अंग्रेज चले गए लेकिन इंडियन नेवी पर थी उनकी छाप, आज पीएम मोदी ने उसे भी कर दिया खत्म
समुद्र में उतरा INS विक्रांत तो इंग्लैंड- रूस की खुली रह गईं आंखें, रूस की वजह से बनने में हुई देरी
2 सितंबर 2022 का लिखा गया नया इतिहास, नया निशान और स्वदेशी विमान देख भागेंगे दुश्मन !

ये इंडियन नेवी का नया निशान है, जिसकी बाईं ओर तिरंगा और दाईं ओर अशोक चिन्ह् और शिवाजी की राजमुद्रा से लिया गया अष्टकोण है, उसके नीचे शं नो वरुण: यानि जल के देवता वरुण हमारे लिए शुभ हों. इस निशान को अपनाने में भारत को 75 साल का वक्त लग गया. पहले वाजपेयी सरकार में इससे अंग्रेजों का क्रॉस चिन्ह हटा था लेकिन कांग्रेस ने इसमें दोबारा क्रॉस चिन्ह जोड़ दिया. अब पीएम मोदी ने न सिर्फ क्रॉस चिन्ह हटवाया बल्कि पूरी तरह लोगो ही नया कर दिया. इंडियन नेवी जब इस निशान को लगाएगी तो उसे अंग्रेजों की गुलामी की बू नहीं आएगी, बल्कि स्वदेशी का गौरव प्राप्त होगा.
स्वदेशी को बढ़ावा देने का ये काम सालों पहले गांधी ने किया उसके बाद अब मोदी कर रहे हैं, कुछ लोगों ने गांधी सरनेम लगाकर सिर्फ और सिर्फ विदेशी बात की, स्वदेशी को कभी बढ़ावा नहीं दिया, यही वजह रही कि जब भारत को करगिल युद्ध में INS विक्रांत जैसे जंगी जहाज की जरूरत महसूस हुई तो रूस से गुहार लगाई, तब रूस से दोस्ती इतनी अच्छी नहीं थी जैसी आज मोदी और पुतिन की है, इसलिए रूस ने मना कर दिया, और स्टील न मिलने की वजह से भारत को विक्रांत बनाने में कई साल का वक्त लग गया, पीएम मोदी ने अपने भाषण में रूस और इंग्लैंड जैसे कई बड़े-बड़े देशों को बड़ा संदेश दिया है, पीएम मोदी के इस भाषण को पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने तो लाइव देखा होगा. क्योंकि वो मोदी और इंडिया दोनों के मुरीद हैं.

जब अंग्रेज भारत आए तो वो भारतीय जहाजों और उनके जरिए होने वाले व्यापार की ताकत से घबराए हुए थे, इसीलिए उन्होंने भारत के समुद्री सामर्थ्य की कमर तोड़ने का फैसला किया, इतिहास गवाह है कैसे उस समय ब्रिटिश संसद में कानून बनाकर भारतीय जहाजों और व्यापारियों पर कड़े प्रतिबंध लगाए गए. लेकिन आज भारत ने गुलामी के एक निशान, गुलामी के एक बोझ को अपने सीने से उतार दिया है. INS विक्रांत के एयरबेस में जो स्टील लगी है वो स्टील भी स्वदेशी है.
पीएम मोदी ने जानबूझकर इस स्टील का जिक्र किया ताकि रूस को ये समझ आ सके कि भारत अब मांगता नहीं बल्कि खुद ही बना लेता है, इसलिए तो मोदी हथियारों के क्षेत्र में भी भारत को आत्मनिर्भर बनाने में लगे हैं, क्योंकि जंग के मैदान में कौन कब धोखा दे जाए इसका पता नहीं होता. INS विक्रांत का ये पुनर्जन्म माना जा रहा है क्योंकि आजादी के कुछ साल बाद ही भारत ने ब्रिटेन से विक्रांत को खरीदा था लेकिन 1997 में ही इसे नौसेना से रिटायर कर दिया गया था, उसके बाद करगिल युद्ध में इसकी जरूरत महसूस हुई..हलाकि स्वदेशी तकनीक के सहारे बनाते-बनाते 13 साल का वक्त लग गया. ये एक ऐसा जंगी जहाज है जिसने 1971 के युद्ध में पाकिस्तान की हवा खराब कर दी थी, उसका पीएनएस गाजी विक्रांत को डुबाने के लिए विशाखापट्टनम तक आया था लेकिन वो खुद डूब गया.
INS विक्रांत का वजन 43 हजार टन है, इसमें 1600 सैनिक रह सकते हैं, किचेन-अस्पताल सबकुछ अंदर है
20 हजार करोड़ से बने इस एयरक्राफ्ट से 20 लड़ाकू विमान उड़ान भर सकते हैं, ये समुद्र का शेर होगा
विक्रांत से हिंद महासागर में भारत की ताकत बढ़ेगी, चीन के फुजियान एयरक्राफ्ट को विक्रांत टक्कर देगा
अमेरिका, यूके, रूस, चीन और फ्रांस के पास ही ऐसे एयरक्राफ्ट हैं,पाकिस्तान के पास ऐसा एक भी नहीं है
INS विक्रांत का 76 फीसदी हिस्सा भारत में बना है, इसलिए इसे स्वदेशी कहा जा रहा है, जो बड़ी बात है
पहले मॉडर्न स्वदेशी हथियार, फिर एडवांस वर्दी और अब स्वदेशी जंगी जहाज भारतीय सेना को वो मजबूती देगा जो दुनिया की किसी सेना के पास नहीं होगा. अब हमारे जवान सिर्फ हौसलों के दम पर नहीं बल्कि एडवांस हथियारों के दम पर भी लड़ेंगे. आपके घर से कोई नेवी में होगा तो पूछिएगा कि नए निशान की चाहत नेवी जवानों के दिलों में कितने साल से बसी हुई थी, फिर आप समझ जाएंगे कि मोदी सरकार कैसे सेना और देश दोनों को आत्मनिर्भर बना रही है..और गुलामी की हर निशानी को न सिर्फ बाहर से बल्कि हमारे मन मस्तिष्क से भी निकाल कर अपने देश पर गर्व करने को प्रेरित कर रही है..