कहते हैं चिड़िया हवा में उड़ती है लेकिन अगर वो आसमान नापने की गलतफहमी पाल बैठे तो पंख के साथ ख्वाब भी बिखर जाते हैं, ये रिपोर्ट आप संभाल कर रख लीजिएगा, केजरीवाल ने खुद को पहली बार एक्सपोज़ कर दिया है. एक बयान के कारण मोदी प्रधानमंत्री बन गए, और एक बयान के कारण केजरीवाल की नींव हिल जाएगी. क्या केजरीवाल ने जानबूझकर लक्ष्मी-गणेश वाला बयान दिया है, या फिर जुबान फिसल गई है? ओवैसी बुरका वाली लड़की प्रधानमंत्री देखना चाहते हैं, केजरीवाल गांधी को हटा कर लक्ष्मी-गणेश को देखना चाहते हैं, यानि इस देश में बोलने की आज़ादी हो तो हमारे नेता बकलोली भी मुफ्त में बांट देते हैं.. .हम आपका 2 मिनट और लेंगे लेकिन कुछ ऐसा बताएंगे आप कहेंगे चालाक या तो तीन जगह डूबता है या फिर बड़बोला आदमी मौके पर मात खा जाता है

केजरीवाल की सच्चाई का अंदाजा लगाने के लिए यमुना की ये तस्वीरें देखिए…हनुमान चालीसा पढ़ने वाले, खुद को कृष्ण कहने वाले ने यूपी बिहार के सबसे बड़े त्योहार के साथ कैसा घटिया मजाक किया है? दिल्ली की यमुना में सूरज को अर्घ्य दिया जाएगा, पर केजरीवाल की भक्ति यहां आकर ख़त्म हो जाती है.
केजरीवाल की झूठ पॉलिटिक्स का नंबर दो सबूत देखिए: जिन्हें गणेश और लक्ष्मी की फोटो नोटों पर चाहिए

वो असल में शाहीन बाग की बिरयानी पहले ही खा चुके हैं, जब देश विरोधी आंदोलन चल रहा था, तो केजरीवाल फुल सपोर्ट में थे, अब गुजरात चुनाव में मोदी के नाम पर राष्ट्रवाद और देवी-देवताओं का मुद्दा है तो केजरीवाल को गणेश याद आने लगे?
केजरीवाल के झूठ का सबूत नंबर तीन दिखाते हैं, कभी बिजली के पोल पर तार ठीककर जनता का दुख ठीक करने का दावा करने वाले केजरीवाल की पोटली में सिर्फ दो चीज़ बची है, पहली मुफ्त की रेवड़ी दूसरी धर्म की राजनीति. यानि ओवैसी की तरह अगर बीजेपी की कोई B टीम है तो वो केजरीवाल हैं, ऐसा कई लोग कह चुके हैं. यानि गुजरात में बीजेपी के साथ आकर केजरीवाल कांग्रेस को साफ करना चाहते हैं.
मोदी-शाह का प्लान है कांग्रेस मुक्त भारत बनाएंगे, क्या उस मिशन में केजरीवाल भी शामिल हैं? गुजरात हिमाचल से पहले गणेश लक्ष्मी की बात कर केजरीवाल बीजेपी को नहीं कांग्रेस को नुकसान पहुंचाएंगे? केजरीवाल के इस बयान के बाद से कुछ लोग पूछने लगे हैं कि जब राजस्थान में मंदिर तोड़ा गया तब हमारे माननीय केजरीवाल जी कहां थे? जब राम मंदिर की लड़ाई चल रही थी तब केजरीवाल विरोध क्यों कर रहे थे? जब वाराणसी में बाबा विश्वनाथ का कॉरिडोर बना तक वो खुश क्यों नहीं थे? जब महाकाल का कॉरिडोर बना तब केजरीवाल की भक्ति कमजोर कैसे पड़ गई थी.
दरअसल दो तरह का वोट अभी पानी की तरह अपना रास्ता तलाश रहा है, मुस्लिम और बीजेपी से नाराज़ वोटर चाहता है कि उसे कोई नेता मिले, लेकिन अगर केजरीवाल RSS वाली भाषा बोल रहे हैं तो फिर मुस्लिम सबसे ज्यादा नाराज़ होगा, केजरीवाल शाहीनबाग की बिरयानी तो खाते हैं लेकिन न कन्हैया लाल की मौत पर खुलकर मदद का हाथ बढ़ाते हैं, न ही शाहीन बाग पर बुलडोजर चलने पर मुसलमानों का पक्ष रखते हैं! यानि बीजेपी हिन्दुओं का पक्ष रखें, कांग्रेस मुसलमानों का पक्ष रखती हो पर सर जी चारों तरफ हैं, थोड़ा-थोड़ा. इसलिए दिल्ली सरकार के मंत्री कहते हैं कि देवी-देवताओं को मत पूजो और केजरीवाल कहते हैं लक्ष्मी गणेश चाहिए?
अगर आप सोच रहे है कि ये तो अच्छी बात है, भगवान का प्रचार प्रसार होगा तो आप गलत हैं, नोट तो न जाने कहां-कहां रखे जाते हैं, ठेके से लेकर कोठे तक जाते हैं, उस नोट पर देवी-देवताओं की फोटो छपवा कर केजरीवाल अच्छा नहीं बुरा करवा देंगे! यानि केजरीवाल का एक साफ एजेंडा लगता है, RSS बीजेपी के साथ वो भी देश को हिन्दू राष्ट्र बनाना चाहते हैं, क्योंकि केजरीवाल के एक बयान का मतलब दूर तक जाता है, राहुल गांधी के होते मुस्लिम केजरीवाल के साथ नहीं जाएगा, मोदी की उम्र बढ़ने पर देश की जनता विकल्प खोजेगी तो केजरीवाल हिन्दुओं को लुभाने की हर कोशिश करना चाहते हैं..क्या ये कामयाब होगी ये सबसे बड़ा सवाल है? क्योंकि चुनाव से पहले राहुल गांधी को जनेऊ पहनते, और कई नेताओं को मंदिर जाते देखा गया पर जनता जानती है नवरात्रि का व्रत कौन रहता है, और सिर्फ लच्छेदार भाषण कौन देता है? इसलिए कमेंट करके अपने मन की बात लिख दीजिए…और बता दीजिए आपको नोटों पर लक्ष्मी-गणेश नहीं बल्कि भगत सिंह और चंद्रशेखर आज़ाद की फोटो चाहिए. क्योंकि हम भगवान को मन में रखते हैं, नोटों पर इनकी फोटो नहीं चाहिए जिसे देखकर नेता बदल जाते हैं.