दुनिया में सबसे ज्यादा आबादी वाला देश बना भारत
भारत में हर साल इतने बच्चे पैदा होते हैं कि 78 देशों में उतनी कुल आबादी नहीं है. चीन अभी तो पीछे छूटा है ऐसा ही चलता रहा तो कुछ दिन बाद बहुत पीछे छूट जाएगा. क्योंकि चीन के मुकाबले हिंदुस्तान में हर साल दोगुने बच्चे पैदा हो रहे हैं. संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट ने एक नया सवाल मोदी सरकार के सामने लाकर खड़ा कर दिया है कि क्या भारत को अब हर हाल में जनसंख्या नियंत्रण कानून लाना ही होगा. क्योंकि इस तरह से आबादी बढ़ती रहेगी तो आने वाले दिनों में घर बनाने के लिए जगह तक नहीं बचेगी. रोजगार और महंगाई की तो आप बात ही छोड़ दीजिए.

आंकड़े बता रहे हैं कि अगर इसी स्पीड से भारत की आबादी बढ़ती रही तो 2050 तक 166 करोड़ लोग हिंदुस्तान में हो जाएंगे. इस कदर आबादी बढ़ने के कई नुकसान हैं. जो आपको आगे बताएंगे लेकिन पहले ये सोचिए कि क्या बच्चे दो ही अच्छे सिर्फ पोस्टर तक सीमित रहेगा. हम हिंदुस्तानियों को कोई भी चीज बिना सख्ती के समझ नहीं आती है.
हम तो अपनी सेफ्टी के लिए हैलमेट भी पुलिस के डर से ही लगाते हैं तो ये बात कैसे समझ आएगी कि जो हालात चीन में अभी हैं वो हमारे यहां भी पैदा हो सकते हैं. ऐसे में मोदी सरकार क बड़ा कदम उठाना होगा. जिसके लिए पीएम मोदी जाने भी जाते हैं. एक जनसंख्या पॉलिसी हमें लानी होगी. वरना जिस तरह से आज चीन में खेती के लिए जमीन नहीं बची है हमारा भी हाल वही होगा. और शहर एक सीमा तक अच्छे लगते हैं. सोचिए अगर हमारे पास खेती के लिए जमीन ना होती तो कोरोना के वक्त क्या हालात हो जाते.
unfpa population report 2023 (UNFPA जनसंख्या रिपोर्ट )
फिलहाल भारत की कुल आबादी 142.86 करोड़ है और चीन की जनसंख्या 142.57 करोड़ है. 1950 के बाद ये पहली बार है जब भारत की आबादी चीन से ज्यादा हुई है. 1950 में हमारी आबादी 36 करोड़ हुआ करती थी. तब से हम लगातार बढ़ ही रहे हैं. आपको क्या लगता है कि जनसंख्या बढ़ने के क्या कारण हैं. आप कमेंट करके अपनी राय रख सकते हैं. लेकिन UNFPA की रिपोर्ट में जो कारण बताये गए हैं वो हम आपको बता रहे हैं. इस रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में आबादी बढ़ने की तीन बड़े कारण हैं.
पहला- शिशु मृत्यु दर में गिरावट यानी एक साल से कम उम्र के बच्चों की मौत घट रही है.
दूसरा- नवजात मृत्यु दर में कमी यानी 28 दिन की उम्र तक के बच्चों की मौत में कमी आ रही है.
तीसरा- अंडर-5 मोर्टेलिटी रेट कम होना यानी पांच साल से कम उम्र के बच्चों की मौतों की संख्या घट रही है.
भारत में 2012 में शिशु मृत्यु दर हर एक हजार बच्चों पर 42 थी, जो 2020 में घटकर 28 पर आ गई. यानी, 2012 में पैदा होने वाले हर एक बच्चों में से 42 एक साल भी नहीं जी पाते थे.
इसी तरह प्रति हजार बच्चों पर नवजात मृत्यु दर भी 2012 में 29 थी जो अब घटकर 20 पर आ गई. वहीं, हर एक हजार बच्चों पर अंडर-5 मोर्टेलिटी भी 2012 में 52 थी, जो 2020 में घटकर 32 हो गई है.
दूसरी ओर चीन में जन्म दर कम हो रही है. चीन के सरकारी आंकड़े बताते हैं कि 2022 में देश में जन्म दर प्रति हजार लोगों पर 6.77 थी, जबकि 2021 में ये 7.52 थी. 1949 के बाद ये पहली बार था जब चीन में जन्म दर में गिरावट आई.

भारत के केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की ताजा रिपोर्ट बताती है कि 2021-22 में सालभर में 2.03 करोड़ से ज्यादा बच्चों का जन्म हुआ. यानी, हर दिन औसतन 56 हजार बच्चे पैदा हुए. इससे पहले साल 2020-21 में दो करोड़ से कुछ ज्यादा बच्चों का जन्म हुआ था. इसका मतलब हुआ कि 2020-21 की तुलना में 2021-22 में 1.32 लाख ज्यादा बच्चों का जन्म हुआ. ये आंकड़ा इसलिए भी चौंकाता है क्योंकि अगर दुनिया के 78 देशों की आबादी को जोड़ दिया जाए तो ये संख्या दो करोड़ से कुछ ज्यादा ही बैठती है.