कहते हैं पुलिस में गालियां आम बात हैं, लेकिन अधिकारी भी अधिकारी को गाली-गलौच करने लगे तो फिर सबकुछ आम नहीं रह जाता, बिहार होमगार्ड की महिला डीजी शोभा अहोतकर पर इन दिनों ऐसे ही आरोप लग रहे हैं, ये आरोप लगाने वाले ऑफिसर कोई छोटे-मोटे रैंक पर नहीं बल्कि बिहार होमगार्ड के आईजी विकास वैभव हैं, जिन्होंने गृहमंत्रालय को लिखी चिट्ठी में साफ-साफ लिखा है.

महिला डीजी साहिबा शोभा अहोतकर ने मुझे ब्लडी आईजी गेट आउट कहा, मुझे पूरी रात नींद नहीं आई, आखिर में मैंने ट्वीट किया, लेकिन कुछ देर बाद ही उसे डिलीट कर दिया. डीजी साहिबा बिहारी कहकर अपमानित करती हैं, उनका कहना है बिहारी कामचोर होते हैं, पुलिस उप महानिरीक्षक विनोद कुमार को तो उन्होंने बैठक में इतना अपमानित किया कि वो 45 मिनट तक बेहोश रहे, आज भी उनकी तबियत खराब है, मैं ऐसे हालत में वहां काम नहीं कर सकता, मेरे साथ वहां कुछ भी हो सकता है, इसलिए मुझे पदमुक्त यानि रिलीव किया जाए.

अब जांच के बाद ही ये साफ होगा कि कौन सही और कौन गलत है, लेकिन कुछ लोगों का कहना है कि बिहार के सासाराम से आने वाले विकास वैभव दो दशक की नौकरी से ऊब चुके हैं और अब सियासत में आना चाहते हैं, और इसकी तैयारी भी उन्होंने काफी पहले से कर रखी है, वो लेट्स इंस्पायर बिहार मुहिम चला रहे हैं, जिससे हजारों युवा जुड़ रहे हैं, विकास वैभव एनजीओ के जरिए जरूरतमंदों की मदद भी कर रहे हैं, ख़बर ये तक है कि 2024 में वो बेगुसराय सीट से लोकसभा चुनाव लड़ना चाहते हैं और उनकी पहली पसंद बीजेपी हो सकती है, क्योंकि विकास वैभव जिस जाति से आते हैं, उसका जेडीयू से पहले से ही मोह भंग हो चुका है, हालांकि इसमें अभी कुछ तय नहीं है, फिर सवाल ये उठता है कि कई अधिकारी राजनीति में आए फिर डीजी साहिबा को इससे क्या दिक्कत है. तो कई रिपोर्ट में ऐसे दावे सामने आए हैं कि
1990 बैच की आईपीएस ऑफिसर शोभा अहोतकर ने जिन्हें बिहार में लोग हंटरवाली के नाम से जानते हैं, उन्हें ये बात पसंद नहीं कोई ड्यूटी के अलावा अलग से सामाजिक हित के कार्य करे, और ये वजह दोनों की टकराव की हो सकती है. क्योंकि 22 साल की उम्र में वर्दी पहनने वाली शोभा अहोतकर अपनी कड़क छवि के लिए मशहूर हैं, बीच सड़क पर गुंडों को पीटने के कारण ही उन्हें हंटरवाली का नाम मिला था.

ऐसे में इस विवाद के बाद ऐसे कयास लगाए जा रहे थे कि सीएम नीतीश बड़ी बैठक बुलाकर मसले को सुलझा सकते हैं, लेकिन उसी बीच एक ऐसा कांड हुआ कि डीजीपी उसी में उलझ गए, दरअसल बिहार के औरंगाबाद जिले में सीएम नीतीश एक कार्यक्रम में पहुंचे थे उसी दौरान उन पर किसी ने कुर्सी फेंक दी, ये तस्वीर देखिए कैसे कुर्सी का एक टुकड़ा उनके चेहरे तक पहुंच गया है, उनकी सुरक्षा में तैनात एसएसी के कमांडों भी टेंशन में आ गए थे, लेकिन वक्त रहते सबकुछ संभाल लिया, पर सुरक्षा के लिहाज से ये बिल्कुल भी ठीक नहीं था, अब नीतीश पहले आईपीएस की लड़ाई सुलझाएं या खुद की सुरक्षा देखें. चुनाव में अभी वक्त है, पर प्रशांत किशोर शहर-शहर अलग ही नीतीश की पोल खोलते चल रहे हैं, आप बिहार से हैं तो बेहतर समझते होंगे कि नीतीश के शुरुआती पांच साल और अब के कार्यकाल में कितना अंतर दिखने लगा है, पहले अपराधियों में पुलिस का खौफ होता था, पर अब पुलिस वाले ही आपस में भिड़ जा रहे हैं. विकास वैभव के आरोपों पर आप क्या कहेंगे.