ये तस्वीरें मध्य प्रदेश के सीहोर की हैं, जहां कथावाचक प्रदीप मिश्रा चमत्कारी रुद्राक्ष बांट रहे हैं, जिसे लेने के लिए लोग एक-दूसरे पर चढ़े जा रहे हैं, हाथ फैलाकर कह रहे हैं पहले मुझे दो, भूखे-प्यासे 10-10 घंटे से लाइन में खड़े हैं, कई एकड़ में बने पंडाल में सूई रखने की भी जगह नहीं है, 24 लाख रुद्राक्ष बांटने के लिए हजारों स्टॉल लगे हैं, पर भीड़ को काबू करना मुश्किल हो रहा है, पहले सुनिए कि रुद्राक्ष में ऐसा क्या है, जिसे पाने के लिए लोग पागल हुए जा रहे हैं, फिर बताते हैं प्रदीप मिश्रा कौन हैं, और उन्हें ये चमत्कारी रुद्राक्ष मिला कैसे.
अभी रुद्राक्ष के नाम पर लोगों को भद्राक्ष दिया जा रहा है, जो प्लास्टिक और फाइबर के बने हैं.
पर कुबेरेश्वरधाम में जो रुद्राक्ष मैं बांट रहा हूं, इसमें गंडकी नदी का पानी मिला हुआ है, भोपाल विज्ञान केंन्द्र और इंदौर के वैज्ञानिकों ने इस रुद्राक्ष की जांच की तो पता चला ये रुद्राक्ष अगर पानी में डाल दिया जाए और फिर उस पानी को रोगी को पिला दें तो कई तरह की बीमारियां दूर हो सकती है. रुद्राक्ष पहनने से खराब ग्रह सुधरते हैं, अभिमंत्रित रुद्राक्ष से बीपी, टेंशन सब ठीक हो जाता है.
प्रदीप मिश्रा, कथावाचक

हमारे देश में ऐसे ही कई दावे और पहले भी हुए, जब भी कोई चीज भगवान से जुड़ी हो जाती है, तो उसके प्रति भक्तों की आस्था चरम पर पहुंच जाती है. इसीलिए प्रदीप मिश्रा के दावे के बाद सीहोर में हालत ये हो गई कि रुद्राक्ष 17 फरवरी को कथा शुरू होने पर बांटा जाना था, वहां सीएम शिवराज सिंह को भी पहुंचना था लेकिन प्रशासन ने कहा हमसे भीड़ नहीं संभलेगी तो एक दिन पहले ही रुद्राक्ष बंटने लगे, सीएम को दौरा रद्द करना पड़ा, भीड़ में खड़े करीब 3 हजार लोगों की तबियत खराब हो गई, कई हॉस्पिटल में भर्ती हो गए, पर उनके साथ के लोग इस बात पर अड़े रहे कि रुद्राक्ष लेकर ही घर लौटेंगे.

रुद्राक्ष भगवान शिव को सबसे ज्यादा प्रिय है, और पंडित प्रदीप मिश्रा भी खुद को शिवभक्त बताते हैं, वो भगवान शिव की कथा कहते हैं, भगवान शिव की कृपा से ही वो एक गरीब ब्राह्मण से अमीर कथावाचक बने हैं. कुछ दिनों पहले रायपुर की कथा में भी खूब भीड़ उमड़ी थी, तब वो मीडिया की नजरों में आए और तब पता चला कि पंडित प्रदीप मिश्रा के पिता स्व रामेश्वर मिश्रा चने की ठेली लगाते थे, वो खुद कहते हैं कि हमारा जन्म आंगन में तुलसी की क्यारी के पास हुआ, क्योंकि हमारे पास अस्पताल में दाई को देने भर भी पैसे नहीं थे, सिहोर में ही जहां ये भगदड़ मची है, वहां कभी प्रदीप मिश्रा लोगों को चाय पिलाते थे, दूसरों के कपड़े पहनकर स्कूल गए, दूसरों की किताबें पढ़ी, कभी इतना बड़ा बनने का सोचा भी नहीं, पर जिंदगी में असल मोड़ तब आया एक महिला ने उन्हें कथावाचक बनने को कहा, उसके बाद गुरु विठलेश राय के पास जाकर उन्होंने संपूर्ण ग्रंथों का ज्ञान लिया और शिव कथा कहनी शुरू कर दी. आपने भी इंस्टाग्राम से लेकर यूट्यूब तक इनके कई वीडियो देखे होंगे, जिसमें ये कहते हैं एक लोटा जल भगवान शिव को चढ़ाओ औऱ सारी समस्याओं से मुक्ति पाओ, अगर अमीर बनना है तो भगवान शिव पर कमलगट्टे का जल चढ़ाओ, और अब रुद्राक्ष देकर लोगों को बीमारियों से मुक्ति का उपाय बता रहे हैं, हालांकि कुछ लोग इसे अंधविश्वास भी बता रहे हैं, लेकिन पंडित मिश्रा का दावा है कि
आस्था और अंधविश्वास में अंतर है. अगर कोई बेल दे रहा है, भभूत दे रहा है, चमत्कार का दावा कर रहा है, तो ये अंधविश्वास है, जबकि अगर आप शिव की आराधना कर रहे हैं तो ये आस्था है.

कुछ ही सालों में प्रदीप मिश्रा इतने लोकप्रिय हो गए हैं कि उनके पंडालों में लाखों की भीड़ होती है, ये कोई ब्राह्मचारी संत नहीं हैं, बल्कि शादी-शुदा हैं, पर लोगों को धर्म की राह पर चलने की शिक्षा देते हैं. लेकिन इस तरह की बेकाबू भीड़ की तस्वीरें वायरल होने के बाद कई लोग सवाल भी उठा रहे हैं.आप इस चमत्कारी रुद्राक्ष के बारे में क्या सोचते हैं, कमेंट में बता सकते हैं.