अगर बिहार में तेजस्वी यादव ज़िंदाबाद कहने वाले हैं तो फिर देश में मनीष कश्यप ज़िंदाबाद कहने वाले ज्यादा मिल जाएंगे! कुछ दिन पहले ही मनीष ने खुद कहा था जिनके घर शीशे के होते हैं वो दूसरों के घरों पर पत्थर नहीं मारा करते हैं! उधर मीटिंग में बैठकर डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव अधिकारियों को मनीष की गिरफ्तारी का आदेश देते उससे पहले दिल्ली में बैठकर अमित शाह ने एक बड़ी रणनीति में तेजस्वी को फंसा लिया और यहीं पूरा खेल बदल गया है, मनीष को गिरफ्तार करवाने वाले खुद की गिरफ्तारी से बचने के लिए CBI के सामने हाथ जोड़ रहे हैं! तो फिर सवाल उठता है आख़िर ऐसा क्या हुआ कि मनीष के पीछे पुलिस, पुलिस के पीछे तेजस्वी और तेजस्वी के पीछे CBI हाथ धो कर पड़ गई है…
यहां से खेल शुरू होता है, राष्ट्रवादी पत्रकार मनीष का मनोबल तोड़ने के लिए बिहार सरकार ने पुलिस को आदेश दिया कि सारी कमाई को जब्त कर लिया जाए, पुलिस ने पत्रकार के सभी अकाउंट पर डाका मार दिया, करीब 43 लाख रूपए सीज़ कर डाले, कुछ संपत्ति भी सीज़ हो सकती है! पर क्या ऐसा करके किसी ईमानदार व्यक्ति का हौसला तोड़ा जा सकता है? शायद नहीं…इधर मनीष कश्यप बिहार पुलिस से छिप कर अंडर ग्राउंड है, तो उधर तेजस्वी यादव के घर इस बात का डर है कि कहीं CBI मनीष सिसोदिया की तरह गिरफ्तार कर जेल में न डाल दे…25 मार्च को बिहार में बवाल होगा, उस दिन तय होगा कौन बेईमान है कौन ईमानदार है, क्योंकि 25 मार्च की CBI तेजस्वी से सख्त पूछताछ करने वाली है, और जवाब नहीं मिला तो हाथों में हथकड़ी होगी!

गीता में साफ लिखा है इंसान का कर्म उसका पीछा करता है! फिलहाल देश में अगर वोट करवा लिया जाए तो तेजस्वी यादव से ज्यादा मनीष कश्यप के पक्ष में आवाज़ बुलंद होगी! बिहार सरकार का आदेश मिलते ही BJP से नफरत करने वाली पार्टी, लोग, नेता, अधिकारी, सब मनीष कश्यप के भगवा पहनने पर सवाल उठाने लगे पर जिन नेताओं ने करप्शन से अपना चरित्र छिपाया उनका क्या? जनता का माल लूटने वालों के पीछे CBI पड़ी तो हायतौबा क्यों?
मनीष कश्यप की मेहनत का जमा फैसा जब्त किया गया, पर तेजस्वी परिवार के अवैध संपत्ति पर बुलडोजर क्यों नहीं?
मनीष कश्यप पर अभी चोरी, हत्या की कोशिश, लूट, धमकी और फिरौती के मुकदमें भी लग सकते हैं, पर याद रखना भगवान सब देखता है
यानि जिसके पास सत्ता है वो मनमानी करे? जो लोकतंत्र में आवाज़ उठाए उसकी गिरफ्तारी करे? तो ये मनमानी देश में कब तक चलेगी?
42 लाख मनीष के अकाउंट में मिला तो पुलिस ने संदिग्ध मान कर जब्त कर लिया, जबकि मनीष की कमाई औसत 1 करोड़ महीने थी

यहां दो बात समझते हैं! कुछ सवाल पूछते है कि क्या मनीष कश्यप का हाल UP में आज़म खान की तरह होगा? क्या सरकार सच में उनका करियर बर्बाद कर जेल में डाल देगी? और दूसरा सवाल ये है कि क्या मोदी तेजस्वी को जेल में डलवा सकते हैं ? अब इन दोनों सवालों को समझने के लिए सियासत को समझना ज़रूरी है! खुद मनीष कश्यप इस केस को बड़ा कर रहे हैं, उन्हें पता है पुलिस के आगे कोर्ट भी है, वो निकल जाएंगे, पर वो जितना केस बड़ा करेंगे सरकार की उतनी फजीहत होगी…
मनीष ब्राह्मण हैं, और यहां बीजेपी को बड़ा फायदा दिखता है…बिहार में भूमिहारों और ब्राह्मणों का रूझान पिछले कुछ सालों से तेजस्वी की तरफ बढ़ा है, बीजेपी इसी केस के बहाने कम कर सकती है! मनीष कश्यप आज अकेले नहीं है, बीजेपी का एक तंत्र उनके साथ है, करोडों की संख्या में लोग उन्हें सपोर्ट कर रहे हैं! यानि यहां मनीष के बजाय खुद बिहार सरकार और तेजस्वी फंस गए हैं!
यहां सियासत का दोगलापन देखिए, कहते हैं अगर आम इंसान से चींटी मर जाए तो सिस्टम पीछे पड़ जाता है, पर नेताओं के लिए सात खून माफ क्यों हो जाता है? मनीष कश्यप की कमाई ग़लत थी या नहीं ये तय कोर्ट को करना था! इधर सबूत होने के बाद भी लालू का परिवार डकार नहीं मार रहा है? 25 मार्च को CBI ऑफिस में तेजस्वी यादव जाएंगे, CBI अपने सवालों के साथ तैयार है! वहां तेजस्वी की गिरफ्तारी हो न हो पर डर पूरा है!