ये है दुनिया का नया काल्पनिक देश कैलासा, जहां का राष्ट्रीय चिन्ह भगवान शिव का वाहन नंदी और राष्ट्रीय फूल कमल है, पर सुनकर खुश मत होइए कि हिंदुओं का नया देश बस गया है, बल्कि दुखी इस बात से होइए इस देश को बसाया है भारत के एक भगोड़े ने, तो सवाल ये है कि क्या कोई भी अपना देश बसा सकता है, अगर हां तो फिर अंबानी-अडाणी जैसे लोग क्यों नहीं अपना देश बसाते, उनके पास तो बहुत रुपया है, तो इसका जवाब हम आपको दें उससे पहले आपको कैलासा की कहानी सुनाते हैं.

रेप केस में आरोपी नित्यानंद भागकर अमेरिका गया, वहां दक्षिण अमेरिका के इक्वाडोर में एक आइसलैंड यानि टापू खरीदा, करीब 20 लाख लोगों को बसाया, किसी को अमेरिका, किसी को फ्रांस और किसी को जर्मनी का राजदूत बनाया, उसके बाद अपनी करेंसी, अपनी अर्थव्यवस्था औऱ यहां तक कि अपना झंडा भी बना लिया, और भारतीय जांच एजेंसियों को कहा अब हम आजाद हैं, किसी को हिंदुत्व के मसले पर ज्ञान चाहिए तो हमारे यहां आ जाओ, यहां कोई भेदभाव नहीं है, कई सालों से वो सुकून से एक टापू पर पड़ा था, लेकिन असल गलती उसने तब कर दी जब संयुक्त राष्ट्र में उसने अपनी महिला प्रतिनिधि विजयप्रिया को भेज दिया. सिर पर लंबी जटाएं, माथे पर टीका, गले में माला और चेहरे पर हल्की मुस्कान के साथ विजयप्रिया ने जब संयुक्त राष्ट्र में बोलना शुरू किया तो सिर्फ और सिर्फ भारत की बुराई की. इस पर हिंदुस्तान इतना आग बबूला हुआ कि अगले ही दिन संयुक्त राष्ट्र को सफाई पेश करनी पड़ी और कहना पड़ा कि अब इनकी बातों पर विचार नहीं करेंगे, पर बात सिर्फ इतनी नहीं हुई बल्कि उसके बाद विजयप्रिया को भी फटकार लगी तो वो कहने लगी हम तो भारत का सम्मान करते हैं, पर हमारे गुरुजी नित्यानंद के खिलाफ कुछ हिंदुत्व विरोधी लोग एजेंडा चल रहे हैं. अगर ये सच है तो नित्यानंद को भी जांच का सामना करना चाहिए था.

संयुक्त राज्य कैलासा भारत का सम्मान करता है, और भारत को अपने गुरुपीडम के रूप में मानता है, लेकिन मैं इस बात पर चिंता जताना चाहती हूं कि कुछ हिंदू विरोधी तत्व कैलासा के संस्थापक नित्यानंद को परेशान कर रहे हैं.

अपनी करेंसी और बड़े-बड़े आश्रम चलाने वाले राम रहीम पर जब आरोप लगे तो वो विदेश नहीं भाग पाया, आज जेल में हैं
ऐसा ही हाल आसाराम के साथ हुआ, बुढ़ापे में कई बार जमानत के लिए कोर्ट गए लेकिन हर बार यही कहा गया नो मतलब नो
अगर नित्यानंद को इतना ही भरोसा था कि वो सच्चा है, तो फिर भारत में रहकर जांच में सहयोग क्यों नहीं किया, विदेश क्यों भागा
इसका मतलब तो ये भी हुआ कि आप और लोगों को ये सीख दे रहे हैं कि अगर आपके खिलाफ मुकदमें दर्ज हो जाएं और आपके पास पैसा है तो आप नया देश बसा लें, दरअसल नियम ये कहता है कि अमेरिका या यूरोप में आप कोई भी टापू खरीदकर रह सकते हैं, छुट्टियां मना सकते हैं और देश बसाने के बारे में सोच सकते हैं, पर असल दिक्कत तब आएगी जब आपको अपने देश को मान्यता दिलवानी होगी, आज दुनिया में 193 देश हैं, जिन्हें संयुक्त राष्ट्र ने मान्यता दी हुई है, आज भी कई देश मान्यता के लिए लाइन में खड़े हैं, मान्यता मिलने से फायदा ये है कि आपको लोन से लेकर व्यापार तक में आसानी होगी, पर कैलासा को मान्यता इसलिए भी नहीं मिल सकती क्योंकि उसका संस्थापक भगोड़ा है और भारत को इस पर आपत्ति दर्ज करवानी चाहिए, यही वजह है कि कोई भी बिजेनसमैन या अरबपति देश बसाने नहीं बल्कि बिजनेस चलाने के बारे में सोचता है. हालांकि वो अलग बात है कि सपा से लेकर कई पार्टियों ने विदेश में टापू खरीद रखे हैं, जिस पर सीएम योगी ने कुछ दिन पहले ही विधानसभा में कहा था

ये ऐसे ही थोड़े न कोई खरीद दे रहा है इंग्लैंड में होटल, ऑस्ट्रेलिया में टापू, ऐसे ही थोड़े न खरीद रहे हैं आप ये, ये सब प्रदेश को लूटकर खरीदा गया है.
पर फिलहाल सबसे बड़ा सवाल तो यही है कि अगर सबको ये पता है कि हिंदुस्तान से 17 हजार किलोमीटर दूर भारत का एक भगोड़ा नित्यानंद बैठा हुआ है, तो उसे कागजी प्रक्रिया पूरी कर लाया क्यों नहीं जा रहा, मोदी-बाइडेन की दोस्ती की कई तस्वीरें जब हम देखते हैं, तो फिर एक तस्वीरें ऐसी क्यों नहीं आती, जिसमें वहां छिपे भारत के खिलाफ एजेंडा चला रहे लोगों को हिंदुस्तान को सौंपा जा रहा हो, आप इस नए देश पर क्या कहना चाहेंगे कमेंट में बता सकते हैं.
ब्यूरो रिपोर्ट ग्लोबल भारत टीवी