राहुल गांधी का चीन प्रेम देखकर हर हिंदुस्तानी हैरान है, ऐसा लगता है कि राहुल हिंदुस्तान के प्रधानमंत्री बनने के लिए नहीं बल्कि चीन का नेता बनने की तैयारी कर रहे हैं, हम ऐसा क्यों कह रहे हैं उसके पीछे की वजह एक नहीं बल्कि कई सारी हैं, पर सबसे पहले राहुल गांधी का वो बयान सुनिए, जिसे सुनते ही आपको गुस्सा जरूर आएगा. लंदन के कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी में एक लेक्चर के दौरान राहुल गांधी ने कहा

द्वितीय विश्व युद्ध के बाद विनिर्माण से संबंधित नौकरियों को समाप्त करने के अलावा अमेरिका ने 11 सितंबर, 2001 को हुए आतंकी हमले के बाद अपने दरवाजे कम खोले जबकि चीन ने चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के ईद गिर्द के संगठनों के जरिये सद्भाव को बढ़ावा दिया है.

जबकि इससे पहले राहुल गांधी ने विदेश की धरती पर ये कहा था कि बीजेपी देश में नफरत फैलाती है, मतलब उन्हें वो कम्युनिस्ट प्यार को बढ़ावा देने लग रहे हैं, जो सीमा पर भारतीय सैनिकों के साथ आए दिन झड़प करते हैं, एक तरफ तो राहुल गांधी घूम-घूमकर कहते हैं कि चीन ने हमारी जमीन पर कब्जा किया और मोदी सरकार उस पर चुप है, जबकि दूसरी तऱफ ऐसा लगता है कि चीन ने उनकी सोच पर कब्जा कर रखा है, ये कोई पहली मर्तबा ऐसा नहीं हुआ है, आपको याद होगा साल 2017 में राहुल गांधी ने डोकलाम में चीनी राजदूत के साथ सीक्रेट मीटिंग की थी, जब राहुल गांधी कोई पोस्ट पर नहीं हैं, सरकार में नहीं हैं, विपक्ष के बड़े नेता हैं, तो फिर दुश्मन देश से इस तरह क्यों मिलते हैं, हद तो तब हो गई जब नेपाल के पब से उनकी पार्टी करते तस्वीर सामने आई और दावा किया गया कि वो महिला चीनी राजदूत है, हालांकि बाद में पता चला कि वो चीनी राजदूत नहीं बल्कि उनकी दोस्त थी. हालांकि राहुल ऐसा करके कुछ हासिल नहीं कर पाएंगे बल्कि मुसीबत उनके लिए ही खड़ी होगी.
जब भी आप दुश्मन देश के पक्ष में बोलते हैं, तो देश की ज्यादातर जनता आपके खिलाफ हो जाएगी, फिर वोट में उसका असर दिखेगा.
त्रिपुरा, नागालैंड और मेघालय चुनाव का जो रिजल्ट आया, उसमें इसका असर भी दिखा, राहुल अक्सर चुनावी नतीजों के वक्त विदेश में होते हैं
जबकि बीजेपी की पूरी फौज चुनाव से साल भर पहले ही तैयारी में जुट जाती है, तो सवाल ये उठता है कि क्या राहुल खुद ही मेहनत से भाग रहे हैं.

हमें राहुल गांधी के भविष्य की चिंता है, इसलिए ये बात नहीं कर रहे हैं, बल्कि हमें इस बात की चिंता है कि एक मजबूत लोकतंत्र के लिए मजबूत विपक्ष का होना जरूरी है, कांग्रेस जिस कदर सिमट रही है, सिर्फ राजस्थान और छत्तीसगढ़ में उसकी सरकार बची है, उसे देखकर यही लगता है कि कांग्रेस कहीं आने वाले दिनों में ये दो राज्य भी न खो दे, ऐसे में बीजेपी के सामने मजबूत विपक्ष की भूमिका क्या कोई पार्टी निभा पाएगी, क्योंकि कहने को तो केजरीवाल की पार्टी भी राष्ट्रीय पार्टी बन चुकी है, ममता से लेकर केसीआर तक मोदी के खिलाफ एकजुट होने की जुगत में हैं, पर कांग्रेस वाली जगह लेने में इन्हें काफी वक्त लगेगा तो क्या 2024 के बाद जो चुनाव होगा उसमें राहुल की ऐसी गलतियां ही कांग्रेस को भारी पड़ेंगी और देश के विपक्ष से भी कांग्रेस खत्म हो जाएगी, आपको क्या लगता है, हमें कमेंट कर बता सकते हैं.
ब्यूरो रिपोर्ट ग्लोबल भारत टीवी