बाजार में महंगाई है लेकिन अच्छी ख़बर आई है, भारत ने ब्रिटेन को औकात याद दिलाई है
2030 तक मोदी रहे पीएम तो अमेरिका भी होगा पीछे, देश बिकेगा नहीं बल्कि आगे बढ़ेगा!
5 ट्रिलियन का मजाक बनाने वाले 8 ट्रिलियन देखकर पागल हो जाएंगे,बन रही है प्लानिंग

जो कहते थे मोदी देश को बेच देंगे, अर्थव्यवस्था पर उनका ज्ञान जीरो है वो एक ख़बर देखकर घबरा गए हैं, विपक्ष के नेता से लेकर बड़े-बड़े अर्थशास्त्री तक ये पचा ही नहीं पा रहे हैं कि भारत मोदीनॉमिक्स की बदौलत अर्थव्यवस्था के क्षेत्र में ब्रिटेन से आगे कैसे निकल गया है, ये मोदीनॉमिक्स क्या है, और ब्रिटेन के बाद अमेरिका को पीछे छोड़ने की प्लानिंग कितनी तगड़ी है वो हम आपको बताएं उससे पहले सुनिए कि अर्थव्यवस्था में दुनियाभर में भारत की रैकिंग बढ़ना कितनी बड़ी बात है…जब दुनिया में मंदी छाई है तो भारत में तरक्की कैसे हो रही है? इसके पीछे मोदी मैजिक है या फिर कहानी कुछ और है?

मोदी ने 2047 का सपना दिखाया, कितनों ने मज़ाक बनाया, अब रिपोर्ट अच्छी आई तो सब बेहोश हो गए
भारत 2012 तक भारत अर्थव्यवस्था के मामले में 11वें नंबर पर था, लेकिन अब नंबर 5 पर पहुंच गया है
भारत से आगे अमेरिका, चीन, जापान और जर्मनी हैं, भारत की ये तरक्की कैसे हुई, किसका रोल ज्यादा है?
विपक्षी नेता तो ये तक कहने लगे कि पीएम मोदी 15 लाख के जुमले की तरह ही 5 ट्रिलियन डॉलर का सपना दिखा रहे हैं लेकिन मोदीनॉमिक्स ने खेल बदल दिया. मोदीनॉमिक्स का जिक्र 2019 के लोकसभा चुनाव के बाद से खूब हुआ, जिसमें गांव के छोटे दुकानदार से लेकर छोटे कारोबारियों तक का ख्याल रखा गया, आपने भी शायद लोन लेकर दुकान खोली होगी, अगर आप किसान हैं तो खाते में दो हजार रुपये आते होंगे, ये सब अर्थव्यवस्था को सुधारने के लिए ही था लेकिन कई नेताओं ने इसकी तर्ज पर फ्री की रेवड़ी बांटनी शुरू कर दी है, जिससे देश के खजाने को नुकसान हुआ. फ्री की बजाय लोगों के हाथ में सीधा पैसा आए तो उससे अर्थव्यवस्था तेजी से सुधरती है, जब लोगों के पास पैसा आया तो लोग महंगा सामान भी खरीदने लगे, इससे सरकार का खजाना भरा, टैक्स वसूलने पर जोर दिया गया, यहां तक कि पेट्रोल-डीजल की कीमतें भी बढ़ी ताकि सरकार के पास पैसा आ सके और देश की अर्थव्यवस्था तेजी से बढ़ सके. इसका नतीजा ये हुआ कि
मार्च की तिमाही भारत की अर्थव्यवस्था 854.7 अरब डॉलर पहुंच गई जबकि ब्रिटेन की अर्थव्यवस्था 816 अरब डॉलर पर ही सिमट गई.

पीएम मोदी ने कहा था कि देश को अपने दिमाग से गुलामी की निशान को मिटा देना है, अब तक हिंदुस्तान यही समझ रहा था कि जिस ब्रिटेन ने हम पर राज किया है, वही दुनिया का किंग है, लेकिन भारत ने पीछे छोड़कर कह दिया कि तुम्हारे दिन खत्म हुए, अब हमारे दिन शुरू हो गए हैं. ब्रिटेन को पीछे छोड़ने के बाद अब भारत की प्लानिंग अर्थव्यवस्था में नंबर वन बने अमेरिका को पीछे छोड़ने की है, लेकिन ये इतना आसान काम नहीं है. इसलिए मुख्य आर्थिक सलाहकार डॉ. वी. अनंत नागेश्वरन की पूरी टीम इसमें जुटी हुई है. मुख्य आर्थिक सलाहकार ही वित्तीय मामलों में अपनी राय वित्त मंत्री को देते हैं, फिर बात प्रधानमंत्री तक पहुंचती है और फैसले लिए जाते हैं. एक्सपर्ट कहते हैं कि भारत अगर टैक्स वसूलने पर ढंग से ध्यान दे और फ्री की रेवड़ी बांटना बंद कर दे तो अमेरिका को पीछे छोड़ना मुश्किल नहीं होगा, इसिलिए पीएम मोदी बिजली, पानी फ्री बांटने पर सख्त हैं, सीएम योगी ने तो फ्री राशन तक बंद कर दिया. हम आपको वो गणित समझाते हैं जिससे भारत अमेरिका को भी पीछे छोड़ सकता है.
हिंदुस्तान की आबादी 130 करोड़ है, जबकि अमेरिका की आबादी सिर्फ 33 करोड़ है
वहां निवेश, रोजगार और प्रति व्यक्ति आय भारत की तुलना में कई गुणा ज्यादा है
ये तीन ऐसी चीजें हैं जिन पर मोदी सरकार काम करने वाली है, प्लानिंग बन रही है
कोरोना में किसानों ने अर्थव्यवस्था को संभाला, अब मेक इन इंडिया उसे बढ़ा रहा है
भारत 2030 तक 8 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंचेगा फिर 2050 तक 20 ट्रिलियन डॉलर
अभी अमेरिका की अर्थव्यवस्था 18.1 ट्रिलियन डॉलर की है, जबकि चीन दूसरे नंबर पर है, चीन को पछाड़ने के लिए भारत कई तरह की रणनीति अपना रहा है, पहले भारत नंबर 5 से नंबर दो तक पहुंचने के लिए जोर लगाएगा फिर अमेरिका को पीछे छोड़ेगा, जिसमें 20-30 साल का वक्त लग सकता है, क्योंकि अर्थव्यवस्था की रफ्तार सिर्फ कह देने से नहीं बढ़ती बल्कि उसके लिए दुनिया के हालात, देश का विकास, सड़कें, पानी, बिजली, रिजर्व भंडार और कंपनियों का तेजी से बढ़ने पर निर्भर करता है. इसिलिए अगर नंबर वन बनना है तो 130 करोड़ हिंदुस्तानियों को मेहनत करनी होगी क्योंकि जो देश दस सालों में दुनिया के दो बड़े देशों को पछाड़ सकता है वो अगले तीस सालों में कुछ भी कर सकता है.