15 सालों से जड़े जमाए बैठे पीएफआई ने अगर ये पांच गलतियां नहीं की होती तो डोभाल रातों-रातों बदले का प्लान न बनाते. उनमें सबसे पहली गलती पीएम मोदी की सुपारी लेने की थी, दूसरी गलती बीजेपी कार्यकर्ता को मारने की थी, तीसरी गलती योगी के यूपी में आतंक मचाने की थी, चौथी गलती सीएए-एनआरसी और हिजाब के नाम पर लोगों को भड़काने की थी और पांचवीं गलती देश के दुश्मनों के साथ मिलकर देश को हिलाने की थी. इनके गुनाहों का पूरा कच्चा चिट्ठा आपके सामने लाएं उससे पहले मोदी का ये एक्शन प्लान सुनिए जिसने रातों-रात पीएफआई के किले को ध्वस्त कर दिया.

2 सितंबर को पीएम मोदी केरल दौरे पर थे, वहां उन्होंने नेवी के लोगो का उद्घाटन किया, साथ में डोभाल भी थे, लेकिन वो मोदी के साथ वापस नहीं लौटे बल्कि केरल में ही रुककर पीएफआई की कुंडली खंगलवाने लगे, जब पूरी जानकारी मिल गई, तो वहां से लौटकर सीधा मोदी की रिपोर्ट दी, लेकिन अभी प्लानिंग पूरी नहीं हुई थी, अभी कर्नाटक में हालात का जायजा लेना जरूरी था, क्योंकि केरल, कर्नाटक और महाराष्ट्र ये तीन राज्य पीएफआई के सबसे बड़े गढ़ थे, जहां जाने का हिम्मत पुलिस भी नहीं जुटा पाती थी. इसलिए अमित शाह खुद कर्नाटक दौरे पर गए, वहां से लौटे तो फिर पता चला कि साउथ तो ओके है, इधर यूपी-बिहार-दिल्ली में पहले से मामला टाइट है.

लेकिन महाराष्ट्र में थोड़ा बवाल बढ़ सकता है, इसिलिए गणेश पूजा के नाम पर पहले आधी रात को डोभाल गए और फिर शाह, ये पूरी तैयारी करीब 20 दिनों तक चली, 21 सितंबर की रात सारे अधिकारियों के साथ एक बैठक हुई और 22 सितंबर को पीएफआई के ठिकानों पर रेड पड़ गई, पहले छापे में जो-जो कागजात मिले उससे जांच एजेंसी के अधिकारी भी हिल गए, इसीलिए फिर दूसरे छापे का प्लान बना, और 27 सितंबर को देश के दुश्मनों पर आखिरी वार हुआ, गृहमंत्रालय की ओर से आदेश निकाला गया कि अब पीएफआई का खेल खत्म हो गया है. गृहमंत्रालय के आदेश में जो लिखा है वो आपको सुनना चाहिए.

PFI के संबंध सिमी, JMB और IS जैसे आतंकी संगठन से हैं, युवाओं, छात्रों, महिलाओं, वकीलों और समाज के कमजोर लोगों तक पहुंचने के लिए इसने अलग-अलग संगठन बनाए हुए हैं, इन सभी संगठनों का कई प्रतिबंधित संगठनों से चोली-दामन का साथ है, देशहित में इन्हें बैन करना बेहद जरूरी है.
जब यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ मुलायम सिंह की सरकार में जेल गए थे तो इसी पीएफआई ने दंगे करवाए थे और उसका आरोप सीएम योगी पर लगा था, जब एक नेता के साथ ऐसा हो सकता है तो सोचिए पीएफआई ने अपने राजनीतिक रसूख का इस्तेमाल करके कितने युवाओं का करियर बर्बाद किया होगा. इसलिए इस पर बैन लगते ही सीएम योगी ने ट्वीट कर लिखा

राष्ट्र विरोधी गतिविधियों में संलिप्त PFI और उसके अनुषांगिक संगठनों पर लगाया गया प्रतिबंध सराहनीय एवं स्वागत योग्य है. यह ‘नया भारत’ है, यहां आतंकी, आपराधिक और राष्ट्र की एकता व अखंडता तथा सुरक्षा के लिए खतरा बने संगठन एवं व्यक्ति स्वीकार्य नहीं.
योगी से पंगा लेने के बाद पीएफआई ने देशभर में लव जिहाद को बढ़ावा दिया, उसके बाद कर्नाटक में प्रवीण नेतारू नाम के बीजेपी कार्यकर्ता पर हमला कर उसने खुद के खात्मे की कहानी लिख डाली, प्रवीण नेतारू के लिए पूरा कर्नाटक उमड़ पड़ा था, लोगों का गुस्सा इतना था कि सीएम को अपना प्रोग्राम रद्द करना पड़ा और फिर केन्द्रीय मंत्री शोभा करंदलाजे ने पीएफआई बैन को लेकर अमित शाह को चिट्ठी लिखी और इसकी एनआईए जांच की मांग की थी, तभी ये लगने लगा था कि पीएफआई के दिन अब गिनती के रह गए हैं. उससे पहले इसने हिजाब से लेकर सीएए-एनआरसी समेत कई बातों पर लोगों को बरगलाने की कोशिश की, जिससे ये मोदी-शाह की लिस्ट में आ चुका था, लेकिन डोभाल को आदेश मिलना बाकी थी, जैसे ही डोभाल को आदेश मिला उन्होंने दो महीने के भीतर बता दिया कि हिंदुस्तान के शेर की सुपारी लेने की हिमाकत जिसने भी की उसकी हालत इससे भी खराब होगी. अब हिंदुस्तान में रहना है तो हिंदुस्तान जिंदाबाद के ही नारे लगेंगे, टुकड़े-टुकड़े गैंग वालों को अब गुनाहों की सजा भुगतनी ही होगी.