ये मां है साहब, बेटे की वर्दी का घमंड नहीं करती, खुद खेतों में घास काटकर खुद्दार जिंदगी जीती है गरीबी का मुंह हो गया काला, मेरा बेटा बन गया पुलिसवाला डीएसपी बेटा रहता है इतना सिंपल,विदाई पर रोती है जनता,थर्र-थर्र कांपते हैं मध्य प्रदेश के माफिया कभी पेड़ में बांधकर होती थी पिटाई, सालों छोड़ी पढ़ाई, फिर चढ़ा खुमार, तो बिना कोचिंग बने DSP
जिसके शरीर में बी पॉजिटिव खून है, वो अधिकारी बन सकता है

अब इस बी पॉजिटिव का मतलब क्या है, वो हम आपको इस वीडियो के आखिर में बताएंगे, लेकिन उससे पहले डीएसपी बेटे और घास काट रही मां के बीच की पूरी बातचीत सुनाते हैं. ये हैं मध्य प्रदेश के घाटीगांव एसडीपीओ संतोष कुमार पटेल, जो पन्ना जिले के देवगांव के रहने वाले हैं, 5 साल बाद पहली बार वर्दी में जब घर पहुंचे तो पता चला मां घास काटने गई है, जहां पहुंचते ही उन्होंने अपनी मां से पूछा,
डीएसपी बेटा- यह सब क्यों कर रही हो मां, किस बात की कमी है
मां- अब क्या करें भइया, एक भैंस रखी है, बिना दूध-घी के काम नहीं चलता न
डीएसपी- अरे तो पैसे से खरीद लो न, ये सब की क्या जरूरत है
मां- सही कह रहे हो, पर बैठे मन नहीं मानता न
डीएसपी बेटा- चलो, वहीं ग्वालियर में रहना
मां- चलेंगे, चलेंगे

पैसा-वैसा देता है भइया, कि ऐसे ही पुलिस वाले बने हो
मां- हां भइया देता है, सब खर्चा पानी चला रहा है
डीएसपी बेटा- फिर काहे काम कर रही है, जब खर्चा-पानी मिल रहा है
मां- थोड़ा बहुत तो करना पड़ेगा न
डीएसपी बेटा- जमीन में फायदा है कि पढ़ाई में
मां- पढ़ाई में फायदा है, जमीन में कम फायदा है, जमीन 100 बीघा वाले को पीछे छोड़ देगा, पढ़ने लिखने वाला सर्विस वाला. नौकरी सबसे राजा चीज है, नेता-विधायक बनने के लिए हाथ जोड़ना पड़ता है, बनने के बाद लोग गाली भी देते हैं, सबसे राजा चीज नौकरी है.
आज भी ज्यादातर लोग यही सोचते हैं कि सरकारी नौकरी से अच्छी कोई चीज नहीं, आप चाहे प्राइवेट में लाखों कमा लें, पर सरकारी नौकरी वाले का भौकाल नहीं ले पाएंगे, यही वजह है कि हर साल आईएएस-आईपीएस की तैयारी करने वालों की संख्या बढ़ती ही जा रही है, देवगांव के संतोष कुमार पटेल भी कुछ साल पहले तक उन्हीं छात्रों में से एक थे, जो पिता के साथ मिलकर पत्थर तोड़ते, जंगल में पौधे लगाते और तेंदुपत्ता इकट्ठा करते थे, शुरू से पढ़ने में इतना मन नहीं लगता था तो कई बार ऐसा हुआ कि मां ने पढ़ाई के लिए पेड़ तक से बांधकर पीटा जिसके बाद ऐसी बुद्धि खुली कि पहले इंजीनियरिंग कर नौकरी शुरू की,बतौर फॉरेस्ट गार्ड सरकारी नौकरी ज्वाइन की और फिर मात्र 15 महीने की पढ़ाई में ही मध्य प्रदेश पीसीएस की परीक्षा पास कर ली, संतोष कुमार इतने साधारण इंसान हैं कि शादी के बाद दुल्हनिया को साइकिल पर विदा करवाकर लेकर आए,

लोगों ने पूछा ऐसा क्यों तो बोले भौकाल ठीक नहीं लगता, जहां इनकी पहली पोस्टिंग जहां हुई, वहां से जब विदाई ली तो वहां के लोग रोने लगे, महिलाएं हाथ जोड़कर कहने लगीं साहब जा तो रहे हो लेकिन अगली बार एसपी बनकर आना, क्योंकि आपके रहते हमें कभी किसी का डर नहीं रहा, खुद संतोष कुमार पटेल भी यही कहते हैं कि जनता में खाकी का खौफ नहीं, दोस्त वाला रौब होना चाहिए. और अधिकारी बनने के लिए रुपया-पैसा नहीं बल्कि बी पॉजिटिव खून यानि बुक्स के प्रति लगाव होना चाहिए. अगर आपका भी किताबों के प्रति ऐसा लगाव है, पढ़ने का जुनून और हर हाल में देश के प्रति समर्पण हैं तो फिर आपको अधिकारी बनने से कोई नहीं रोक सकता.
ब्यूरो रिपोर्ट ग्लोबल भारत टीवी