UPPCS 2022:टॉप- 10 टॉपर्स की संघर्ष गाथा
यूपी में मुस्लिम लड़कों से चार कदम आगे बढ़कर लड़कियों ने मिसाल पेश की है. इधर लड़के योगी और अखिलेश के नाम पर राजनीति करते रहे उधर लड़कियों ने यूपीपीसीएस में ऐसे झंडे गाड़े कि कई कट्टर लोगों की आंखे खुल गईं. मुस्लिम बेटियों ने ना सिर्फ परीक्षा पास की, बल्कि टॉप-10 में दो मुस्लिम लड़कियों ने आपनी जगह पक्की की. इन दोनों की कहानी ऐसी है जो लाखों बेटियों को प्रेरित करेगी. क्योंकि मुस्लिम समाज में लड़कियों को पढ़ाने का चलन कम है. जब इनकी कामयाबी को मां-बाप देखेंगे तो वो अपनी बेटी को रोकेंगे नहीं. इनमें से एक लड़की के पिता तो किराना स्टोर चलाते हैं. सोचिए वो कितना ही कमाते होंगे. लेकिन उसने सारी बाधाओं को पार किया. इनका नाम है सल्तनत परवीन जो अब एसडीएम बनेंगी. और योगी का बुलडोजर चलाएंगी. साथ ही फैसले भी सुनाएंगी.

वॉलीबॉल की राष्ट्रीय स्तर की खिलाड़ी हैं सल्तनत परवीन

सल्तनत परवीन ने चौथे प्रयास में परीक्षा पास की लेकिन तीन बार फेल होने पर भी उन्होंने हिम्मत नहीं हारी. उनका मानना था कि घंटे और वक्त गिनने से कुछ नहीं होता बस प्रयास करते रहना चाहिए. सल्त्नत वैसे तो कंप्यूटर साइंस की छात्री रही हैं. लेकिन वो खेल में भी माहिर हैं और बॉलीवॉल की नेशनल प्लेयर हैं. उनके पिता मोहम्मद शमीम लखनऊ में ही जनरल स्टोर चलाते हैं. लेकिन बेटी की उड़ान को उन्होंने कभी नहीं रोका.
मोहसिना बानो:लगातार पढ़ाई से मुझे सफलता मिली

टॉप-10 में दूसरी मुस्लिम लड़की है मोहसिना बानो. जो पहले नायब तहसीलदार के पद पर थीं. लेकिन फिर से परीक्षा में बैठीं और सातवां स्थान हासिल किया. मध्य प्रदेश के टीकमगढ़ की रहने वाली मेहसिना 2021 में नायब तसीलदार बनी और दो साल बाद ही अपनी रैंक में सुधार करने के बाद कहा कि, मैंने पिछले साल पूछे गए सवालों से तैयारी की और लगातार पढ़ाई करती रही. जिससे मुझे सफलता मिली.
इन लड़िकियों की सफलता कई मायनों में अहम है. इसका राजनीतिक पहलू ये है कि विपक्ष के उस आरोप की काट है जिसमें वो बीजेपी को मुस्लिम विरोधी कहता है. क्योंकि अगर ऐसा होता तो हर कदम पर मुसलमानों को रोका जाता. फिर भी प्रदेश की सबसे बड़ी परीक्षा की टॉप लिस्ट में मुस्लिम लड़कियों का नाम है तो कहा जा सकता है कि जो लायक है उसको जगह मिलेगी ही मिलेगी.
और इसी से सामाजिक पहलू भी निकलकर सामने आता है कि शिक्षा के क्षेत्र में पिछड़े मुस्लिम वर्ग में लड़कियों की पढ़ाई पर कुछ खास ध्यान नहीं दिया जाता. लेकिन ऐसी लड़कियां अगर कामयाबी के झंडे गाड़ेंगी तो निश्चित उसमें इजाफा होगा.
वैसे भी यूपीपीसीएस की परीक्षा में जिस तरीके से लड़कियों ने लड़कों को पीछे छोड़ा है वो काबिले तारीफ है. आप देखिए कि टॉप-10 में 8 लड़कियां हैं और टॉप-3 तीनों ही लड़कियां हैं. कुल पास परीक्षार्थियों में से 30 प्रतिशत इस बार लड़कियां हैं. टॉप-10 में एक लड़का कुमार गौरव पांचवे नंबर है जो अंबेकर नगर का रहने वाला है और दूसरा संदीप कुमार तिवारी दसवें नंबर पर है जो गोंडा का रहने वाला है. आगरा की रहने वाली दिव्या सिकरवार ने टॉप किया है.
दिव्या सिकरवार,संदीप कुमार तिवारी,कुमार गौरव

जिसकी कहानी ऐसी है जो सबको प्रेरित कर सकती है. वो दो साल तक अपने कमरे से बाहर नहीं निकली. उसी कमरे में खाना, पढ़ना और सोना होता था. हर दिन वो कम से कम 12 घंटे पढ़ाई करती थीं. कुल मिलाकर यूपी में यूपीपीएससी का परिणाम बेटियों की सफलता का उत्सव है. बेटियों ने अपनी हिस्सेदारी से नई तस्वीर बयां की है.घर की दहलीज से निकलते ही बेटियां आसमान को कदमों में लाने का दम भर रही हैं. वो सिर्फ बोलकर नहीं बल्कि करके दिखा रही हैं. ये नतीजे उस सोच पर हमला है, जो बेटियों को घर से निकलने पर आंख तरेरता है. कई लड़कियां 10 सालों से इस परीक्षा की तैयारी में जुटी थीं. जिनकी सफलता उनकी जीवटता को दिखाती है. लक्ष्य को लेकर उनकी जिद और जुनून को दिखता है.