यूट्यूबर मनीष कश्यप को पुलिस किस जेल में रखने की तैयारी में है, क्या पटना से तमिलनाडू भेजा जाएगा, मनीष को कितने दिन जेल में रहने के बाद जमानत मिल सकती है और कितने दिनों की सजा हो सकती है, ये वो सवाल हैं जिनका जवाब मनीष का हर शुभचिंतक जानना चाहता है, हम इन एक-एक सवालों का जवाब आपको इस रिपोर्ट में देंगे, लेकिन उससे पहले बताते हैं त्रिपुरारी कुमार तिवारी नाम का लड़का कैसे मनीष कश्यप बना. बिहार के पश्चिमी चंपारण जिले में एक गांव पड़ता है डुमरी महनवा, जहां रहने वाले आर्मी जवान उदित कुमार तिवारी के घर 9 मार्च 1991 को एक लड़का पैदा हुआ, जिसका नाम उन्होंने रखा त्रिपुरारी कुमार तिवारी.

साल 2007 तक की पढ़ाई गांव में ही हुई, फिर 12वीं की पढ़ाई के बाद महाराष्ट्र के पुणे में जाकर इंजीनियरिंग की डिग्री ले ली, लेकिन नौकरी करने की इच्छा नहीं थी तो वापस बिहार आए, यूट्यूब चैनल बनाया और पत्रकारिता शुरू कर दी, चैनल का नाम रखा सच तक और खुद का नाम रख लिया मनीष कश्यप.
जैसे घर में कई लोगों के दो-दो नाम होते हैं वैसे ही त्रिपुरारी का निकनेम मनीष था, और आजकल अपने नाम के आगे गोत्र लगाने का चलन बढ़ा है तो शायद इसीलिए मनीष ने अपने नाम के कश्यप लगा लिया और राष्ट्रवादी पत्रकारिता करने लगे. लेकिन जैसे ही भ्रष्टाचार, नौकरशाही और पोल खोलने वाली रिपोर्ट शुरू की जनता की नजर में हीरो बनते गए और अधिकारी परेशान रहने लगे, इसी बीच चंपारण के कॉलेज में एक अंग्रेज की मूर्ति तोड़ने का मुकदमा मनीष के ऊपर दर्ज हो गए, जैसे-जैसे सुर्खियां मिलती रहीं, एफआईआर की संख्या बढ़ती रही, अब तमिलनाडू में बिहारी मजदूरों से मारपीट का वीडियो चलाने के लिए एफआईआर हुई है ये तो आप जानते ही हैं, लेकिन ये केस बड़े ही दिमाग से आर्थिक अपराध शाखा को ट्रांसफर किया गया है, जैसे किसी नेता के पीछे सीबीआई लगाने के बाद कुछ न निकले तो ईडी लगा दी जाती है और आर्थिक गड़बड़ी में वो पकड़ा जाता है, वही खेल मनीष के साथ हुआ. जैसे ही खातों की जांच हुई 42 लाख रुपये मिले और खाता फ्रीज कर दिया गया, पर मनीष को इस बात से घबराहट नहीं हुई, बल्कि घबराहट इस बात से हुई कि पुलिसवालों ने उनकी मां को जाकर कहा कि बेटे को सरेंडर करवा दीजिए नहीं ठीक नहीं होगा, यहां तक कि 18 मार्च की सुबह-सुबह ट्रैक्टर और बुलडोजर लेकर भी पहुंच गए, किसी ने पूछा कि क्या मनीष कोई गंभीर अपराधी है जो आप ऐसा बर्ताव कर रहे हैं, तो पता चला कि कुर्की वाला आदेश तो इस केस से जुड़ा है ही नहीं.
31 मार्च 2021 को एसबीआई पारस पकड़ी के ब्रांच मैनेजर मयंक रंजन ने शिकायत दी थी कि मनीष कश्यप ने बैंक में घुसकर सरकारी कार्य में बाधा पहुंचाई और रंगदारी की जिसमें एक साल बाद मनीष के खिलाफ वारंट जारी हुआ, और अब सीधे अदालत ने कुर्की का आदेश दे दिया.
मतलब एक साथ कई केस खुल गए, और ये कोई नई बात नहीं है, जब मनीष ने तेजस्वी को सीधा चैलेंज किया था तभी ये पता चल गया था कि मनीष के ऊपर कई नए मुकदमे भी लग सकते हैं, पटना के एसपी साहब ने तो मनीष के खिलाफ कुल 13 मुकदमों की लिस्ट निकाली है और कहा ये आदतन अपराधी है, हालांकि अब अदालत में कितने आरोप साबित होते हैं, ये बड़ा सवाल है, लेकिन मनीष के खिलाफ जिन धाराओं में मुकदमा दर्ज है, उसमें से ज्यादातर गैर जमानती है, करीब 30 दिन बाद ही जमानत की उम्मीद दिख रही है, और अगर आरोप साबित हुआ तो ज्यादा से ज्यादा 7 साल की सजा हो सकती है, इस बीच अगर तमिलनाडु पुलिस को ट्रांजिट रिमांड मिल गया तो फिर मनीष को सीधा बिहार टू तमिलनाडु ट्रांसफर भी किया जा सकता है, लेकिन इन सबसे पहले 19 मार्च को जयपुर में होने वाले ब्राह्मण महापंचायत से मनीष को काफी उम्मीदें होंगी, बिहार में लोग मनीष के समर्थन में सड़कों पर है, सैकड़ों लोग थाने के बाहर प्रदर्शन भी कर रहे थे, नतीजा पुलिस चेहरा छिपाकर मनीष को गाड़ी में बिठाकर ले गई. लेकिन सच तक के पत्रकार को कब तक कैद रख पाएगी, ये बड़ा सवाल है.
ब्यूरो रिपोर्ट ग्लोबल भारत टीवी