BCCI की बैठक में गुस्से से लाल थे गांगुली, कुर्सी से हटाने की ये है पूरी INSIDE स्टोरी
सौरव गांगुली के साथ जो बीसीसीआई की बैठक में हुआ वो किसी के साथ भी हो सकता है, सोशल मीडिया पर कुछ लोग कह रहे हैं कि इन्होंने जो कोहली के साथ किया उसका परिणाम है, तो कुछ लोग कह रहे हैं कि दादा ने बीजेपी ज्वाइन नहीं किया, इसलिए कुर्सी चली गई, लेकिन असल वजह इससे काफी अलग है. मुंबई में बीसीसीआई हेडक्वार्टर के बाहर सुबह से ही सुरक्षा कड़ी थी और गांगुली की कार का इंतजार हो रहा था. पहले सुनिए मीटिंग में क्या-क्या हुआ फिर आपको इनके हटाने की इनसाइड स्टोरी सुनाते हैं.

हमारे सूत्र बताते हैं कि सौरव गांगुली ने सुबह उठते ही पहले पूजा-पाठ की, फिर कार से बीसीसीआई हेडक्वार्टर के लिए निकले, वहां जाने पर सबसे सामान्य दिनों की तरह मिले, लेकिन तभी उनकी नजर बीसीसीआई के पूर्व अध्यक्ष एन श्रीनिवासन पर पड़ी, उनके साथ खड़े कुछ लोग ये बात कर रहे थे कि आज तो गांगुली का आखिरी दिन होने वाला है, मीटिंग में गांगुली को ही अगले अध्यक्ष का प्रस्ताव रखना होगा, ये बात सुनते ही सौरव गांगुली का पारा चढ़ गया, वो फाइल लेकर अंदर मीटिंग में गए, तो वहां उनका चेहरा गुस्से से लाल था, किसी ने सौरव गांगुली को पहले इस तरह गुस्से में नहीं देखा था, बीसीसीआई अध्यक्ष बनने के बाद वो अपने सारे विवादों को भूलाकर आगे बढ़ रहे थे, मीटिंग की जो बात सामने आई है, वो हम आपको वैसे ही सुनवाते हैं.

मीटिंग में कर रहे थे चमत्कार की उम्मीद,तभी श्रीनिवासन खेमा ने दाग दिए कई सवाल
बीसीसीआई पदाधिकारी- आपने अध्यक्ष रहते उन ब्रांड्स का समर्थन किया जो बीसीसीआई के ऑफिशियल प्रतिद्वंदी थे
सौरव गांगुली- मैंने कुछ भी गलत नहीं किया, नियम के मुताबिक ही हर फैसले लिए हैं
बीसीसीआई पदाधिकारी- आपका प्रदर्शन उम्मीदों पर खरा नहीं उतरा, पहले कोहली से पंगा लिया, उससे पहले ग्रेग चैपल से आपका विवाद सब जानते हैं, आप कूल माइंड नहीं रहते
सौरव गांगुली- मैं हमेशा ये कोशिश करता हूं कि विवादों से बचूं, लेकिन साल 2005 से ही विवाद मेरा पीछा कर रहे हैं, मैं दोबारा अध्यक्ष बनना चाहता हूं
बीसीसीआई पदाधिकारी- बीसीसीआई में ऐसी परंपरा नहीं रही है, आपका परफॉर्मेंस भी अच्छा नहीं है, इसलिए कुछ और सोचा जा सकता है
जय शाह- दादा को आईपीएल चेयरमैन का पद दिया जा सकता है, इस पर बोर्ड मेंबर की क्या राय है
बीसीसीआई सदस्य- हां ये ठीक रहेगा
सौरव गांगुली- बीसीसीआई का अध्यक्ष बनने के बाद मैं उसकी किसी उपसमिति का अध्यक्ष नहीं बन सकता, ये तो एक तरह का डिमोशन है.

कोहली-कुंबले और चैपल सबका हुआ मीटिंग में जिक्र, अंत में निराश होकर निकले दादा!
इतना कहते ही गांगुली गुस्से में मीटिंग से बाहर निकल गए, उन्हें समझ आ गया कि उनके खिलाफ खेला हो चुका है, आम तौर पर मीटिंग में ये परंपरा रही है कि पुराने अध्यक्ष ही नए अध्यक्ष का नाम प्रस्तावित करते हैं, लेकिन गांगुली ने रोजर बिन्नी का नाम तक नहीं लिया, बाहर निकले कार का शीशा चढ़ाया और बिना किसी से हाय-हैल्लो बोले निकल गए. गांगुली को इस मीटिंग में साल 2005 का वो किस्सा याद आ रहा था, जब गांगुली टीम के कप्तान थे और अचानक से ग्रेग चैपल कोच बनकर आए और उन्होंने गांगुली से न सिर्फ कप्तानी छीनी बल्कि टीम से ही ड्रॉप कर दिया, ये दादा का पहला अपमान था, ग्रेग चैपल ने उसके बाद द्रविड़ को कप्तानी दे दी थी, इसीलिए गांगुली की द्रविड़ से उतनी नहीं बनती थी, कहा तो ये तक जाता है कि टीम इंडिया गांगुली औऱ द्रविड़ की लड़ाई के चक्कर में पिस रही थी इसलिए ये फैसला बोर्ड ने लिया. कहा जाता है कि धोनी ने कुंबले के कोच बनने की बाद कप्तानी छोड़ी और विराट कोहली कप्तान बने तो उन्होंने रवि शास्त्री को कोच बनाने का दबाव बनाया, जबकि रवि शास्त्री को गांगुली पसंद नहीं करते थे, इसीलिए गांगुली और कोहली के बीच भी खूब विवाद चला, लेकिन कुछ दिनों पहले गांगुली ने जब धोनी का अचानक से नाम लिया तभी साफ हो गया था दादा की कुर्सी जाने वाली है. इस मीटिंग में जय शाह को दोबारा सचिव बनाने पर सहमति बनी लेकिन संयुक्त सचिव देवजीत सौकिया ऊर्फ जयेश जॉर्ज को भी दोबारा कार्यकाल की अनुमति नहीं मिली, ये वही सैकिया हैं जिन्होंने दो साल पहले बोर्ड और अंपायरों पर ही सवाल उठा दिए थे. अब बीसीसीआई के नए अध्यक्ष रोजर बिन्नी के आने के बाद क्या बदलेगा ये देखने वाली बात होगी.