20 मुकाबले में भुवनेश्वर और बुमराह ने 7 ओवर में 79 रन लुटाए, उससे पहले भी भुवी की गेंद में वो चमक नहीं दिख रही थी, इस मैच में उनकी जगह अर्शदीप और हर्षल जैसे गेंदबाज होंगे. टीम इंडिया के लिए सबसे बड़ी चिंता डेथ ओवर में गेंदबाजी की है, ये बात रोहित से लेकर राहुल द्रविड़ तक जानते हैं, हम एशिया कप भी उसी वजह से हारे लेकिन टीम इंडिया को बल्लेबाजी कोच विक्रम राठौड़ को ऐसा नहीं लगता, उन्होंने कहा

हर मैच में जब टीम इंडिया टारगेट को बचाने में फेल रही, विरोधी टीम को अच्छा टारगेट देने के बावजूद भी उसे नहीं रोक पाई तो उसके लिए जिम्मेदार बॉलर नहीं हैं, बल्कि उस फील्ड पर पड़ने वाली ओस है, जिस पर हम खेल रहे थे.
अब अगर श्रीलंका के खिलाफ टीम इंडिया पिछली बार की तरह हारी तो शायद यही ओस वाला कारण दोबारा बता दिया जाए क्योंकि अब तो ठंड का मौसम शुरू हो रहा है तो पहले की तुलना में तेजी से ओस पड़ने वाली है, बीसीसीआई को सबसे पहले ऐसे बल्लेबाजी कोच को बाहर का रास्ता दिखाना चाहिए, उसके बाद चोटिल होने वाले खिलाड़ियों पर खास ध्यान देना चाहिए, क्योंकि दीपक हुड्डा एक मैच खेलने के बाद से ही पीठ की इंजरी से परेशान हैं, और तीसरी बात प्लेइंग-11 चुनने में किसी भी तरह की पैरवी नहीं होनी चाहिए, अगर डीके का बल्ला चले तो वो अंदर रहें, राहुल का बल्ला न चले तो वो बाहर रहें, कोई कितना भी महान खिलाड़ी हो, उसकी महानता टीम पर बोझ नहीं बननी चाहिए, वरना हार पक्की है.