भारतीयों के हाथ में दुनिया की 35 बड़ी कंपनियां जानिए कौन-कौन सी हैं
दुनिया ने भारतीय दिमाग का लोहा माना है. गूगल से लेकर यूट्यूब तक, माइक्रोसॉफ्ट से लेकर, एडोब तक और हनीवेल से लेकर स्टारबक्स तक. ऐसी 35 से ज्यादा कंपनियां हैं जिनका मार्केट कैप 100 अरब डॉलर से ज्यादा है और इन कंपनियों को भारतीय चला रहे हैं. पिछले महीने ही यूट्यूब की कमान भारतीय मूल के नील मोहन को मिली है. अब दुनिया के सबसे बड़े बैंक, यानी वर्ल्ड बैंक एक भारतीय के हाथ में आ गया है. उसे चलाने की जिम्मेदारी अब हिंदुस्तानी दिमाग के पास है. कौन है आखिर वो भारतीय जिसे खुद अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने चुना है. और इसके पीछे की वजह क्या है. ये बताने से पहले जानिए कि इस फैसले पर पूरी दुनिया कहां खड़ी है.

पाकिस्तान इसको लेकर बहुत परेशान है क्योंकि वर्ल्ड बैंक पूरी दुनिया को कर्ज देता है. और पाकिस्तान की पूरी इकनॉमी कर्ज पर टिकी है. पिछली बार जब वर्ल्ड बैंक ने और कर्ज देने से इनकार किया था तो पाकिस्तान अरब देशों में पैसे मांगने पहुंचा था.

अमेरिका, इंग्लैंड, पूरे यूरोप ने किया इस इंडियन का समर्थन
इस फैसले के बाद चीन ने वही किया है जो वो हमेशा करता है, विरोध. बाकी सभी देश सहमत हैं और भारतीय मूल के अजय बंगा को निर्विरोध वर्ल्ड बैंक का अध्यक्ष चुना गया है. वो भारतीय मूल के पहले सिख हैं जो इस पद तक पहुंचे हैं.
लेकिन आपको क्या लगता है, अमेरिका ने अजय बंगा को किसलिए चुना है. इस वक्त पूरा विश्व आर्थिक मंदी की मार झेल रहा है. ऐसे में उसे उबारने के लिए एक तेज दिमाग की जरूरत थी. और दूसरा भारत के बड़े बाजार में अपनी पकड़ मजबूत भी बनाए रखनी थी. क्योंकि यूक्रेन युद्ध के बाद से भारत का रुख रूस की तरफ झुका है ऐसा अमेरिका को लगता है. हालांकि भारत अपने हितों को ध्यान में रखकर फैसले ले रहा है.

अजय बंगा की कहानी
अजय बंगा को सभी बड़े देशों 4 नोबेल प्राइज विजेताओं समेत 55 अधिवक्ताओं का समर्थन हासिल है. लेकिन चीन ने बंगा का समर्थन नहीं किया है और उनका औपचारिक इंटरव्यू अभी बाकी है. हालांकि अकेले चीन के विरोध से इस नियुक्ति पर कोई खास असर नहीं पड़ने वाला है. वैसे भी वो निर्विरोध चुने गए हैं.
अजय बंगा का जन्म महाराष्ट्र के पुणे में हुआ था, अभी वो 63 साल के हैं. उनकी स्कूलिंग हैदराबाद में हुई है. बंगा के पिता हरभजन सिंह भारतीय सेना में अफसर हुआ करते थे. बंगा ने दिल्ली यूनिवर्सिटी से अर्थशास्त्र में बैचलर की डिग्री ली. इसके बाद IIM अहमदाबाद चले गए.
अजय बंगा ने 1981 में नेस्ले से अपने बिजनेस करियर की शुरुआत की थी. भारत के साथ उन्होंने 13 साल तक काम किया और पेप्सिको में भी 2 साल बिताये. अजय बंगा को 2016 में पद्मश्री से नवाजा गया था.
अमेरिकी राष्ट्रपति बाइडेन ने कहा था कि
भारत में पले-बढ़े, बंगा का विकासशील देशों के सामने मौजूद अवसरों, चुनौतियों, गरीबी को कम करने और समृद्धि का विस्तार करने के अपने महत्वाकांक्षी एजेंडे को कैसे पूरा कर सकता है, इस पर एक अनूठा नजरिया है.
पहले से ही दुनिया की 35 सबसे बड़ी कंपनियों को भारतीय मूल के लोग चला रहे हैं. पिछले महीने ही यूट्यूब की कमान भी भारतीय मूल के नील मोहन को दे दी गई. इससे पहले ट्विटर के सीईओ भी भारतीय ही हुआ करते थे. ये सब भी छोड़ दीजिए तो अमेरिका की उपराष्ट्रपति भारतीय हैं. इंग्लैंड के प्रधानमंत्री श्रषि सुनक भारतीय मूल के हैं. कनाडा में कई मंत्री भारतीय मूल के हैं. जो हर भारतीय के लिए गर्व की बात है. लगता है हम विश्व गुरू बनने के बेहद करीब हैं.