ये तस्वीर देखिए, क्रेटा कार से उतर रहे शख्स को हर कोई अतीक का बेटा समझ रहा है, सबको यही लग रहा है कि अतीक ने साबरमती जेल से आदेश दिया और इधर बेटे ने मोर्चा संभाल लिया, उमेश पाल की हत्या वाले दिन से ही ये दावा सोशल मीडिया पर वायरल है, लेकिन क्या सच में ये असद है, यूपी पुलिस के बड़े-बड़े अधिकारियों के हवाले से आजतक लिखता है अधिकारी ऑन रिकॉर्ड ये बताने से घबरा रहे हैं, क्या असद का नाम लेने में कोई डर रहा है या कुछ बड़ा होने वाला है, इसलिए ऑन रिकॉर्ड की जगह ऑफ रिकॉर्ड वाला खेल शुरू होने वाला है. हम आपको इसे एक उदाहरण से समझाने की कोशिश करते हैं.

जैसे आप सड़क पर निकलते हैं, तो अक्सर कई ट्रैफिक वालों के पास दो तरह का चालान देखते हैं, वैसे ही पुलिस के बारे में पहले कहा जाता था कि वो दो तरह की फाइल बनाती थी, लेकिन अब योगीराज में ऐसा होगा ऐसा लगता नहीं है, पर सवाल ये है कि जो आरोपी तस्वीर में दिख रहा है, अगर वो अतीक का बेटा है तो एडीजी से लेकर कमिश्नर तक ने इस पर कुछ कहा क्यों नहीं. जैसे नुपूर के बयान पर मचे बवाल के बाद पुलिस ने आरोपियों के पोस्टर छपवा दिए थे, नाम-पता सब जारी कर दिया था, वैसा पांच दिन तक इस केस में क्यों नहीं हुआ.

ये सच है कि ऐसे मामलों में सच्चाई देर से खुलती है, पहले 7 आरोपियों का पता चला, फिर 9 और अब 13 आरोपियों की कहानी खुल रही है, कहा ये तक जा रहा है कि 7 आरोपी वहां घटना को अंजाम देने पहुंचे थे, जबकि 6 बैकअप देने को तैयार खड़े थे, ये सारी साजिश मुस्लिम हॉस्टल में रची गई, और फिर अतीक के करीबी जफर ने इनको अपने घर पर रोका, उसकी तीन करोड़ की सफेद कोठी, इसी काम का अड्डा बन चुकी थी, जिसे आज बाबा के 3 बुलडोजर ने 30 मिनट में गिरा दिया, पर सवाल ये है कि क्या बुलडोजर और एनकाउंटर की आड़ में सही आरोपी बच तो नहीं रहे हैं, क्योंकि यहां टारगेट अतीक है, ये साफ-साफ दिख रहा है, अतीक की बीबी और वकील दोनों कहते हैं, अगर हमें ये करवाना होता तो गवाही से पहले करवाते, गवाही के बाद करवाने से हमें क्या मिलेगा, ये तो हमें बदनाम करने की चाल है, पर असल कहानी इतनी सच नहीं लगती.

सोशल मीडिया पर ऐसे दावों की भरमार है कि इस केस में अतीक और उसके गुर्गे के अलावा तीसरा भी कोई और है, जिसने ये पूरी कहानी रची और अभी बैठकर सुकून मना रहा है, हालांकि ये कौन है ये शायद पुलिस के भी जाँच का हिस्सा होगी, हालाँकि इन दावों का कोई आधार है भी या नहीं हम इसकी पुष्टि नहीं करते.

पर पुलिस जिस कदर जांच कर रही है, उससे लगता है सारा फोकस एक ही जगह टिका है, जो क्रेटा कार चला रहा था उस अरबाज के एनकाउंटर के बाद आज प्रयागराज में जब बुलडोजर चला तो पब्लिक को खूब पसंद आया, कई लोगों ने कहा भी कि बाबा के बयान देते ही एक माफिया का मकान मिट्टी में मिल गया, लेकिन असल बात ये है कि क्या सारे आरोपियों की पहचान हो चुकी है, अगर हो चुकी है तो फिर वो रिकॉर्ड में क्यों नहीं है, अतीक को गुजरात से यूपी लाने की तैयारी हो रही है, उसके वकील सुप्रीम कोर्ट से गुहार लगा रहे हैं कि यूपी मत भेजिए, अतीक की पत्नी कह रही है हमारे पति का एनकाउंटर हो सकता है, बेटा असद एनकाउंटर से डर से सरेंडर की कोशिश में है, ऐसी ख़बरें भी हैं, पर एक एनकाउंटर के सिवा पांच दिन में पुलिस पांच आरोपी भी नहीं पकड़ पाई है, जबकि लखनऊ से खुला आदेश है, जमीन खोदो, पाताल से निकालो, पर उन्हें पकड़ो. अब पुलिस कब तक सबको पकड़ पाती है, ये देखने वाली बात होगी.
ब्यूरो रिपोर्ट ग्लोबल भारत टीवी