दो पत्थरों में ऐसा क्या है कि हज़ारों लोग रोने लगे हैं? जो भी पत्थरों को देखता है वो पूजा करने लगता है? ये 2 ट्रक जिस रास्ते से गुज़रते हैं वहां के लोग हाथ जोड़कर पत्थरों को छूने के लिए भागते है! जनता के हाथों में फूल है, वो पत्थरों में फेंक रहे हैं ? आख़िर इन पत्थरों में ऐसा है क्या ? कई लोग ये कहकर वीडियो देखना बंद कर देंगे की बकवास ख़बर है, पत्थर की भी क्या ख़बर बन सकती है? तो ऐसे लोग सच जानकर हिल जाएंगे, 6 हज़ार करोड़ पुराने पत्थर का राज सनातन संभ्यता से जुड़ा है…
दरअसल ये दोनों पत्थर सिर्फ पत्थर नहीं हैं

बल्कि अयोध्या के राम लला मंदिर में विराजमान होने वाले खुद श्री राम हैं…अगले कुछ दिनों में ये पत्थर अयोध्या पहुंचने वाले हैं…ट्रक जिन रास्तों से गुजर रहा है, वहां की जनता भागकर ट्रक देखने आती है, यहां तक की लोग पत्थरों को देख रोने लगते हैं…सवाल उठता है आख़िर पत्थरों में ऐसा क्या है? क्या ये ट्रक आपके घर के पास जाएंगे? आप कैसे अयोध्या के श्रीराम का दर्शन अपने घर पर ही कर सकते हैं, ये बताएं उससे पहले जानिए आख़िर पत्थर में ऐसा क्या ख़ास है कि उन्हें नेपाल से लाया जा रहा है? नेपाल की गंडक नदी में कई महीनों की खोज के बाद इन पवित्र पत्थरों की तलाश हो पाई है…कई अधिकारियों ने ख़ास पत्थर को ढूंढ निकाला है…नेपाल की गंडक नदी में क्रेन से इन पत्थरों को निकाला गया, 2 फरवरी को ये अयोध्या पहुंचेगी…पर मान्यता ऐसी है कि आप भी हाथ जोड़कर वीडियो में ही श्रीराम का स्वागत करेंगे…दरअसल ये पत्थर सिर्फ पत्थर नहीं है, बल्कि शालिग्राम पत्थर कहा जाता है, शास्त्रों में शालिग्राम पत्थर को विष्णु का रूप पाना जाता है, शालिग्राम की पूजा होती है, इसलिए इन्हें शालिग्राम पत्थर कहा जा रहा है, कहते हैं ये नेपाल की गंडक नदी में ही पाया जाता है..किसी भी नेपाली को आप इस पत्थर का अनादर करते नहीं देखेंगे, कहते हैं श्रीराम के भव्य मंदिर में इन्ही शालिग्राम पत्थरों से मूर्ति बनेगी, जो राम लला गर्भ गृह में मौजूद होंगी…इसलिए जहां जहां से ट्रक गुजरता है वहां-वहां जनता हाथों में फूलकंर पत्थरों को छूना चाहती है…जो लोग नेपाली हिन्दुओं पर सवाल उठाते हैं वो ये तस्वीर देख लें, शुक्रवार को जब ये ट्रक पवित्र पत्थरों को लेकर वहां से निकले तो नेपाली हमारी आपकी तरह अपने राम की पूजा करने लगे…दरअसल मां सीता नेपाल के राजा जनक की बेटी थी, जिनकी शादी अयोध्या के राम से हुई, इसलिए अयोध्या में राम भगवान को बहुत पूजा जाता है…दुनिया में भारत के साथ नेपाल ही एक देश हैं जिसे हिन्दू देश कहा जाता है

हो सकता है कि ये पत्थर जब नेपाल से चलकर बिहार के रास्ते होते हुए गोरखपुर पहुंचे तो योगी आदित्यनाथ भी पूजा कर सकते हैं…31 जनवरी को ये शिलाएं यूपी के गोरखपुर में पहुंचेगी…जहां पर योगी पूजा कर राम का स्वागत कर सकते हैं..ये तस्वीरें तब की जब शिलाएं नेपाल के जनकपुर पहुंची थी…शनिवार और रविवार को ख़ास अनुष्ठान रखा गया है, 31 जनवरी को ये शिलाएं बिहार के गोपालगंज से होती हुई, यूपी की सीमा में प्रवेश कर जाएंगी, गोरखपुर से अयोध्या ले जाया जाएगा, गोरखपुर और अयोध्या के बीच पड़ने वाले ज़िले कें लोग हाइवे पर जाकर प्रभु श्री राम की पूजा कर सकते है…इस बीच इस पवित्र पत्थरों की 51 जगह पूजा भी होगी…इतना ही नहीं, गंडक नदी से शिलाएं निकालने से पहले पूजा हुई, फिर क्षमा मांगते हुए पत्थरों को निकाला गया…न सिर्फ भारत के लोग बल्कि विदेश सैलानी भी इन पवित्र पत्थरों को छूना और देखना चाहते हैं…अब आपको बताते हैं पत्थरों का इतिहास जो जानकर आप मान लेंगे प्रभु श्रीराम यही हैं

कहा जाता है कि रामसेतु का निर्माण आज से 7 हज़ार करोड़ पहले ही हुआ था, यानि राम की कहानी 7 हज़ार करोड़ साल पुरानी है, कुछ लोग सच्चाई ढूंढते है पर सच तो ये है कि भगवान जानने की नहीं मानने की चीज़ है…ठीक इसी तरह से इस पत्थर की उम्र भी 6 हज़ार करोड़ साल है…तो सोचिए कितनी मेहनत के बाद ये पत्थर खोजे गए होंगे…आपने सुना होगा कण-कणं में भगवान है, तो वो इसी शालिग्राम पत्थर के लिए कहा गया है, नेपाल में कहीं भी शालिग्राम पत्थर का एक टुकड़ा भी मिल जाए तो लोग अपने घर में रखकर पूजा करते हैं…इसलिए जनता अपने प्रभु श्रीराम को देखकर रो रही है, ट्रक के पीछे चलकर उनको छूना चाहती है..