जी हां…इस वक्त देश का हर इंसान ये जानना चाहता है कि ज्ञानवापी का असली सच क्या है…क्या है उस शिवलिंग की सच्चाई…इस सवाल को लेकर हंदू और मुस्लिम पक्ष आपस में बिड़ रहे हैं..लेकिन अब इस लड़ाई का हाल योगी ने निकाल लिया है…

योगी ने इस सच को दुनिया के सामने लाने के लिए एक ऐसे अफसर को जिम्मेदारी दी है..जो पाताल से भी सच को बाहर निकालने की ताकत रखता है…जिसके हुनर से कोई रहस्य नहीं बच पाया….अपने अभी तक के करियर में इस अफसर ने कई बड़े बड़े कारनामों को अंजाम दिया है….इस अफसर की नजर बाज से भी तेज हैं…..

तो चलिए आपको उस अफसर के बारे मे बताएं…उससे पहले ज्ञानवापी को लेकर आई ये बड़ी खबर जान लिजिए…
ज्ञानवापी परिसर में शनिवार सुबह आठ बजे सर्वे शुरू हुआ….43 लोगों की टीम जब ज्ञानवापी पहुंची तो कड़ी सुरक्षा नजर आई….एसआई की टीम ने मुख्य परिसर से गुंबद, व्यासजी के तहखाने के सात अन्य हिस्सों में जाकर जांच की

हिंदू पक्ष का कहना है कि तहखाने में मूर्तियों और मंदिर के टूटे हुए खंभों के अवशेष मिले हैं। अभी एएसआई को ऐसे कई और प्रमाण मिलेंगे, जिनके आधार पर वैज्ञानिक पद्धति से यह स्पष्ट हो जाएगा कि ज्ञानवापी का धार्मिक स्वरूप बदला गया था….
अभी भी ये सर्वे जारी है..लेकिन जिस अफसर को इस सर्वे की जिम्मेदारी दी गई है..उसकी इस वक्त चर्चा हो रही है..कहा जा रहा है कि अब ज्ञानवापी का सच पूरी दुनिया के सामने आ जाएगा…क्योंकि ये अफसर जहां भी जाता है….दूध का दूध पानी का पानी कर देता है..इस अफसर से कोई रहस्य छुप नहीं पाया…
इस अफसर का नाम है डॉ. आलोक त्रिपाठी….
आलोक त्रिपाठी को अंडरवाटर आर्कियोलॉजिकल
ये वो शख्स हैं जिसके बारे में कहा जाता है कि ये पाताल से भी सच को बाहर लाने का हुनर रखता है…इस इंसान से सच कभी बच नहीं पाया…. ज्ञानवापी सर्वे की टीम का नेतृत्व कर रहे आलोक त्रिपाठी को अंडरवाटर आर्कियोलॉजिकल मामलों में महारथ हासिल है…आलोक त्रिपाठी लक्षद्वीप के बांगरम आइलैंड के समुद्र में प्रिसेंस रॉयल जहाज के अवशेष ढूंढने में कामयाबी हासिल कर चुके हैं…

डॉ. त्रिपाठी इस समय एएसआई के एडिशनल डायरेक्टर जनरल के पद पर भी काम कर रहे हैं. ..डॉ. आलोक ने प्राचीन गुफाओं के रास्ते होने वाले व्यवसाय के बारे में भी खासा रिसर्च किया है. वे इतिहास के जाने-माने प्रोफेसर के रूप में पहचाने जाते हैं…
आलोक त्रिपाठी तमिलनाडु के मामल्लापुरम और अरिकामेडु, गुजरात के द्वारका, महाराष्ट्र के एलीफेंटा के साथ साथ कई और भी जगहों पर शोध कर चुके हैं..माना जा रहा है कि आलोक त्रिपाठी का काबिलियत को देखते हुए उन्हे ये जिम्मेदारी सौंपी गई है..ताकि बाद मे ज्ञानवापी पर कोई सवाल ना रह जाए…
पाठी को बचपन से ही आर्कियोलॉजिस्ट बनने का शौक था….आलोक त्रिपाठी ने एक बार बताया था कि मैं उस समय से पुरातत्वविद बनना चाहता था, जब चौथी कक्षा में था..एक किस्से का जिक्र करते हुए उन्होने कहा था कि तमिलनाडु के मामल्लापुरम तट पर सुनामी के बाद प्राचीन मंदिरों के अवशेष उभरे थे…तब डॉ. आलोक त्रिपाठी के नेतृत्व में एएसआई की टीम ने उसका सर्वे किया था…तो आपका इस अफसर को लेकर क्या कहना है और क्या आपको लगता है कि ज्ञानवापी एक हिंदू मंदिर था जिसे मस्जिद बना दिया गया..कमेंट करके अपनी राय जरूर दें….