KBC स्टाइल में पढ़ाई, UPPSC के गेट पर ‘आरंभ है प्रचंड’ पर डांस
UPPCS का रिजल्ट आया तो मीडिया ने आपको टॉपर दिव्या सिकरवार की कहानी सुनाई, आगरा की आयुषी के बारे में बताया, जिनके पिता योगेन्द्र ऊर्फ भूरा क्रिमिनल थे, 12-12 घंटे पढ़ने वाली ऐश्वर्या दूबे की सक्सेस स्टोरी बताई, पर किसी ने जावेद आलम के बारे में नहीं बताया, जिन्होंने नाच-नाचकर यूपीपीसीएस की परीक्षा पास कर ली.

सोशल मीडिया पर पहले से ही फेमस हैं जावेद
ये तस्वीर देखिए, जावेद आलम जब यूपीपीसीएस की मुख्य परीक्षा पास करने के बाद इंटरव्यू के लिए पहुंचे तो सबसे पहले गेट पर ही डांस किया, वो आरंभ है, प्रचंड गाने पर करीब एक मिनट तक डांस करते हैं, फिर अंदर जाते हैं तो मूड इतना जॉली और रिलैक्स था, कि इंटरव्यू लेने वाले ने जो पूछा सब एक सांस में बताते चले गए, जब हमने इनके फेसबकु अकाउंट पर जाकर देखा तो पता चला कि बच्चों को भी इसी तरह अलग अंदाज में पढ़ाते हैं, इनके कुछ वीडियो हमें इनके फेसबुक अकाउंट पर मिले जो आपको भी देखना चाहिए. ताकि समझ सकें कि मजाक-मजाक में आपका बच्चा कैसे ज्ञानी बन सकता है.
कौन बनेगा सैकड़ापति वाले UPPSC में सेलेक्ट हुए जावेद आलम

महाराजगंज के निचलौल जूनियर हाईस्कूल में पढ़ाने वाले जावेद आलम के पास इतने आइडियाज हैं, कि कम तेज बच्चे से भी बड़ी परीक्षा पास करवा सकते हैं. खुद इन्होंने 9 बार यूपीपीसीएस की परीक्षा दी है, लेकिन मेंस में रह गए, तीन बार तो इंटरव्यू से ही बाहर हो गए, हर बार निराशा हाथ लगी, आखिर में जूनियर हाईस्कूल में टीचर की नौकरी लगी तो पढ़ाने लगे, लेकिन दिल में तमन्ना थी कुछ बड़ा करने की, इसीलिए मेहनत करते रहे, इनके दो बच्चे हैं, पत्नी स्कूल में प्रिंसिपल हैं, इसीलिए ये बेहतर तरीके से समझते हैं कि बच्चों की शिक्षा की अहमियत क्या होती है, हमारे देश में कई टैलेंटेड बच्चे तो सिर्फ इस वजह से बर्बाद हो जाते हैं क्योंकि उनकी बेसिक शिक्षा की नींव कमजोर होती है, उन्हें पहली से आठवीं क्लास तक सरकारी स्कूल में उस क्वालिटी की शिक्षा नहीं मिल पाती, जिसकी उन्हें दरकार होती है, स्कूल में उन्हें टीचर्स तेज समझते हैं, पैरेंट्स सोचते हैं हमारा लड़का बड़ा अधिकारी बनेगा, लेकिन जैसे वो स्कूल रूप कुएं से बाहर निकलता है, बाहर कंपटीशन की दुनिया में कदम रखता है, पता चलता है कि जिस बेसिक पर स्कूल में ध्यान दिया जाना था, उच्चारण से लेकर कॉन्सैप्ट क्लियर करने तक का काम जो टीचर को करना था, वो तो उन्होंने किया ही नहीं, सिर्फ किताबें रटवाते गए, जिससे नंबर तो आया लेकिन कॉन्सैप्ट क्लियर नहीं हो पाया, हर तैयारी करने वाला ये जानता है कि वो मोटी-मोटी किताबें तो रट सकता है, पर इंटरव्यू हो या मेंस कॉन्सेप्ट की बात आई तो फंस सकता है, इसीलिए ऐसे टीचर्स कम से कम हर स्कूल में जरूर होने चाहिए.
आप ये जानकर शायद हैरान हो जाएं कि यूपीपीसीएस की परीक्षा पास करने के बाद भी जावेद आलम को डिप्टी कलेक्टर, एसडीएम या कोई बड़ा पोस्ट नहीं मिला है, बल्कि इन्हें असिस्टेंट प्रोफेसर की नौकरी मिलने वाली है, हमारी मानसिकता ऐसी है कि हम बड़े पोस्ट, IAS-IPS और वर्दी की तरफ तो आसानी से आकर्षित हो जाते हैं. लेकिन ऐसे टीचर्स और प्रोफेसर की बात नहीं करते जो हमारे समाज की नींव रखते हैं, हमने आपको ये कहानी इसीलिए सुनाई ताकि आप ये समझ सकें कि कोई भी रातों-रात स्टार नहीं बनता और ना ही सफलता हासिल कर पाता है, जो मेहनत करेगा सफलता उसी के हाथ होगी. इनकी सफलता पर आप क्या कहना चाहेंगे कमेंट में बता सकते हैं.