राजू पाल की मौत के बाद तीन किरदार ऐसे हैं जिनकी नींद उड़ गई है,आधी-आधी रात में योगी फोन लगाकर हुक्म सुनाते है कि मुझे नतीजा चाहिए, दूसरी तरफ आरोपी है जो अपनी अंतिम सांस गिन रहे हैं, तीसरी तरफ हैं ये दो IPS जिनको योगी ने सौंपी है सबसे बड़े ऑपरेशन की ज़िम्मेदारी! इधर सदन में मिट्टी में मिला दूंगा का ऐलान हुआ उधर प्रयागराज की धरती पर ऑपरेशन मिट्टी में मिलाओ का आगाज़ हुआ…सिर्फ कुछ घण्टे के बाद पहला नतीजा भी आया, अतीक अहमद के बेटे का ड्राइवर एनकाउंटर में ढेर हो गया, पर सवाल उठता है हज़ारों IPS अधिकारियों की भीड़ में से इन दोनों में ऐसा क्या है कि योगी आंख बंद करके भरोसा करते है..
हमारे सूत्र कहते है प्रयागराज का जवाब इतना बड़ा मिलने वाला है कि ये घटना भी इतिहास में अमर होने वाली है…वहां कभी भी कुछ बड़ा हो सकता है…योगी की पहली पसंद हैं अमिताभ यश…मैदान पर खुद ऑपरेशन को लीड करने वाले अमिताभ यश की कहानी फिल्मी है, यूपी को सुरक्षित रखने के लिए परिवार को दांव पर लगाने वाले ऑफिसर्स की पूरी कहानी सुनकर आप कहेंगे ये हैं यूपी के असली शेर…अमिताभ यश को ही ऑपरेशन विकास दुबे की कमान सौंपी गई थी, सिर्फ 96 घण्टे में ही नतीजा आ गया था…प्रयागराज की घटना के बाद CM योगी ने अमिताभ यश को फिर जिम्मेदारी सौंपी..पर आपको जानना होगा अमिताभ यश में ऐसा क्या है जिससे वो योगी की पहली पसंद बन गए हैं…वो कहानी जो कई लोग नहीं जानते हैं…साल 2008 में कुछ बहुत बड़ा हुआ था…

UP में विकास दुबे, अतीक अहमद जैसे माफियाओं से पहले डाकूओं का राज था, ददुआ नाम का डाकू ऐसा था जिसको पुलिस कभी नहीं पकड़ पाती थी, STF भी कई बार फेल हो गई, उसी वक्त UP में डीजीपी विक्रम सिंह बने, उन्होंने ईमानदार और तेज़-तर्रार IPS अमिताभ यश को ददुआ को मारने का जिम्मा सौंपा…

ऑपरेशन ददुआ के लिए अमिताभ यश करीब तीन महीने चंबल के जंगलों में रहे, 15 अप्रैल 2008 को मायावती सरकार ने ददुआ को मारने का आदेश दिया…यही से अमिताभ यश की ज़िंदगी बदलने वाली थी…

STF के 22 जवानों के लीडर थे अमिताभ यश, उस वक्त वो STF के SSP थे, एक लड़के के सामने एक तरफ पूरा परिवार था और दूसरी तरफ वर्दी का सम्मान था…जंगलों की ख़ाक ढूंढते-ढूंढते ददुआ मिल गया और फिर वो हुआ जो कोई नहीं कर पाया था…ददुआ को मारने आए कई ऑफिसर्स का या तो तबादला हो जाता या फिर वो मैदान छोड़कर भाग जाते, विधायक-सांसद नोटों से भरा बैग पहुंचाते, वो जंगलों का जानकार था और लोकल सपोर्ट भी था…फिर भी कमेस्ट्री की पढ़ाई में मास्टर अमिताभ यश ने जाल बिछाया, और
ददुआ को 22 जुलाई 2008 को मार गिराया, DGP विक्रम सिंह खुद हेलीकॉप्टर से पहुंचे, आज ददुआ का एनकाउंटर करने वाला ऑफिसर ही अतीक के गुर्गों और उसके बेटों के खिलाफ खड़ा है…
अमिताभ यश का करियर ट्रैक ऐसा रहा है कि कोई भी अपराधी या माफिया पंगा नहीं लेना चाहता है, जिस ऑफिसर ने ददुआ जैसे शातिर डाकू को निपटा दिया उसके सामने राजू पाल के आरोपियों की फाइल बहुत देर तक नहीं टिकने वाली है, वो कहीं भी हो यमराज से उन्हें कोई बचा नहीं पाएगा, योगी को पूरा भरोसा है ऐसे ऑफिसर पर जो सिर पर कफन बांध कर चलते हैं, वो खुद की मौत से नहीं डरते हैं, इसलिए एनकाउंटर में अपराधी मारे जाते है…अमिताभ यश के फोन पर CM योगी का फोन डायरेक्ट आता है, वो इतने ताकतवर हैं कि खुद भी CM को फोन मिला देते हैं…अमिताभ यश का डर माफियाओं में भी कूट-कूट कर भरा है…अमिताभ यश के साथ मिलकर एडीजी प्रशांत कुमार पूरी कहानी लिखते हैं और फिर योगी को नतीजा सौंपते हैं…विकास दुबे ने भागने की लाख कोशिश की नहीं भाग पाया, अब अतीक का परिवार और उसके गुर्गों की बारी है…कहते हैं अमिताभ यश और प्रशांत कुमार विभाग से आगे चलते हैं, ऑपरेशन की हर बात डीजीपी को पता हो या ना हो पर CM को पता होती है, प्रशांत कुमार लखनऊ में बैठकर फाइल, मीडिया और सबूत का इंतज़ाम करते हैं, तो अमिताभ यश मैदान में उतरकर मिट्टी में मिलाने का काम करते हैं.