99% लोग नहीं जानते हैं क्रिकेट में,खिलाड़ियों के चयन में कहां होती है बेईमानी?
जिसका बाप सलेक्टर वो बनता है कलेक्टर, IPL के इशारे पर होता है भारी चयन!
द्रविड़-गांगुली या फिर रोहित की नहीं चली,उसकी चलती है जिसका पैसा बोलता है

सबकी किस्मत ऋषभ पंत की तरह बलवान नहीं होती है, ये हैं प्रवीण तांबे, 12 साल की उम्र से क्रिकेट खेला, 5 बार रणजी के लिए नाम भेजा गया, पर बुढ़ा कह कर कभी सलेक्शन नहीं हुआ….आख़िरकार जब प्रवीण हार गए….तब IPL में राजस्थान की टीम ने उन्हें एक मैच में खेलने का मौका दिया….प्रवीण तांबे की पहचान इतनी है कि जिस खिलाड़ी ने 28 साल तक सलेक्शन के लिए जी तोड़ मेहनत की उसने IPL में आते ही पहली तीन गेंद में हैट्रिक लेकर रिकॉर्ड बना दिया….प्रवीण तांबे पर एक फिल्म बनी, कहानी देखकर आप भावुक हो जाएंगे, क्रिकेट की सियासत को समझ सकते है, प्रवीण तांबे कुंबले, हरभजन की तरह ही महान बन सकते थे, लेकिन किस्मत साथ नहीं थी..हालांकि ये कहानी अकेले प्रवीण तांबे की नहीं है…इस कहानी का पहला अध्याय दिनेश कार्तिक का है. संजू सैमसन का है. पृथ्वी शॉ का है. नीतीश राणा का है….या फिर उन खिलाड़ियों का जो प्रतिभा में तो धनी हैं लेकिन BCCI को मैनेज करने की ताकत नहीं थी….हम आपको चौंका देने वाली रिपोर्ट दिखाते हैं! भारतीय टीम में चयन का सबसे बड़ा मानक रणजी मुकाबला माना जाता था, लेकिन IPL आने के बाद से IPL से तय होता कौन खेलेगा कौन नहीं ?
मुंबई इंडियंस के खिलाड़ियों को ज्यादा मौका मिलता है, कहते हैं इंडिया में जाकर खेलना है तो पहले IPL में मुंबई के लिए खेलकर आना
दुर्भाग्य देखिए सुरैश रैना को IPL में कोई खरीददार नहीं मिला, जबकि सचिन के बेटे अर्जुन को मुंबई इंडियंस ने खरीद लिया था
रैना ने रोड सेफ्टी मैच में रिटायमेंट लेने के बाद भी ताबड़तोड़ पारी खेली, लेकिन उन्हें बेवक्त ही टीम से बाहर कर दिया गया था !
रणजी में शानदार खेलने वाले खिलाड़ियों को कोई पूछने वाला ही नहीं है, जिसका ग्लैमर ज्यादा है वही चुना जा रहा है जो ग़लत है
रोजर बिन्नी के चयनकर्ता रहते हुए ही साल 2014 में उनके बेटे स्टुअर्ट बिन्नी को टीम इंडिया के लिए चुना गया था
भारतीय टीम के चयन के लिए पांच पूर्व खिलाड़ियों की टीम बनती है, जो अलग-अलग क्षेत्र की होती है, वही टीम इंडिया का चुनाव करती है
कहा जाता है कि नियम के मुताबिक इस बैठक में BCCI का चेयरमैन नहीं होता है, लेकिन सौरभ गांगुली इस बैठक में हिस्सा लेते हैं?
सौरभ गांगुली के आने के बाद, राज्यों और BCCI में तालमेल ठीक नहीं है, सारी कंट्रोल कुछ अधिकारियों के पास है, इसलिए आप भूल जाए इस दौर में कोई धोनी आएगा
संजू सैमसन के साथ भी ठीक यही हुआ है, उनका रिकॉर्ड अच्छा है. खेल अच्छा है, फिल्डिंग भी अच्छी लेकिन वो गांगुली की पसंद नहीं है
वजीम ज़ाफर रणजी में 40 शतक लगा चुके हैं, 12 हज़ार से ज्यादा रन बनाए, लेकिन टीम इंडिया में उन्हें सिर्फ 30 मैच खेलने का मौका मिला….वसीम जाफर को मौका तो मिला लेकिन उस दौर में जब टीम इंडिया सबसे ज्यादा संघर्ष कर रही थी…ऐसे ही कई खिलाड़ी हैं जिनका घरेलू क्रिकेट में रिकॉर्ड शानदार है…दिनेश कार्तिक जैसे खिलाड़ियों के साथ जो हुआ वो सबने देखा…37 साल के उम्र में टीम में चयन हुआ तो बाहर बैठाया जाता है…क्या गांगुली जिसे पसंद करते हैं वही खेलता है? कहा तो ये तक जाता है कि IPL टीम के मालिकों का दबाव भी BCCI पर होता है, उनसे कहा जाता है कि एक खिलाड़ी तो हमारे टीम से लेना नहीं तो अगली बार कमाई कम होगी….खैर ये दावे कितने सच्चे हैं पता नहीं लेकिन भारत के क्रिकेट के साथ न्याय नहीं हो रहा है…श्रेयस अय्यर जैसे खिलाड़ी किसी दूसरी टीम के पास होते तो उन्हें किसी मैच में बाहर नहीं बैठाया जाता पर भारत में उन्हें जल्दी मौका ही नहीं मिलता है ! यश ढुल नाम का एक लड़का घरेलू क्रिकेट में तूफान ला चुका है, लगातार चार शतक मार चुका है, अंडर-19 विश्वकप में जीत हासिल कर चुका है…लेकिन उम्मीद नहीं है कि टीम इंडिया में जगह मिलेगी…क्योंकि यहां खेल से ज्यादा ज़रूरी है टीम में कनेक्शन और किस्मत होना….इसलिए अगर आप क्रिकेट को पसंद करते है तो फिर जो टीम मिली है उसी को देखिए, क्योंकि जहां नोटों का रंग गुलाबी होता है वहां भवानाएं मायने नहीं रखती है