मोहम्मद शमी ने विजय दशमी की बधाई तो कुछ लोगों के कान कौवा लेकर गया
देश का खिलाड़ी, देश का हीरो, देश के लिए खेलता है, लेकिन कैसे दे दी है बधाई?
जो कहते हैं ईद की बधाई दे मोदी-योगी वो शमी की दशहरा बधाई पर भड़क गए!
मोहम्मद शमी ने ट्विटर विजय दशमी की बधाई, पहले आप वो ट्वीट देखिए हम उस सोच का पोस्टमार्टम करते हैं, जो सेक्युलर होने की बात तो करते हैं लेकिन शमी की बधाई पर उन्हें कब्र की कहानी सुनाने लगे. पहले आप पूरी कहानी सुनिए फिर आपको दिखाते हैं शमी ने ऐसे लिबरल गैंग को क्या जवाब दिया?

मोहम्मद शमी ने सोशल मीडिया पर भगवान राम के रावण का वध करते हुए एक तस्वीर पोस्ट की.जिस पर लिखा था हैप्पी दशहरा…तस्वीर के साथ ही उन्होंने ट्वीट लिखा “दशहरे के शुभ अवसर पर मैं प्रार्थना करता हूँ कि भगवान राम आपके जीवन को ढेर सारी समृद्धि, सफलता और खुशियों से भर दें. आपको और आपके परिवार को दशहरा की हार्दिक शुभकामनाएँ.” इसके बाद कुछ कट्टरपंथी मैदान में आ गए, ये बताने के लिए मोहम्मद शमी को बधाई देने का हक़ नहीं है? ट्विटर पर जो सवाल उठाया गया वो बताएं उससे पहले जानिए ये लोग कौन है?

कुछ दिन पहले जब भारतीय टीम में एक भी मुस्लिम खिलाड़ी का चयन नहीं हुआ तो यहीं लोग ये कहने लगे कि भारतीय टीम सेक्युलर नहीं है, शाह के कहने पर किसी मुस्लिम को जगह नहीं दी गई. मोहम्मद शमी देश के लिए खेलते हैं, लेकिन ये गैंग चाहता है कि वो सिर्फ एक धर्म की बात करें. देश से बड़ा धर्म किसके लिए होता है ये उसका जीता जागता सबूत है. शमी का ट्वीट शेयर करते हुए कुछ लोगों ने जो लिखा है वो देखिए. अकील भट्टी नाम के एक ट्वीटर हैंडल ने लिखा, “शर्म आनी चाहिए शमी, क्या तुम मुस्लिम हो?” एक ट्विटर यूजर ने तो हद कर दी. इब्न ए अहमद नाम के ट्विटर हैंडल ने शमी द्वारा दशहरा की बधाई देने पर कटाक्ष करते हुए लिखा, “टीम में नहीं लेंगे भाई… हसन मंजूर नाम के एक ट्विटर हैंडल ने लिखा, “ये जानते हुए कि अल्लाह के सिवा कोई खुदा नहीं है, एक मुस्लिम होने के नाते आप ऐसा कैसे कह सकते हैं?” अमन मिर्जा नाम के एक अन्य ट्विटर हैंडल ने लिखा, “मरने के बाद दोबारा उठाया भी जाना है, कब्र-कयामत सब भूल बैठे हैं. अल्लाह हिदायत दे.” अब सवाल उठता है कि ये लोग आख़िर चाहते क्या हैं? जब शमी का सलेक्शन न हो तो देश याद आता है, देश का सिस्टम याद आता है और जब शमी देश के ख़ास त्योहार को बधाई देते हैं तो वो इस्लाम की थ्योरी समझाते है. कोई भी खिलाड़ी या सेलिब्रेटी जो देश के लिए खेलता है करता है वो किसी धर्म का नहीं होता है. कुछ दिन पहले ही अर्शदीप को खालिस्तानी कहा गया. मोह्मद शमी दशमी की बधाई दें तो दिक्कत, और मोदी-योगी से कहकर बधाई लेने की प्रथा बहुत पुरानी है. कहानी ये है कि भारत की तरफ से खेलने वाला खिलाड़ी सिर्फ मुस्लिम त्योहार मनाएं.