योगी राज में इतनी बड़ी मिलावट जूते से सड़क खोदने पर टूट गई
उत्तर प्रदेश के 75 जिलों में कई ऐसे गांव हैं, जहां की सड़कें टूटी हैं, कई ऐसे शहर हैं जहां की सड़कें गड्ढे में तब्दील हो चुकी हैं, लेकिन कभी कोई ऐसी सड़क नहीं दिखी जहां जूता मारते ही गड्ढा पड़ जाए, जरा सोचिए किस क्वालिटी का काम वो ठेकेदार करवा रहा होगा, जिसकी सड़क जूते की नोंक से टूट जाती है, जूता कितना भी मजबूत हो सड़क तोड़ने का दम नहीं रखता, क्या विधायक जी ने लोहे का जूता पहना था, ये सवाल हम नहीं बल्कि उत्तर प्रदेश की करोड़ों जनता पूछ रही है, ये तस्वीर उस बात का गवाह है कि ठेकेदारों ने कैसे अपनी मनमर्जी से पब्लिक को परेशान कर रखा है. ये हैं गाजीपुर के जखनिया से सुभासपा विधायक बेदी राम, जो ऑफिस में बैठकर लोगों की शिकायतें सुन रहे थे, तभी किसी ने कहा विधायकजी वहां सड़क बहुत बेकार बन रही है, वहां पहुंचे तो जूते से सड़क खोदने लगे, ठेकेदार को सुनाने लगे.
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सुभासपा विधायक ने सड़क मिलावट की योगी सरकार को लाइव तस्वीर दिखाई
इस तस्वीर को देखने के बाद कई लोग कहने लगे, विधायक जी आप मेरे यहां भी आना, वहां की सड़कें और खराब हैं, ये विधायक योगी की पार्टी के नहीं हैं, लेकिन कहते हैं सीएम योगी ने विधानसभा में सड़कों वाली बात कही तो मैं इस पर विशेष फोकस हो गया. मतलब राजभर की पार्टी के विधायक ये बता रहे हैं कि सियासत की बात एक तरफ और जनता का हित एक तरफ है, कुछ लोग इसे सियासी ड्रामा भी कह सकते हैं, ये भी हो सकता है कि योगी सरकार को बदनाम करने के लिए ऐसा हुआ हो, लेकिन सवाल ये उठता है कि हर साल इतनी संख्या में सड़कें टूटती क्यों हैं, हम आपको उदाहरण के जरिए ये खेल समझाते हैं.

मान लीजिए आपके शहर की सड़क टूटी, आपने शिकायत की, PWD ने बजट पास करवाया, सरकार ने पैसे दिए और काम शुरू हो गया. लेकिन जैसे ही काम ठेकेदार तक आया वहां कमीशन का खेल शुरू हो जाता था, 100 प्रतिशत में से करीब 50 प्रतिशत पैसे का काम होता और बाकी का 50 प्रतिशत सबकी जेब में चला जाता था, ये हर कोई जानता है. इसिलिए कई सड़कें जानबूझकर कमजोर बनाई जाती हैं, ताकि हर साल उनके नाम पर फंड आता रहे और कमाई होती रहे, देशभर में ऐसे ठेकेदारों की कमी नहीं है.

फिलहाल केन्द्रीय सड़क मंत्रालय का जिम्मा नितिन गडकरी के पास हैं, जो कहते हैं पैसे की कोई कमी नहीं है, देशभर में सड़कों का शानदार जाल बिछा रहे हैं, जबकि राज्यों में PWD इसका जिम्मा देखता है, यूपी में PWD मंत्रालय जितिन प्रसाद के पास है, जो नए-नए एक्सप्रेसवे के कामों का जायजा लेने में इतना व्यस्त हैं कि ब्रजेश पाठक की तरह दूर-दूर तक छापा मारने शायद नहीं जा पाते. लेकिन ये तस्वीर देखकर उन्हें भी वहां जाना चाहिए, ताकि उस ठेकेदार की हकीकत सामने आ सके. सीएम योगी जब मुख्यमंत्री बने तो उन्हें ये बात पता थी इसिलिए पर योगी ने आते ही इस पर लगाम लगाना शुरू कर दिया, वो भ्रष्टाचारियों, माफियाओं और जनता को लूटने वालों पर बुलडोजर चलाने लगे, कई ठेकेदार ब्लैकलिस्टेड भी हुए, पर लगता है वो कार्रवाई उतनी प्रभावी हुई नहीं. अब दोषी पाए जाने पर इस ठेकेदार का क्या होगा, कहा नहीं जा सकता. पर इतना तय है कि दोषी हुआ तो एक्शन तो होगा. आपको क्या लगता है ऐसे लोगों पर बुलडोजर चलना चाहिए, जेल भेजा जाना चाहिए या ब्लैकलिस्टेड करके हमेशा के लिए ठेकेदारी ही खत्म करवा देनी चाहिए, कमेंट में बता सकते हैं. क्योंकि सड़़कों से लेकर अस्पतालों तक में जो पैसा लग रहा है वो है तो हमारा और आपका ही, रिक्शावाले से लेकर अमीर आदमी तक के टैक्स के पैसे को जो लूटे उसका मुकम्मल इलाज तो जरूर होना चाहिए.